22.11.16

एक पोस्ट हम लोगो के साथी सुसील पाण्डेय जी

एक पोस्ट हम लोगो के साथी सुसील पाण्डेय जी (ज़ोन प्रभारी)अगर उनको कौटिल्य कहा जाये तो ज्यादा नही होगा जितने अच्छे अंदाज में लिखा है।
लेकिन ये शायद एक लाइन भूल गए 1470 केंद्र ने खुद बढ़ाया।
आगे आप सायद ये भूल गए की आप एक संगठन के जोन प्रभारी है जो अपने भासा का प्रयोग किया इसी से आपके व्यक्तित्व का पता चलता है कोई बात नही सब स्वतन्त्र है।
देलही का आप उल्टा कर दिए आप 23 नो.को जा रहे थे लेकिन 24 दिस. गये आप ने कहा डिमांड तो 3 सालो का अपना मांग पत्र देख लो और मीडिया की सुर्खियां देख लो कहा गया "सात हजार में दम नही 25000 से कम नही "उसके बाद 100 की समस्या समाप्त हुई और एक बार फिर लड्डू खाते हुए मिडिया की सुखियो में फोटो और सोसल मिडिया में ...........।देलही से वापसी के बाद कई बार समायोजन ।
अपने कहा कैंसर, कोढ़,लोटा पहले अपने को देखना चाहिये।100 बच्चो की समस्या यदि राजनीती न की गई होती और लड्डू न खाए गये होते प्रिन्ट मिडिया में तो इतनी समस्या नही होती।सब जानते है जिसके संघर्स से 1470 आप भी हम भी और सभी अनुदेसक पा रहे है उसके लिए इन सब्दो का प्रयोग ...........इस संबंद में (1470)भोला जी से पूछ लेना कैसे बड़ा तब लिखना।100बच्चो के लिए जो केंद्र सरकार से जवाब आया वो कैसे आया कैसे लागु कराया जाये ये भी पूछ लेना राज्य सरकार ने जो लेटर भेजा था उसके साथ में किस संगठन की मागे और लेटर पैड गया ओभी तब भी भरोसा न हो परियोजना आ जाना आप पदाधिकारी देख लेना लुटिया डोबोना तो सब अनुदेसक जानते है कि नया धरना नई मागे।100 बच्चो की समस्या तो बिलकुल लड्डू खाने के बाद पूरे प्रदेश में कैंसर ही हो गई ।
अपने कहा कुछ भक्त ,उनके कुछ भक्तो की वजह से आप भी सायद 1470 पा रहे होंगे,100 बच्चो पर राज्य सरकार जो टालती थी केंद्र पर ओ लेटर उन्ही भक्तो की देन है
अंत में हम अनुदेसकभक्त तो है आरोप लगाने वाले तो अपना नेता बनाने के बाद उसी की लुटिया डुबो दिए केवल राजनीती के लिए(एकीकरण में)कल्याण समिति की मांगे ख़राब है।
अनुदेसक हित अपना हित जरा सा दिखता है तो सब जानते है परियोजना से अच्छी जगह नही हो सकती
सारे अनुदेसक जानते है कल्याण समिति झूठ नही बोली आज तक, "जब की 100 बच्चो से लगाकर समायोजन तक हो चुका है।"
अनुदेसक सब जानते है आप से भी सभी से निवेदन है राज्य परियोजना कार्यालय आये।
          धर्मेन्द्र शर्मा
        9984370386⁠⁠⁠⁠

सामर्थ और अथक प्रयास

एक दिशा में एक जगह 29 नवम्बर लक्ष्मण मेला मैदान
क्या क्यों किस लिए बताने की आवश्यकता नही समझता सभी बुद्धजीवी प्रबुद्ध समृद्ध और लक्ष्य केंद्रित भाव लेकर आखिरी प्रयास मानते हुए इस् चुनावी दौर के लाभ हेतु अपना और अपने परिवार् की सुख समृद्धि के लिए
एक साथ एक जगह लक्ष्मण मेला मैदान पहुचेंगे ऐसा हमे विश्वास है

अन्य संघर्षशील संगठन एवं रणनीतिकारों से पूर्ण अपेक्षा करता हूँ के वो अन्य को किसी भी प्रकार से भ्रमित न करते हुए आखिरी प्रयास में साथ देकर अपनी राजनीति को जिंदा रखने का प्रयास करेंगे
क्योंकि अभी तक के समस्त प्रयासों से सभी अवगत है
परिणाम हो भी आया वो राजनीती के अंतर्गत खो गया जिससे अनुदेशक पूरी तरह संतुष्ट नही हुए

इस् सत्र का अंतिम आवाहन 29 नवम्बर 2016 स्थान लक्ष्मण मेला मैदान लखनऊ उच्च प्राथमिकअनुदेशक शिक्षक वेलफेयर असोशिएशन उत्तर प्रदेश के नेतृत्व में
आप सभी की उपस्तिथि अति अनिवार्य है


बुद्धजीवी वर्ग अपना सभी अच्छा बुरा अच्छे से जानते समझते है
साथ दें साथ दें साथ दें सार्थक प्रयास का साथ दें
अपने अपनों का साथ दें
अपने आने वाले कल को सवारने के लिए साथ दें

आभार धन्यवाद होगा
सभी के सहयोग की अपेक्षा करता हूँ
डीके तिवारी
प्रदेश शोसल मिडिया प्रभारी
UPASWA U.P⁠⁠⁠⁠

राज्य परियोजना कार्यालय निशांतगंज लखनऊ पर होने वाले अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन/आमरण अनशन को अभी स्थगित किया जाता है

प्रदेश कार्यकारणी एवम् जिलाध्यक्षओ के विचार विमर्श के उपरान्त.......
  " पूर्व माध्यमिक अनुदेशक कल्याण समिति ऊoप्रo के तत्वाधान में 29 नवंबर 2016 से राज्य परियोजना कार्यालय निशांतगंज लखनऊ पर होने वाले अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन/आमरण अनशन को अभी स्थगित किया जाता है"
   
       सभी प्रदेश/जिलाध्यक्ष/जनपद/ब्लॉक पदाधिकारी एवम् अनुदेशक साथी संघर्ष वर्ष के इस अंतिम पड़ाव में तैयारी बनाये रखे 28 को शासन में पैरवी के उपरान्त जल्द आगामी योजना को बताया जायेगा,किसी भी स्थिति,परिस्थिति या संघर्ष के लिए सभी कमर कस कर तैयार रहे।।

                          धन्यवाद

    आपका
राकेश पटेल"सिंटू"
  प्रदेश अध्यक्ष
पू.मा.अनुदेशक कल्याण समित उ.प्र.
 9455788206

शिक्षामित्र और टीईटी भर्ती को अब फरवरी में न्याय की उम्मीद

परिषदीय विद्यालयों में नियुक्तियों की सुनवाई शीर्ष कोर्ट में चल रही है। पहले 27 जुलाई फिर 17 नवंबर को 
सुनवाई की तारीख लगी। न्यायालय ने इस मामले में अगली तारीख 22 फरवरी लगा दी है। उसी समय अंतिम आदेश आने की उम्मीद लगी है।

जिसने ‘दवा’ दी, उसी के नाम मिला ‘दर्द’, सुप्रीमकोर्ट के निर्देश पर युवाओं को परिषदीय स्कूलों में मिली तैनाती, अब मौलिक नियुक्ति शीर्ष कोर्ट में सुनवाई से रुकी, हजारों बने नए दावेदार, अब फरवरी में न्याय की उम्मीद

अब फरवरी में न्याय की उम्मीद: परिषदीय विद्यालयों में नियुक्तियों की सुनवाई शीर्ष कोर्ट में चल रही है। पहले 27 जुलाई फिर 17 नवंबर को सुनवाई की तारीख लगी। न्यायालय ने इस मामले में अगली तारीख 22 फरवरी 
लगा दी है। उसी समय अंतिम आदेश आने की उम्मीद लगी है।
जिसके आदेश पर ठसक के साथ शिक्षक बनने का मौका मिला, उसी का हवाला देकर युवाओं को दर-दर की ठोकर खानी पड़ रही है। यह झटका परिषदीय विद्यालय के उन प्रशिक्षु शिक्षकों को ही नहीं लगा है, जिन्हें गत दिनों मौलिक नियुक्ति नहीं मिल पाई है, बल्कि इसका असर उन पर भी पहुंचा है, जो इसी तर्ज पर शिक्षक बनने के लिए कतारबद्ध हैं। प्रदेश में ऐसे युवाओं की तादाद पचास हजार से भी अधिक है। 1बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक के रूप में नियुक्ति पाने के लिए पिछले वर्षो में तमाम युवाओं ने न्यायालय में याचिका दाखिल कर रखी थी। सात दिसंबर 2015 को शीर्ष कोर्ट ने निर्देश दिया था कि यदि याचिका करने वाले युवा अर्हता रखते हैं तो उन्हें तैनाती दी जाए। कोर्ट में उस समय अधिवक्ताओं ने याचिका करने वालों की संख्या करीब 1100 बताई थी। इसके अनुपालन में परिषद ने 862 युवाओं को तदर्थ शिक्षक के रूप में तैनाती दे दी थी, क्योंकि तब तक उसे इतने ही आवेदन प्राप्त हो सके थे। इन्हें प्रशिक्षु शिक्षक चयन 2011 के रूप में नियुक्ति मिली। उस समय नियुक्ति पाने वाले युवाओं व उनके परिवार में खुशी का ठिकाना न रहा। तैनाती पाने के लिए छह माह का प्रशिक्षण भी पूरा किया और 9 एवं 10 सितंबर को परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव ने प्रशिक्षु शिक्षकों की प्रशिक्षण परीक्षा कराई और उसका परिणाम छह अक्टूबर को जारी हुआ। इसमें 839 प्रशिक्षु शिक्षक सफल हुए, लेकिन उन्हें मौलिक नियुक्ति नहीं दी गई है। 1परिषद सचिव संजय सिन्हा की ओर से इस संबंध में पत्र जारी करके कहा गया कि विशेष अनुज्ञा याचिका के तहत नियुक्त 839 शिक्षकों का प्रकरण अभी शीर्ष कोर्ट में विचाराधीन है, उन्हें तैनात करने के लिए शासन से अगला आदेश मिलने पर कार्यवाही की जाएगी। इससे प्रशिक्षु शिक्षकों को झटका लगा है। इससे वह युवा भी प्रभावित होंगे जो कोर्ट के आदेश पर नियुक्ति पाने की उम्मीद संजोए हैं। ज्ञात हो कि परिषदीय स्कूलों में 862 युवाओं की नियुक्ति होने के बाद प्रदेश भर के करीब 50 हजार से अधिक युवा भी न्यायालय में दायर मुकदमों में याची बने हैं। यह संख्या लगातार बढ़ भी रही है। प्रशिक्षु शिक्षक अशोक द्विवेदी का कहना है कि परिषद ने जब शीर्ष कोर्ट के निर्देश पर उन लोगों की नियुक्ति की थी, तब मौलिक नियुक्ति को रोकना उचित नहीं है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कोई रोक नहीं लगाई है।

शिक्षा विभाग 22/11/2016

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