21.12.16

परिषदीय विद्यालयों की द्वितीय सत्र परीक्षा का कार्यक्रम हुआ जारी: पीलीभीत

परिषदीय विद्यालयों की द्वितीय सत्र परीक्षा का कार्यक्रम हुआ जारी: पीलीभीत

शासन द्वारा तीन शिक्षा अधिकारियों के तबादले

तीन शिक्षा अधिकारियों के तबादले, रमाकान्त वर्मा बीएसए एटा बने, शौकीन सिंह यादव वरिष्ठ प्रवक्ता डायट आगरा के पद पर भेजे गए।

UPTET 2016 ANSWER KEY DOWNLOAD HERE, यूपी टीईटी की आंसर शीट देख

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अवकाश: 24 दिसंबर 2016 को जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के प्रान्तीय अधिवेशन में प्रतिभाग करने हेतु शिक्षको को विशेष अवकाश स्वीकृति करने के सम्बन्ध में सचिव उ0प्र बे०शि० प० इलाहाबाद द्वारा आदेश जारी

24 दिसंबर 2016 को जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के प्रान्तीय अधिवेशन में प्रतिभाग करने हेतु शिक्षको को विशेष अवकाश स्वीकृति करने के सम्बन्ध में सचिव उ0प्र बेसिक शिक्षा परिषद इलाहाबाद द्वारा आदेश जारी किया गया है।




06 माह से बिना किसी अवकाश स्वीकृति के अनुपस्थिति चल रहे शिक्षकों को बीएसए ने अंतिम अवसर प्रदान करते हुए सेवा समाप्ति की नोटिस किया जारी, देखें सूची

MATHURA में बेसिक  परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत अध्यापक 06 माह से बिना किसी अवकाश स्वीकृति के अनुपस्थिति चल रहे हैं बीएसए ने उक्त अध्यापको को अंतिम अवसर प्रदान करते हुए सेवा समाप्ति की नोटिस जारी किया है देखें सूचि। 06 माह से बिना किसी अवकाश स्वीकृति के अनुपस्थिति चल रहे शिक्षकों को बीएसए ने अंतिम अवसर प्रदान करते हुए सेवा समाप्ति की नोटिस किया जारी, देखें सूची


धूप सेंकते मिले तो सस्पेंड कर दूंगी, कार्यालय के बाहर बैठे कर्मियों की लगाई फटकार

धूप सेंकते मिले तो सस्पेंड कर दूंगी, कार्यालय के बाहर बैठे कर्मियों की लगाई फटकार
Bsa ने बाबुओं की लगायी फटकार खा की जल्द से सभी पेंडिंग कार्यों को निबटाया जाए।
तहसील दिवस से लौंटी बीएसए बाबुओं को बाहर बैठे देख आग बबूला हों गयीं और लगा डाली फटकार। 

अब पति-पत्नी दोनों को मकान किराया भत्ता, राज्य कर्मियों की तर्ज पर सीएम ने दिया शिक्षकों को तोहफा, यह विभाग होने लाभाम्बित

अब पति-पत्नी दोनों को मकान किराया भत्ता, राज्य कर्मियों की तर्ज पर सीएम ने दिया शिक्षकों को तोहफा, यह विभाग होने लाभाम्बित. शिक्षकों व कर्मियों को बुधवार को चुनावी तोहफा दिया है। सहायता प्राप्त शैक्षिक संस्थानों, स्वायत्तशासी संस्थाओं व निगमों में कार्यरत शिक्षकों और कर्मियों को राज्य कर्मियों की भांति अब पति-पत्नी दोनों को मकान किराया भत्ता दिया जाएगा।सहायता प्राप्त शैक्षिक संस्थाओं, स्वायत्तशासी संस्थाओं और निगमों में यदि पति-पत्नी दोनों कार्यरत हैं तो सिर्फ एक को ही एचआरए का लाभ मिलता था जबकि, राज्य कर्मचारी है तो पति-पत्नी दोनों को इसका लाभ दिया जा रहा है। राज्य कर्मियों की तरह सहायता प्राप्त शैक्षिक संस्थाओं, स्वायत्तशासी संस्थाओं और निगमों के कर्मचारी भी पति-पत्नी को एचआरए देने की मांग कर रहे थे। अखिलेश सरकार ने यह मांग पूरी करके चुनावी तोहफा देने का काम किया है।

आज कैबिनेट के फैसले, अखिलेश ने प्रदेश को दिए यह तोहफे

इन पर लगी मुहर
  • - जेई को 400 रुपये विशेष भत्ता
  • - उत्तराखंड को 37 नहरों को हस्तांतरित करने
  • - भुर्तिया जाति को भी आरक्षण
  • - राठ पालिका परिषद का सीमा विस्तार
  • - पालिका केंद्रीयत सेवा नियमावली में संशोधन
  • - स्वाधार योजना के लिए फंडिंग पैटर्न तय करने
  • - वृंदावन-बृजधाम सदनों की निराश्रित महिलाओं व विधावाओं को और सुविधा देने
  • - राजभवन के लिए स्कार्पियो, बीएस-4 व डब्लूडी गाड़ी खरीदने
  • - मथुरा के जवाहरबाग का लोहिया पार्क की तर्ज पर विकसित करने
  • - छह गांवों को शामिल में शामिल करने
  • - बुंदेलखंड में विशेष पैकेज के तहत डीजल पंपसेट वितरित करने
  • - लखनऊ विकास प्राधिकरण में 197 गांवों को शामिल करने
  • - गोरखपुर में एम्स के लिए मुफ्त जमीन देने
  • - लोहिया विधि विवि में स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने
  • - हाईकोर्ट लखनऊ नवीन भवन की उच्च विशिष्टियों को मंजूरी
  • - समाजवादी पेंशन के प्रचार-प्रसार के लिए अतिरिक्त बजट की व्यवस्था
  • - ई-रिक्शा 7000 रुपये तक सस्ता
  • - ,पति-पत्नी को मिलेगा HRA

UP वालों को अखिलेश का चुनावी तोहफा,पति-पत्नी को मिलेगा HRA, इन पर भी मुहर

UP वालों को अखिलेश का चुनावी तोहफा,पति-पत्नी को मिलेगा HRA, इन पर भी मुहर


अखिलेश सरकार ने शिक्षकों व कर्मियों को बुधवार को चुनावी तोहफा दिया है। सहायता प्राप्त शैक्षिक संस्थानों, स्वायत्तशासी संस्थाओं व निगमों में कार्यरत शिक्षकों और कर्मियों को राज्य कर्मियों की भांति अब पति-पत्नी दोनों को मकान किराया भत्ता दिया जाएगा।

मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला हुआ। विधानसभा का सत्र होने के कारण कैबिनेट के फैसलों की फिलहाल अधिकृत सूचना नहीं दी गई है। इन फैसलों की जानकारी विधान मंडल के दोनों सदनों को दी जाएगी।
केवल एक को मिलता है एचआरए

सहायता प्राप्त शैक्षिक संस्थाओं, स्वायत्तशासी संस्थाओं और निगमों में यदि पति-पत्नी दोनों कार्यरत हैं तो सिर्फ एक को ही एचआरए का लाभ मिलता था जबकि, राज्य कर्मचारी है तो पति-पत्नी दोनों को इसका लाभ दिया जा रहा है। राज्य कर्मियों की तरह सहायता प्राप्त शैक्षिक संस्थाओं, स्वायत्तशासी संस्थाओं और निगमों के कर्मचारी भी पति-पत्नी को एचआरए देने की मांग कर रहे थे। अखिलेश सरकार ने यह मांग पूरी करके चुनावी तोहफा देने का काम किया है।
ई-रिक्शा 7000 रुपये तक सस्ता
चुनावी नजरिये से सरकार ने ई-रिक्शा चलाकर परिवार पालने वाले कमजोर वर्ग का दामन भी खुशियों से भरने की कोशिश की है। उन्होंने ई-रिक्शा पर लगने वाला वैट साढ़े 12 फीसदी से घटाकर 4 प्रतिशत कर दिया है। बाजार में 60,000 से लेकर 80,000 के बीच ई-रिक्शा आ रहा है। इससे 5000 से लेकर 7000 रुपये तक ई-रिक्शा सस्ता हो जाएगा। 'हिन्दुस्तान' ने इस संबंध में पहले ही खबर दी थी कि ई-रिक्शा सस्ता किया जाएगा।
जेई को 400 रुपये विशेष भत्ता
समाजवादी सरकार ने शिक्षकों, कर्मचारियों व गरीबों को ही नहीं बल्कि विकास कार्यों को पूरा कराने में दिन-रात मेहनत करने वाले अवर अभियंताओं को भी लाभ दिया है। सरकारी, स्वायत्तशासी और निगमों में कार्यरत अवर अभियंताओं को हर माह 400 रुपये विशेष भत्ता दिया जाएगा। कैबिनेट फैसले के बाद जैसे ही शासनादेश जारी होगा अवर अभियंताओं को विशेष भत्ते का लाभ दिया जाने लगेगा।
भुर्तिया जाति को भी आरक्षण
सरकारी नौकरियों में पिछड़े वर्गों की तरह अब भुर्तिया जाति को भी आरक्षण का लाभ मिलेगा। अखिलेश सरकार ने इन जातियों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण का लाभ देकर चुनावी तोहफा देने का काम किया है। कैबिनेट फैले के मुताबिक उत्तर प्रदेश लोकसेवा अनुसूचित जाति, जनजाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण में अहीर, यादव, यदुवंशी, ग्वाला के साथ भुर्तिया जाति को भी जोड़ने का फैसला हुआ।
इन पर भी मुहर
- उत्तराखंड को 37 नहरों को हस्तांतरित करने
- राठ पालिका परिषद का सीमा विस्तार
- पालिका केंद्रीयत सेवा नियमावली में संशोधन
- स्वाधार योजना के लिए फंडिंग पैटर्न तय करने
- वृंदावन-बृजधाम सदनों की निराश्रित महिलाओं व विधावाओं को और सुविधा देने
- राजभवन के लिए स्कार्पियो, बीएस-4 व डब्लूडी गाड़ी खरीदने
- मथुरा के जवाहरबाग का लोहिया पार्क की तर्ज पर विकसित करने
- छह गांवों को शामिल में शामिल करने
- बुंदेलखंड में विशेष पैकेज के तहत डीजल पंपसेट वितरित करने
- लखनऊ विकास प्राधिकरण में 197 गांवों को शामिल करने
- गोरखपुर में एम्स के लिए मुफ्त जमीन देने
- लोहिया विधि विवि में स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने
- हाईकोर्ट लखनऊ नवीन भवन की उच्च विशिष्टियों को मंजूरी
- समाजवादी पेंशन के प्रचार-प्रसार के लिए अतिरिक्त बजट की व्यवस्था

शिक्षा के बुनियादी सवाल, नई शिक्षा नीति के निर्माण में किन बिन्दुओं पर गंभीर विचार-विमर्श आवश्यक है, जानिए: जरुर पढ़ें बेसिक शिक्षक ....

शिक्षा के बुनियादी सवाल, नई शिक्षा नीति के निर्माण में किन बिन्दुओं पर गंभीर विचार-विमर्श आवश्यक है, जानिए: जरुर पढ़ें बेसिक शिक्षक ....+


मानव संसाधन मंत्री ने बताया है कि नई शिक्षा नीति बनाने के लिए नई समिति बनाई जाएगी, लेकिन नई नीति बनाने के लिए यह समीक्षा जरूरी है कि पिछले शिक्षा दस्तावेजों, सिफारिशों का क्या हुआ? उनका आद्योपांत विश्लेषण होना चाहिए ताकि विगत साठ वर्षो का अच्छा-बुरा, सकारात्मक-नकारात्मक, उपयोगी और बेकार की पहचान करने में मदद मिले। अच्छे उद्देश्य पूरे क्यों नहीं हुए, बुरे उद्देश्य जैसे शिक्षा का राजनीतिकरण दस्तावेजों में कैसे घुस आए? शिक्षा में सरकार की और समाज की भूमिका क्या और कितनी हो? शिक्षा और रोजगार के बीच बन गए अभिन्न संबंध को कैसे लेना चाहिए? क्या शिक्षा की परिभाषा बदल देने का समय आ गया है? शिक्षा का बुनियादी उद्देश्य क्या होना चाहिए? देश में शुद्ध ज्ञान, स्वतंत्र चिंतन को बढ़ावा देने यानी सांस्कृतिक उत्थान के लिए क्या किया जाना चाहिए? क्या भारतीय भाषाओं के सहज विकास के लिए कुछ किया जा सकता है? ऐसे अनेक बुनियादी प्रश्नों को पूरी गंभीरता से लेना आवश्यक है। तभी कोई नया दस्तावेज या पाठ्यचर्या आदि बने। उसे ऐसा कचरा नहीं होना चाहिए जिसमें असंबद्ध विचार अथवा रंग-बिरंगी, अटपटी, अंतर्विरोधी परिकल्पनाएं भरी मिलें। अत: नई नीति का नयापन केवल औपचारिक न रहे, वह वास्तविक रूप से प्रेरक बने। हम न तकनीक-व्यापार में दुनिया से पीछे रहें, न स्वतंत्र बौद्धिक चिंतन में। अपनी ज्ञान-संस्कृति की अनमोल थाती हमें भूलनी नहीं चाहिए। सदियों से भारत की मुख्य गौरवशाली पहचान यही थी। उसे पुन: स्थापित करना सरल कार्य नहीं है, किंतु इससे कतराना भी शोभनीय नहीं होगा। 1यह सब हो सके, इसके लिए देश की शिक्षा प्रणाली में सोवियत-नेहरूवादी मॉडल की जमी बीमारियां पहचाननी और दूर करनी जरूरी हैं। यह बीमारी सर्वप्रथम इस मान्यता में है कि सब कुछ सरकार करेगी। फिर इसमें कि किसी वैज्ञानिक, प्रगतिशील, राजनीतिक विचारधारा को फैलाना शिक्षा नीति का पुनीत उद्देश्य है। साथ ही इस तरीके में कि विशेष विचारों में पगे लोगों को ही महत्वपूर्ण भार देना चाहिए। अंतत: इस बात में कि घोषित कार्यो को पूरा करने तथा उनका मूल्यांकन करने में कागजी खानापूरी ही पर्याप्त है। अब तक प्राय: स्वयं अपनी पीठ थपथपा कर कागजी उपलब्धियां गिनाकर और आपस में एक-दूसरे को सम्मान, शाबासी, पुरस्कार आदि देकर शिक्षा में विकास का आश्वासन दिया जाता रहा है। इस रोग को पहचानना और दूर करना इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि गैरकांग्रेसी, गैरवामपंथी लोगों में भी ये रोग भर चुके हैं। यदि सावधानी न बरती गई तो रोग नए कलेवर में बना रह जा सकता है। अत: नकली शिक्षाशास्त्रियों, कामों, प्रवृत्तियों की पहचान कर उन्हें नमस्कार करना जरूरी है। विगत दशकों में जिन्हें शिक्षाविद् मानकर शिक्षा दस्तावेज बनाने से लेकर सरकारी संस्थाएं चलाने, पाठ्यचर्या और पाठ्य पुस्तकें तैयार करवाने आदि कार्य दिए जाते रहे हैं वे अधिकांश सुयोग्य नहीं रहे हैं। उनमें कई तो सोवियत-नेहरूवादी रोग से ग्रस्त राजनीतिक प्रचारक मात्र थे जो अपनी ही खामख्यालियों को शिक्षा की चिंता मानते थे। इस क्रम में ठीक पिछला संस्करण एक ऐसे कथित शिक्षाशास्त्री के हाथों संचालित हुआ जो जल्द ही आम आदमी पार्टी के एक बड़े कर्णधार बने और चार कदम भी सधे पैर नहीं चल सके। उनके द्वारा बनवाई गई समाज विज्ञान पाठ्य पुस्तकों में जो विध्वंस किया गया है वह किसी सच्चे जानकार के लिए कल्पनातीत होगा। हमारा वैचारिक राजनीतिक स्तर इतना गिर चुका है कि हम शैक्षिक विध्वंस को पहचानने योग्य भी नहीं बचे हैं। इसकी परख होनी चाहिए और राजनीतिक एक्टिविस्टों को शिक्षाशास्त्री मानने की भूल दोहराई नहीं जानी चाहिए। 1सोवियत युग का रूसी अनुभव था कि प्रतिभावान छात्र विज्ञान की ओर चले जाते थे, साहित्य, इतिहास, दर्शन आदि की ओर नहीं। इन विषयों में पार्टी नियंत्रण था और इसीलिए प्रतिभाओं के विकास का अवसर ही नहीं बचता था। काफी हद तक हमारे देश में भी वही हुआ है। अपनी पीठ स्वयं थपथपाने वाले ‘एमिनेंट हिस्टोरियन’ जैसे वामपंथी लफ्फाजों के अलावा उन विषयों में कुछ दिखाने लायक हमारे पास नहीं है। सामाजिक, मानविकी विषयों में निरा रेगिस्तान फैल गया है। विगत दशकों में शैक्षिक दस्तावेजों, पाठ्यक्रमों, पाठ्य पुस्तकों तथा समाज विज्ञान एवं मानविकी विषयों के अध्ययन-अध्यापन, शोध, विमर्श आदि में विशिष्ट राजनीतिक प्रेरणा, निर्देश, दबाव आदि विभिन्न रूपों में लगातार बढ़ते गए हैं। इनका पूर्ण खात्मा आवश्यक है ताकि शिक्षा, चिंतन, शोध को सचमुच स्वतंत्र बनाया जा सके। यूजीसी, यूपीएससी तथा नेशनल अकादमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन जैसे सभी महत्वपूर्ण प्रशिक्षण संस्थानों के पाठ्य निर्देशों, सामग्रियों की तदनुरूप समीक्षा भी जरूरी है, क्योंकि इन जगहों को भी विचारधारा ग्रस्त बनाया गया है। इसके बिना सोवियत मॉडल मुकम्मल न होता। विशेष प्रकार के लेखक, पुस्तक, पाठ, समस्याओं का चयन या उपेक्षा द्वारा युवा प्रशासकों, नीति-निर्माताओं को उसी राजनीतिक झुकाव में ढालने का खुला और सफल यत्न होता रहा है। उनमें भी सुधार होना चाहिए।1एक जरूरी कार्य यह भी है कि समाज विज्ञान शिक्षा में जारी भारत संबंधी उन तमाम प्रस्थापनाओं की कड़ी विद्वत समीक्षा की जाए जिनसे यहां भेदभाव, दुराव वाली राजनीतियों को बल पहुंचाया जाता रहा है, जैसे आर्य-द्रविड़, ब्राrाणवाद, अगड़ी-पिछड़ी जातियों का संघर्ष, वर्ग संघर्ष, साम्राच्यवाद विरोध आदि। इनमें से कई अवधारणाएं मुख्यत: काल्पनिक और राजनीतिक हैं जिनका शिक्षा से उतना संबंध नहीं जितना एक भारत विरोधी राजनीति को बल पहुंचाने से। कई विश्वविद्यालय विभागों और उनके सिलेबस आदि के सरसरी परीक्षण से भी यह सरलता से दिख जाता है। इसमें धोखाधड़ी यह भी है कि उच्च शिक्षा के लिए दिए जाने वाले बजट के धन से विषैले राजनीतिक विचारों का प्रचार चलाया जाता रहा है। अत: उनकी कड़ाई से जांच होनी चाहिए और परिणामों को खुले रूप में सबके सामने लाना चाहिए। तदनुरूप जिन प्रस्थापनाओं में मनमानियां, अतिरंजनाएं या निराधार तत्व पाए जाएं उनकी सटीक आलोचनाओं को भी शिक्षा और शोध में उतना ही महत्व देकर बताया जाए। यह देशहित के सबसे जरूरी कार्यो में से एक है।

उर्दू शिक्षक भर्ती में आवेदन हेतु विज्ञप्तियां जारी,आज जारी जिलावार विज्ञप्तियां देखने के लिए क्लिक करें

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12460 शिक्षक भर्ती में आवेदन हेतु विज्ञप्तियां जारी,आज जारी जिलावार विज्ञप्तियां देखने के लिए क्लिक करें

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रसोइयों की दशा सुधारने की नीति पर पुनर्विचार करें बेसिक शिक्षा परिषद: हाईकोर्ट ने दिया निर्देश

रसोइयों की दशा सुधारने की नीति पर पुनर्विचार करें बेसिक शिक्षा परिषद: हाईकोर्ट ने दिया निर्देश


नगरीय क्षेत्रों में होंगे प्राथमिक शिक्षकों के तबादले, वरिष्ठता के आधार पर शिक्षकों से मांगा जाएगा विकल्प, शासनादेश जारी

नगरीय क्षेत्रों में होंगे प्राथमिक शिक्षकों के तबादले, वरिष्ठता के आधार पर शिक्षकों से मांगा जाएगा विकल्प, शासनादेश जारी++


लखनऊ : विधानसभा चुनाव के मद्देनजर परिषदीय प्राथमिक स्कूलों के शिक्षकों को खुश करने की मंशा और नगरीय इलाकों के स्कूलों में अध्यापकों की जबरदस्त कमी। यही वजह है कि सरकार को छह साल बाद एक बार फिर परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों का ग्रामीण क्षेत्रों से नगरीय इलाकों में तबादला करने की याद आयी है। लिहाजा शासन ने ग्रामीण इलाकों के शिक्षकों से विकल्प लेकर नगर महापालिका/नगर पंचायत क्षेत्रों के प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापकों के 50 फीसद रिक्त पदों पर उनका तबादला करने का फैसला किया है। बेसिक शिक्षा विभाग ने इस बारे में मंगलवार को शासनादेश जारी कर दिया है। सरकार ने पिछली बार वर्ष 2010 में ग्रामीण से शहरी इलाकों में शिक्षकों का तबादला किया था।
ग्रामीण और नगरीय क्षेत्रों के परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों के संवर्ग अलग-अलग हैं। सामान्य तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों के शिक्षकों का तबादला नगरीय इलाकों में नहीं होता है। प्रदेश के विभिन्न जिलों के नगरीय क्षेत्र के 
परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में लंबे समय से शिक्षकों की नियुक्ति पर प्रतिबंध लगा हुआ है। प्रतिबंध के कारण एक तरफ तो शिक्षक भर्ती नहीं हुए, दूसरी ओर साल दर साल शिक्षक रिटायर होते रहे।
बीच-बीच में प्राथमिक विद्यालयों के सहायक अध्यापक प्रमोट होकर या तो प्राथमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापक बन गए या उच्च प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापक। इससे नगरीय क्षेत्र के प्राथमिक स्कूलों में बड़ी संख्या में शिक्षकों के पद रिक्त हैं।

बीटीसी में अब घर बैठे दाखिला, ऑनलाइन आवेदन की तर्ज पर काउंसिलिंग, शासन के निर्देश पर बन रहा प्रस्ताव आवेदन की फरवरी से तैयारी

बीटीसी में अब घर बैठे दाखिला, ऑनलाइन आवेदन की तर्ज पर काउंसिलिंग, शासन के निर्देश पर बन रहा प्रस्ताव आवेदन की फरवरी से तैयारी


राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : बेसिक टीचर्स सर्टिफिकेट (बीटीसी) में दाखिले की राह अब और आसान होने जा रही है। युवाओं को आवेदन के लिए न फार्म लेने जाना पड़ेगा और न काउंसिलिंग कराने के लिए शहर-शहर भटकना होगा। घर में बैठकर युवा ऑनलाइन आवेदन करेंगे और फिर उसी तर्ज पर ऑनलाइन काउंसिलिंग करा सकेंगे। संबंधित शहर एवं प्रशिक्षण कराने वाले कॉलेज का चयन होने के बाद उन्हें औपचारिकता पूरी करके पढ़ाई करने के लिए ही वहां जाना होगा।
प्रदेश में बीटीसी 2016 की प्रवेश प्रक्रिया में आमूलचूल बदलाव करने की तैयारी है। परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय ने कुछ दिन पहले इसके लिए प्रस्ताव तैयार किया था। उसमें जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) व निजी कॉलेजों को अपनी-अपनी सीटें भरने का मौका दिए जाने का प्रस्ताव था, क्योंकि हर बार निजी कॉलेज सीटें न भरने का ठीकरा डायटों पर फोड़ते आ रहे हैं। शासन ने इसे खारिज कर दिया है। साथ ही अफसरों ने 
प्रस्ताव में व्यापक बदलाव करने का निर्देश दिया है। इसमें अभ्यर्थियों को बेवजह की भागदौड़ से मुक्ति दिलाने व सब कुछ पारदर्शी ढंग से करने की बात कही गई है, ताकि विवादों की गुंजाइश न रहे।
असल में प्राथमिक विद्यालयों में हो रही भर्तियों से युवाओं में शिक्षक बनने की ललक इधर बढ़ी है। वहीं, बीटीसी कराने वाले निजी कॉलेजों में भी बाढ़ आ गई है। वहां सीटें भरने एवं कटऑफ मेरिट से कम पर दाखिला देने या कटऑफ से अधिक अंक वाले अभ्यर्थियों को बैरंग लौटाने की खूब शिकायतें हैं। हर साल तमाम प्रकरण कोर्ट तक पहुंच रहे हैं। इसमें अभ्यर्थी तो परेशान होते ही हैं साथ ही विभाग की भी फजीहत हुई है। ऐसे में परीक्षा नियामक कार्यालय ऑनलाइन आवेदन के बाद अब ऑनलाइन काउंसिलिंग की ओर बढ़ने जा रहा है। ऑनलाइन काउंसिलिंग का प्रस्ताव तैयार हो रहा है, जिसे बीटीसी 2016 से लागू कराने की तैयारी है। नए प्रस्ताव को दिसंबर के अंतिम सप्ताह या फिर जनवरी के पहले पखवारे में भेजा जाएगा। उम्मीद है कि फरवरी से ऑनलाइन आवेदन लिए जाएंगे और ऑनलाइन काउंसिलिंग के जरिए अप्रैल-मई तक सारी सीटें भरकर नया सत्र शुरू होगा। परीक्षा नियामक प्राधिकारी रजिस्ट्रार नवल किशोर ने बताया कि इस दिशा में तेजी से कार्य हो रहा है।

32 हजार अनुदेशकों की जल्द भर्ती शुरू होने के आसार, चार साल में साढ़े तीन लाख नियुक्तियां

32 हजार अनुदेशकों की जल्द भर्ती शुरू होने के आसार, चार साल में साढ़े तीन लाख नियुक्तियां


राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : बेसिक शिक्षा परिषद उप्र के सचिव संजय सिन्हा के कार्यकाल में परिषद को एक से बढ़कर एक उपलब्धियां हासिल हुई हैं।
इस दौरान परिषदीय विद्यालयों में साढ़े तीन लाख से अधिक शिक्षक-शिक्षिकाओं की नियुक्ति हुई है। वहीं 16 हजार से अधिक शिक्षकों का अंतर जिला तबादला हुआ है। शिक्षकों की सामान्य एवं उर्दू शिक्षक भर्ती फिर शुरू होने जा रही है, वहीं उच्च प्राथमिक स्कूलों में 32 हजार अनुदेशकों की भर्ती प्रक्रिया जल्द ही शुरू होने के आसार हैं। मंगलवार को सचिव का कार्यकाल पूरा होने पर अफसर व कर्मचारियों ने कार्यो का सिंहावलोकन किया। इसमें शिक्षक नियम संग्रह सहित तमाम कार्य पूरे कराए गए।

सचिव पद पर चार साल पूरा होने पर संयुक्त सचिव अशोक कुमार, बसु बंधु सिंह, रेनू विज, अरुण कुमार उपाध्याय, शैलेंद्र कुमार कुशवाहा आदि ने उन्हें बधाई दी और ईश्वर से उनके स्वस्थ रहने की कामना की। सिन्हा इसके पहले 22 दिसंबर 2000 से 31 मई 2003 तक इसी पद पर रह चुके हैं।


आठवीं तक फेल नहीं करने की नीति को यूनिसेफ ने बताया ठीक: शिक्षा की गुणवत्ता घटने के लिए इस नीति को जिम्मेदार ठहराना गलत

आठवीं तक फेल नहीं करने की नीति को यूनिसेफ ने बताया ठीक: शिक्षा की गुणवत्ता घटने के लिए इस नीति को जिम्मेदार ठहराना गलत


शिक्षा की गुणवत्ता घटने के लिए इस नीति को जिम्मेदार ठहराना गलत
स्कूल-पूर्व शिक्षा से दसवीं तक की पढ़ाई हो आरटीई के दायरे में
खुले में शौच से मुक्ति को लेकर पहली बार दिख रही इतनी तत्परता
बच्चों के अधिकार के लिए काम करने वाला यूनिसेफ हुआ 70 साल का
मुकेश केजरीवाल, नई दिल्ली
जहां सरकार आठवीं तक के छात्रों को अनिवार्य रूप से पास करने की नीति को बदलने की तैयारी में है, संयुक्त राष्ट्र की बच्चों के कल्याण के लिए बनी संस्था यूनिसेफ मौजूदा नीति को सही बता रही है। यूनिसेफ के भारत प्रतिनिधि लूई जॉर्ज आर्सेनाल्ट कहते हैं कि वार्षिक परीक्षा पढ़ाई के मूल्यांकन का बेहतर तरीका नहीं है। इसलिए बच्चों को पास-फेल के खेल में नहीं झोंकना चाहिए। पेश है बच्चों के लिहाज से भारत के विकास लक्ष्यों पर हुई उनसे बातचीत के प्रमुख अंश:

यूनिसेफ 1949 से भारत में काम कर रहा है। भारत को अब किन मुद्दों पर प्राथमिकता देनी चाहिए?
उत्तर : सबसे पहली तवज्जो तो शिक्षा की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने पर होनी चाहिए। शिक्षा के बेहतर नतीजे पाने के लिए हमें शिक्षा के क्षेत्र में सरकारी व्यवस्था को मजबूत करना होगा। इसी तरह कुपोषण की वजह से आज भी भारत में पांच साल से कम उम्र के 39 फीसद बच्चे ठिगने रह जाते हैं, यानी स्टंटिंग के शिकार हैं। इसी से जुड़ा मुद्दा है स्वच्छता का। स्वच्छता नहीं होने से स्टंटिंग ही नहीं बहुत सी गंभीर बीमारियां भी अपना शिकार बनाती हैं। चौथी प्राथमिकता बाल श्रम और बाल विवाह को खत्म करना है जिसके लिए लगातार जोर देते रहना होगा। नवजात बच्चों की मृत्यु दर को सीमित करना अहम लक्ष्य है।
शिक्षा के क्षेत्र में क्या नीतिगत बदलाव जरूरी हैं?1उत्तर : शिक्षा के अधिकार (आरटीई) में दो अहम संशोधन जरूरी हैं। कम से कम 16 साल तक की उम्र (दसवीं क्लास) तक यह अधिकार मिलना चाहिए। अभी यह सिर्फ 14 साल की उम्र तक है। अगर आप चाहते हैं कि देश को बाल श्रम और बाल विवाह से मुक्ति मिले तो बच्चों को स्कूल में रखना होगा।
इसी तरह आरटीई लाते समय ईसीई यानी प्रारंभिक बाल्यकाल शिक्षा पर ध्यान नहीं दिया गया था। यह बहुत जरूरी है कि स्कूल पूर्व शिक्षा और स्कूली शिक्षा दोनों एक ही व्यवस्था का हिस्सा हों। इसलिए इसे आरटीई में शामिल किया जाना चाहिए।
आंगनबाड़ी में यह हो रहा है..
उत्तर : स्कूल-पूर्व शिक्षा अभी लोगों का कानूनी हक नहीं है। इस कानून में संशोधन लाना होगा। दुनिया भर के तमाम शोध इस बात को साबित करते हैं कि अगर हम प्रारंभिक बाल्यकाल विकास और एक साल की स्कूल-पूर्व शिक्षा मुहैया करवा दें तो बच्चा आगे औपचारिक शिक्षा में भी बेहतर साबित होता है।
आठवीं तक फेल नहीं करने की नीति बदली जा रही है। यह ठीक है?
उत्तर : प्रारंभिक शिक्षा में ऐसी व्यवस्था नहीं होनी चाहिए कि आप एक बार एक परीक्षा में फेल कर जाएं तो आपको दोबारा पूरे साल उसी क्लास में पढ़ना पड़े। पहले यह होता था। लेकिन अगर आप आरटीई के प्रावधानों को देखें जिसमें एक्टिविटी बेस्ड लर्निग (गतिविधियों पर आधारित शिक्षा) की बात की गई है तो वहां तो इसका ठीक उल्टा है। यहां बच्चों का आकलन इस आधार पर नहीं किया जाना कि एक परीक्षा हो जिसमें हम बताएं कि तुम पास हुए और तुम फेल। इसलिए हम सरकार को सुझाव दे रहे हैं कि फिर से पास-फेल की नीति नहीं लाई जाए।
लेकिन अधिकांश राज्यों ने कहा कि फेल न करने से शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।
उत्तर : अगर शिक्षा की गुणवत्ता नीचे गई तो यह फेल नहीं करने की नीति की वजह से नहीं है। नीति को सही तरीके से लागू नहीं कर पाने की वजह से हो सकता है। आरटीई में नियमित और समग्र मूल्यांकन (सीसीई) का प्रावधान किया गया था। बच्चे की प्रगति को जांचने का सबसे अच्छा तरीका सीसीई ही है।
टीकाकरण बढ़ाने के कार्यक्रम की प्रगति से कितने संतुष्ट हैं?
उत्तर : इंद्रधनुष कार्यक्रम में हम इसकी योजना तैयार करने के स्तर से ही साङोदार हैं। इससे टीकाकरण कवरेज में एक वर्ष में चार से पांच फीसद की बढ़ोतरी हुई है, जो पहले सिर्फ एक फीसद की दर से बढ़ रहा था।
खुले में शौचालय से मुक्ति (ओडीएफ) का हम लक्ष्य हासिल कर पाएंगे?
उत्तर : सरकार ने वर्ष 2019 तक इसे पूरी तरह समाप्त करने का लक्ष्य रखा है जो बहुत महत्वाकांक्षी लक्ष्य है। यह पहला मौका है जब सरकार ओडीएफ पर इतना जोर दे रही है। इस मामले में पिछले दो दशक के दौरान बहुत काम नहीं हुआ।
बच्चों के उत्पाद बेचने वाली कंपनियों से आप साङोदारी करते हैं, इससे उन्हें अनावश्यक लाभ मिलने की आशंका नहीं?
उत्तर : भारत में निजी क्षेत्र बहुत योगदान कर सकता है। हमारी कोशिश है कि इन मुद्दों पर सरकार और निजी क्षेत्र मिल कर काम कर सकें। साङोदारी के दौरान उनके लिए आचार संहिता तय होती है, जिसका उन्हें पालन करना होता है।

16460 शिक्षक भर्ती का आवेदन 28 से, भर्ती कार्यक्रम जारी: आज से जारी होगा विज्ञापन सभी बीएसए को भेजा निर्देश, ऑनलाइन लिए जाएंगे आवेदन व ई-चालान से जमा होगा शुल्क

16460 शिक्षक भर्ती का आवेदन 28 से, भर्ती कार्यक्रम जारी: आज से जारी होगा विज्ञापन सभी बीएसए को भेजा निर्देश, ऑनलाइन लिए जाएंगे आवेदन व ई-चालान से जमा होगा शुल्क


राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद

बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से संचालित प्राथमिक विद्यालयों में 16460 शिक्षकों की भर्ती का कार्यक्रम मंगलवार को जारी हो गया है। एक सप्ताह पूर्व शासन ने 12460 सामान्य व 4000 पदों पर उर्दू भाषा के शिक्षकों की नियुक्तियों के लिए अलग-अलग आदेश जारी किया था। उसी तर्ज पर रजिस्ट्रेशन एवं ऑनलाइन आवेदन लेने का कार्यक्रम भी अलग-अलग जारी हुआ है, इसमें तारीखें भी भिन्न हैं। दोनों में समानता सिर्फ इतनी है कि 21 एवं 22 दिसंबर को बेसिक शिक्षा अधिकारी दोनों भर्तियों का विज्ञापन जारी करेंगे। आवेदन 28 दिसंबर से लिए जाएंगे। परिषद सचिव संजय सिन्हा ने सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को आदेश जारी कर दिया है।


12460 सामान्य शिक्षक भर्ती : 28 दिसंबर को दोपहर बाद से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन एवं आवेदन पत्र भरे जाने की शुरुआत होगी। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की अंतिम तारीख नौ जनवरी शाम पांच बजे तक है। ऐसे ही 11 जनवरी तक आवेदन शुल्क जमा किया जा सकेगा। 13 जनवरी को शाम पांच बजे तक चालान भरते हुए आवेदन पूर्ण करने की अंतिम तारीख है। आवेदन पत्र में त्रुटि सुधार अभ्यर्थी 17 से 19 जनवरी शाम पांच बजे तक कर सकेंगे।

4000 उर्दू शिक्षक भर्ती : 30 दिसंबर को दोपहर बाद से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन एवं आवेदन पत्र भरे जाने की शुरुआत होगी। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की अंतिम तारीख 10 जनवरी शाम पांच बजे तक है। ऐसे ही 11 जनवरी तक आवेदन शुल्क जमा किया जा सकेगा। 13 जनवरी को शाम पांच बजे तक चालान भरते हुए आवेदन पूर्ण करने की अंतिम तारीख है। आवेदन पत्र में त्रुटि सुधार अभ्यर्थी 16 से 18 जनवरी शाम पांच बजे तक कर सकेंगे।

जहां पद नहीं, वह अभ्यर्थी दूसरे जिलों में करें आवेदन : सचिव ने यह भी निर्देश दिया है कि नियुक्तियों में पूरी पारदर्शिता बरती जाए। साथ ही ऐसे जिले जहां के लिए पद आवंटित नहीं है वहां के अभ्यर्थी किसी भी अन्य जिले में प्रथम वरीयता के आधार पर आवेदन कर सकते हैं।

इस कार्य में शिथिलता स्वीकार नहीं होगी। वहीं, गलत तथ्य या फिर कूटरचित अभिलेखों के साथ आवेदन करने वालों पर मुकदमा दर्ज कराने के निर्देश दिए गए हैं।

नियुक्ति की अर्हता भी तय :शिक्षकों के सामान्य पदों पर भर्ती के लिए अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) उत्तीर्ण बीटीसी/विशिष्ट बीटीसी अभ्यर्थी अर्ह होंगे। वहीं उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति के लिए उर्दू बीटीसी योग्यताधारी या 11 अगस्त, 1997 से पहले के मोअल्लिम-ए-उर्दू उपाधिधारकों और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से डिप्लोमा इन टीचिंग उत्तीर्ण करने वाले उन अभ्यर्थियों की नियुक्ति की जाएगी जो भाषा शिक्षकों के लिए आयोजित अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) उत्तीर्ण होंगे।

नहीं सुधरे ‘गुरु जी’ तो कार्रवाई पक्की, शिक्षकों के कार्यो का होगा मूल्यांकन

नहीं सुधरे ‘गुरु जी’ तो कार्रवाई पक्की, शिक्षकों के कार्यो का होगा मूल्यांकन


यूपी बोर्ड के हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षाएं कुछ माह में होने वाली हैं। मगर अभी तक 60 प्रतिशत तक ही कोर्स विद्यार्थियों का पूरा हो सका है। अधूरे कोर्स के लिए जिम्मेदार शिक्षकों पर डीआइओएस ने शिकंजा कस दिया है। डायरी अपडेट नहीं करने वाले शिक्षकों पर प्रशासनिक कार्रवाई होगी। 1दरअसल बोर्ड परीक्षा के मद्देनजर कई बार डीआइओएस ने शिक्षकों को गणित, विज्ञान, हंिदूी, अंग्रेजी, फिजिक्स, रसायन शास्त्र समेत कई विषयों के कोर्स पूरा कराने के निर्देश दिए थे। इसके बावजूद स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। इस पर डीआइओएस ने कोर्स पूरा न कराने वाले शिक्षकों पर शिकंजा कसते हुए प्रधानाचार्य को निर्देश दिए हैं कि मातहत शिक्षकों को डायरी अपडेट कराने को कहें। निरीक्षण के दौरान डायरी अपडेट नहीं पाए जाने पर संबंधित शिक्षक पर प्रशासनिक कार्रवाई की जाएगी। इतना ही नहीं डायरी में झूठी सूचना अंकित करना महंगा पड़ेगा क्योंकि डायरी में दर्ज कोर्स की पड़ताल विद्यार्थियों से की जाएगी। निरीक्षण पर जाने वाले अफसर विद्यार्थियों से पूछताछ करेंगे कि कोर्स की क्या हकीकत है। शिक्षक के द्वारा निरीक्षण टीम को गुमराह किया गया तो उसे महंगा पड़ेगा। जांच टीम संबंधित शिक्षक की प्रगति रिपोर्ट निर्धारित प्रोफार्मा पर भरकर डीआइओएस कार्यालय में जमा करेगी। प्रोफार्मा में दर्ज सूचनाओं के आधार पर ही संबंधित विषय के शिक्षक पर प्रशासनिक कार्रवाई की संस्तुति डीआइओएस करेंगे। 1जिला विद्यालय निरीक्षक गोविंद राम ने बताया कि शिक्षा सत्र अप्रैल में शुरू हो गया था। माध्यमिक शिक्षा परिषद ने पहले ही कोर्स से संबंधित कैलेंडर जारी कर रखा है। माहवार कोर्स पूरा कराने का लक्ष्य शिक्षक को दिया जा चुका है। इसके बाद भी शिक्षक अपनी कार्य प्रणाली में सुधार नहीं लाते हैं तो उन पर कार्रवाई निश्चित है।

बीआरसी पर पहुंचा वितरित करने के लिए बैग

बीआरसी पर पहुंचा वितरित करने के लिए बैग


मुहम्मदाबाद (गाजीपुर) : चुनाव आयोग कब मुंह खोल दे और आचार संहिता लागू हो जाए इसको लेकर राजनीतिक दलों से लेकर सरकारी विभाग भी बचे खुचे कार्यों को पूरा करने में तेजी दिखा रहे हैं। कुछ ऐसा ही देखने को मिला परिषदीय शिक्षा विभाग में। मंगलवार को दोपहर बाद अचानक बीआरसी कार्यालय पर बंद ट्रक से बच्चों को वितरित करने के लिए बैग पहुंचा। मजदूरों ने मिलकर उसे सुरक्षित स्थान पर रखने का कार्य किया। बैग उतरने की जानकारी लोगों को मिलने पर इस बात की चर्चा जोरों पर होने लगी सत्र अप्रैल से शुरू है और इस शिक्षा सत्र में मात्र तीन माह बच गये हैं। अब चुनाव नजदीक आते देख विभाग किसी तरह इस मद में जारी किये गये धन को खर्च करने के लिए आनन फानन में बैग को बच्चों को बांटकर किसी तरह से अपने कार्यों की इतिश्री करने में लग गया है। वहीं मौके पर खड़े कुछ शिक्षकों ने कहा कि अब चुनाव आयोग की ओर से जल्द ही चुनाव की घोषणा भी होनी है इसको देखते हुए इस तरह की जल्दबाजी की जा रही है। अगर चुनाव की घोषणा हो गई तो समारोह पूर्वक इसका वितरण करने का मौका किसी को नहीं मिल पायेगा।

फर्जी दस्तावेज पर 19 शिक्षकों की नौकरी पर तलवार, 16448 सहायक अध्यापक पदों के लिए जून 2016 में हुई थी काउंसिलिंग

मथुरा: परिषदीय विद्यालयों में फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति पा चुके 19 शिक्षकों की नौकरी पर तलवार लटक गई है। सभी ने स्नातक के फर्जी प्रमाण-पत्र लगाए थे। बीएसए द्वारा इनके नियुक्ति आदेश निरस्त किए जाने की कार्रवाई की जा रही है। मंगलवार को एसएसपी को प्राथमिकी दर्ज कराने को पत्र भी दिया गया है।
प्रदेशभर में 16448 सहायक अध्यापक पदों के लिए जून 2016 में काउंसिलिंग हुई थी। जिले में भी 173 पदों के लिए काउंसि¨लग हुई। इसमें 19 अभ्यर्थी द्वारा लगाए गए स्नातक के शैक्षिक दस्तावेज कूटरचित प्रतीत हुए। अभ्यर्थियों द्वारा लगाए गए दस्तावेज का शपथ पत्र भी लगाया गया था। आवेदन पत्र में भी यह दस्तावेज लगाए गए थे। दस्तावेज की जांच में शैक्षिक प्रमाण पत्र कूटरचित प्रतीत हुए हैं। बीएसए मनोज कुमार मिश्र द्वारा सभी 19 शिक्षकों की नियुक्ति को निरस्त करने की कार्रवाई की जा रही है। एसएसपी को भी प्राथमिकी दर्ज कराने को पत्र दिया है।

27 शिक्षक निलंबित
बीएसए द्वारा मंगलवार को शिक्षकों पर बड़ी कार्रवाई की गई। निरीक्षण के दौरान अनुपस्थित मिले 27 शिक्षकों को निलंबित कर दिया गया है। बीएसए द्वारा 3 दिसंबर को नंदगांव विकास खंड में निरीक्षण किया गया था। इसमें 37 शिक्षक अनुउपस्थित मिले थे। इस निरीक्षण से शिक्षकों में खलबली मच गई थी। इसमें 27 शिक्षकों को निलंबित किया गया और 8 का एक दिन का वेतन रोक दिया गया है। दो शिक्षकों को चेतावनी दी गई है।

निर्वाचन आयोग ने दिए संकेत, चुनावी तैयारी पूरी; अधिसूचना कभी भी

निर्वाचन आयोग ने दिए संकेत, चुनावी तैयारी पूरी; अधिसूचना कभी भी


वाराणसी (जेएनएन)। भारत निर्वाचन आयोग के उप निर्वाचन आयुक्त विजयदेव ने वाराणसी, आजमगढ़ व विंध्याचल मंडल के दस जिलों की समीक्षा बैठक में कहा कि चुनाव अधिसूचना कभी भी जारी हो सकती है। अधिकारी पूरी तरह तैयार रहें। अधिकारियों को उन्होंने निर्देश दिया कि अधिसूचना जारी होने की सूचना मिलते ही 24 घंटे के अंदर पब्लिक को यह दिखना चाहिए कि चुनाव घोषित हो चुका है। गैरकानूनी व लाइसेंसी सभी असलहे जब्त करें। सकुशल चुनाव कराने में जो भी रोड़ा आए, उसे बिल्कुल हटा दें। चुनाव आचार संहिता का कड़ाई से पालन सुनिश्चित कराएं। उप निर्वाचन आयुक्त कमिश्नरी सभागार में तीन मंडल के दस जिलों के आला प्रशासनिक व पुलिस अफसरों के साथ पांच घंटे तक विस चुनाव की तैयारी की समीक्षा की। इस दौरान तीनों मंडल के एक-एक जिले की वोटरलिस्ट से लगायत बूथ तक की तैयारी का जायजा लिया। जिलों के अफसरों ने प्रोजेक्टर के माध्यम से अपने-अपने जिलों की स्थिति आयोग के समक्ष रखी।

29334 विज्ञान-गणित के शिक्षकों के खाली पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू, परिषद के पास नहीं खाली पदों का ब्योरा, ब्योरा उपलब्ध कराने को जिलों के बीएसए को आदेश किए जारी

29334 विज्ञान-गणित के शिक्षकों के खाली पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू, परिषद के पास नहीं खाली पदों का ब्योरा, ब्योरा उपलब्ध कराने को जिलों के बीएसए को आदेश किए जारी


बेसिक शिक्षा परिषद के उच्च प्राथमिक स्कूलों में विज्ञान व गणित विषय के 29,334 सहायक अध्यापकों की भर्ती में खाली रह गए पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। परिषद ने सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों से सातवीं काउंसिलिंग के बाद खाली पदों का ब्योरा मांगा है। बुधवार को शासन में भर्ती पूरी करने के संबंध में बैठक होनी है।
दरअसल 29,334 शिक्षक भर्ती 11 जुलाई 2013 को शुरू हुई थी। सातवें राउंड की काउंसिलिंग के बावजूद बड़ी संख्या में पद खाली रह गए। इस पर मनोज कुमार सिंह और 68 अन्य अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट मे याचिका की थी। हाईकोर्ट ने 25 नवंबर को दो महीने में खाली पदों पर योग्य अभ्यर्थियों की नियुक्ति के निर्देश दिए थे।

परिषद के पास नहीं खाली पदों का ब्योरा
इलाहाबाद। विज्ञान व गणित विषय के 29,334 सहायक अध्यापकों की भर्ती में खाली पदों का ब्योरा बेसिक शिक्षा परिषद के पास नहीं है। परिषद के संयुक्त सचिव अशोक कुमार गुप्ता ने सोमवार को सभी बीएसए को शाम तक ब्योरा उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे। हालांकि मंगलवार शाम तक एक दर्जन से अधिक जिलों ने सूचना नहीं भेजी थी।

ग्रामीण क्षेत्र से शहरी क्षेत्र में ट्रान्सफर के किये आदेश जारी

ग्रामीण क्षेत्र से शहरी क्षेत्र में ट्रान्सफर के किये आदेश जारी





विशाल धरना-प्रदर्शन उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाई स्कूल (पू0मा0) शिक्षक संघ, इलाहाबाद

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*विशाल धरना-प्रदर्शन*
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*सम्मानित शिक्षक साथियों,*
*उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाई स्कूल (पू0मा0) शिक्षक संघ, इलाहाबाद के तत्वावधान में आज समय 10 बजे सर्व शिक्षा अभियान (SSA) कार्यालय में शिक्षकों की विभिन्न समस्याओं को लेकर धरना-प्रदर्शन है।संघ आप सभी शिक्षकों से धरने को सफल बनाने की अपील करता है ।आप सभी सम्मानित शिक्षक साथी सामूहिक अवकाश/ C.L. लेकर अपनी शत्-प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित करें ।*
     *धरना-प्रदर्शन में आप सभी सम्मानित शिक्षकों की उपस्थिति अनिवार्य है ।*
  अगर चाहते हैं समस्या का निदान ।
  तो समय का रखिएगा ध्यान ।
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*दिनांक- 21/12/2016*
*समय- 10 बजे*
*स्थान- सर्व शिक्षा अभियान कार्यालय, इलाहाबाद*
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*सप्रेम---*
*विनोद पांडेय जी  (जिला अध्यक्ष)*
*राजेश सिंह पटेल (जिला महामंत्री)*
जूनियर हाई स्कूल शिक्षक संघ,
इलाहाबाद
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