14.3.17

शिक्षामित्र विवाद के पीछे जानिए क्या है हकीकत: शिक्षामित्र एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में 11 महीने के संविदा पर रखे गये

शिक्षामित्र विवाद : उत्तर प्रदेश में शिक्षामित्रों के चयन हेतु प्रथम शासनादेश दिनांक 26.05.1999 को जारी हुआ था । यह योजना युवाओं की प्राथमिक शिक्षा में भागीदार हेतु थी । विश्व बैंक के सहयोग से सहायक अध्यापकों की सहायता 

हेतु शिक्षामित्र एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में 11 महीने के संविदा पर रखे गये तथा समय-समय पर नये नियम आते रहे।


इनका चयन ग्राम शिक्षा समिति द्वारा होता था ।
मेरी टीम के संरक्षक विजयराज सिंह का चयन प्रथम चरण में शिक्षामित्र पद पर हो जाता।
मेरिट में वो टॉप पर थे परंतु उनकी उम्र दो वर्ष अधिक थी ।
इसलिए उन्होंने हाई कोर्ट से बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 में आरक्षित वर्ग के लिए मिली उम्र की छूट के तहत छूट मांगी ।
BSA इलाहाबाद ने काउंटर लगाया कि शिक्षामित्रों का चयन बेसिक शिक्षा नियमावली से नहीं हुआ है , इनका चयन मात्र संविदा कर्मी के रूप में 11 महीने के लिए हुआ है अतः आरक्षण की बात लागू नहीं होगी ।
इस प्रकार विजय राज भाई शिक्षामित्र नहीं बन सके ।
RTE एक्ट लागू होने के बाद शिक्षामित्र योजना बंद कर दी गयी ।
इस प्रकार शिक्षामित्र अध्यापक नहीं थे मगर दिनांक 4 जनवरी 2011 को उत्तर प्रदेश में शिक्षकों की भारी कमी दिखाकर शिक्षामित्रों को कार्यरत शिक्षक बताकर NCTE से सरकार ने शिक्षामित्रों के प्रशिक्षण हेतु इजाजत मांगी तथा दिनांक 14 जनवरी 2011 को इजाजत मिल गयी ।
जबकि दिनांक 23 अगस्त 2010 को भारत सरकार के राजपत्र से बीएड वालों को नियुक्ति की छूट मिल गयी थी मगर राज्य सरकार ने बीएड बेरोजगारों की अनदेखी कर दी ।
यदि सरकार ने शिक्षामित्रों की बजाय बीएड पर दांव लगाया होता तो उसके लिए अधिक श्रेयष्कर होता ।
प्रशिक्षण के विरुद्ध बीएड वाले हाई कोर्ट गये और स्थगन मिल गया परंतु खंडपीठ ने यह कहकर स्थगन हटा दिया कि यदि ये कार्यरत शिक्षक नहीं होंगे तो इनका प्रशिक्षण याचिका के अंतिम निर्णय के आधीन रहेगा अर्थात निरस्त होगा ।
प्रशिक्षण के बाद वर्ष 2014 एवं 2015 में दो चरणों में लगभग 1.37 लाख शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक पद पर समायोजन हुआ।
समायोजन के लिए राज्य सरकार ने राज्य के बाल शिक्षा अधिकार कानून 2011 में प्रथम संशोधन करके शिक्षामित्रों को बगैर टीइटी के ही नियुक्त करने का नियम बनाया और बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 में 19वां संशोधन करके रूल 16 में उप क्लॉज़ जोड़ा और रूल 8 में शिक्षामित्र योग्यता को स्थान दिया ।
बीएड और बीटीसी बेरोजगारों ने समायोजन को चुनौती दी ।
इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ० DY चंद्रचूड ने दोनों संशोधन रद्द कर दिया और शिक्षामित्रों को संविदाकर्मी बताकर उनका समायोजन निरस्त कर दिया ।
चीफ जस्टिस ने स्पष्ट किया कि यूपी बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 से इनका कोई सम्बन्ध नहीं है ।
शिक्षामित्रों का प्रशिक्षण मामला NCTE पर छोड़ दिया ।
जब सुनवायी चल रही थी तो विजय राज भाई ने कहा कि राहुल भाई इलाहाबाद BSA का काउंटर चीफ साहब को दिखाया जाये तो मैंने कहा कि आप धैर्य रखें दुनिया का सर्वोच्च विद्वान के यहाँ सुनवाई हो रही है, अंत में सत्य खोज लेंगे ।
अंततः चीफ साहब ने संविदाकर्मी बताकर ही समायोजन निरस्त किया ।
ऑनलाइन वर्क में मैं थोड़ा कमजोर हूँ इसलिए श्याम देव मिश्र द्वारा खोजी गयी उमादेवी की नजीर को राजेश राव से मैंने मुकदमे में जिस तरह लिखाया था , चीफ साहब ने उसी शब्दों में आर्डर में उसे लिखाया है ।
शिक्षामित्र/सरकार सुप्रीम कोर्ट गये जहाँ पर उनको दिनांक 7.12.2015 को बीएड के 1100 याचियों को नियुक्ति देने की शर्त पर स्थगन मिला ।
मामला अभी पेंडिंग है ।

सुप्रीम कोर्ट में शिक्षामित्रों की पैरवी करे सरकार, MHRD से मिला शिक्षामित्र संगठन

सुप्रीम कोर्ट में शिक्षामित्रों की पैरवी करे सरकार, MHRD से मिला शिक्षामित्र संगठन



CTET: सीटीईटी परीक्षा 14 मई को , 7 अप्रैल तक किया जा सकेगा आवेदन

CTET: सीटीईटी परीक्षा 14 मई को , 7 अप्रैल तक किया जा सकेगा आवेदन


(Man Ki Baat) बिना दंड शिक्षा पर शिक्षकों की राय

छोटे-छोटे बच्चे प्यार की भाषा समझते हैं। जो चीज प्यार से आसानी से उन्हें समझायी जा सकती है उसके लिए दंड का इस्तेमाल क्यों?

बच्चों की पढ़ाई के प्रति रुचि बढ़ाने के लिए किसी भी प्रकार का शारीरिक दंड दिया जाना उचित नहीं होता। जो शिक्षक यह समझते हैं कि इससे बच्चा पढ़ने लगेगा वे वास्तव में भ्रम में हैं। कई शोधों से यह प्रमाणित हो चुका है कि शारीरिक दंड से बच्चों में पढ़ाई के प्रति अरुचि ही बढ़ती है। बड़ी संख्या में बच्चे शारीरिक उत्पीड़न के कारण विद्यालय जाना ही छोड़ देते हैं। कई अध्ययनों में यह बात सामने आई है। हमारी शिक्षा प्रणाली में कई विकार हैं। 

मसलन शिक्षक बनने जा रहे नवयुवकों को प्रशिक्षण के दौरान बताया जाना चाहिए कि छोटे-छोटे बच्चे प्यार की भाषा समझते हैं। जो चीज प्यार से आसानी से उन्हें समझायी जा सकती है उसके लिए दंड का इस्तेमाल क्यों? दरअसल किसी को शिक्षित करना बेहद धैर्य का काम है। एक अच्छा अध्यापक वही साबित हो सकता है कि जिसके मन में अथाह धैर्य हो। आजकल की पीढ़ी में धैर्य बिलकुल भी नहीं है। वह हर चीज तुरंत बिना मेहनत के पा लेना चाहती है।1आजकल के शिक्षकों का भी यही हाल है। वे चाहते हैं कि नौनिहालों को जो वे एक बार बताएं वे तुरंत उसे ग्रहण कर लें। वे अपना बचपन भूल जाते हैं। यह भी भूल जाते हैं कि वे भी तो कोई चीज एक बार में नहीं समझ पाते थे। उनके गुरु जी को बार-बार उसे बताना पड़ता था। बच्चे तो मिट्टी के घड़े के समान होते हैं। उन्हें हम प्यार से ढालेंगे तो उनका बेहतर विकास होगा अन्यथा वे स्कूल छोड़कर घर बैठ जाएंगे।

न जाने कितनी घटनाएं सामने आई हैं जिसमें पता चलता है कि बच्चे ने अध्यापक के बर्बर व्यवहार की वजह से स्कूल जाने से मना कर दिया है। कई बार बच्चों के मन में इस कदर भय बैठ जाता है कि वे मानसिक रूप से कमजोर हो जाते हैं। उनका करियर दांव पर लग जाता है। शिक्षक ों का मूल दायित्व छात्र-छात्रओं के जीवन को ज्ञान के माध्यम से संवारना होता है पर क्या वे पूरी ईमानदारी से अपने कार्यो को निभा पा रहे हैं? शिक्षक को भगवान से भी ऊंचा दर्जा दिया गया है। सरकार को शिक्षा प्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन लाने के लिए और गुरु-शिष्य के संबंध को मजबूत करने के लिए पाठ्यक्रम में बदलाव लाना चाहिए। बदले पाठ्यक्रम में इस संबंध में प्रशिक्षण अवश्य दिया जाना चाहिए कि कैसे बिना दंड छात्र-छात्रओं को विषय के प्रति आकर्षित किया जा सकता है, तभी शिक्षकों की मेहनत सार्थक होगी। 

बिना दंड शिक्षा पर शिक्षकों की राय

अनुदेशको के संघर्ष मे यह छोटी सी शुरूआत



उच्च प्राथिमक अनुदेशक शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन उत्तर प्रदेश ने भारतीय जनता पार्टी मे भी संघर्ष की शुरूआत कर दिया है, जिसके असर की शुरूआत हो ग ई है।
संघठन की प्रदेश मंत्री श्रीमती प्रिया दीक्षित जी ने चुनाव के दौरान माननीय सूक्ष्म,लघुऔर उद्मम केन्द्रीय मंत्री श्री कलराज मिश्रा जी को संघठन के समर्थन पत्र के साथ अनुदेशको का माँग पत्र भी दिया था।
जिस पर कार्यवाही करने के लिये प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा उत्तर प्रदेश शासन, लखन ऊ (उ०प्र०) को निर्देशित किया है।
साथियो अनुदेशको के संघर्ष मे यह छोटी सी शुरूआत बहुत बडा साथ देगी।
धन्यवाद
आपका संघर्षो का साथी
तेजस्वी शुक्ला
प्रदेश अध्यक्ष
उच्च प्राथमिक अनुदेशक शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन उत्तर प्रदेश
मो०970923000(वाट्स अप)

PAB में रू०-17000/- का प्रस्ताव भेजने पर उत्तर प्रदेश शासन की लगी अंतिम मोहर

(PAB में रू०-17000/- का प्रस्ताव भेजने पर उत्तर प्रदेश शासन की लगी अंतिम मोहर)
मित्रों जैसाकि आज सुबह ही आप सबको जानकारी दिया गया था कि मुख्य सचिव महोदय की अध्यक्षता में आज दोपहर बाद 1.00 बजे से राज्य कार्यकारिणी (EC-Executive committee) की बैठक हुई।बैठक के मद्देनजर सुबह से ही संगठन की तरफ से प्रदेश अध्यक्ष तेजस्वी शुक्ल,प्रदेश महासचिव भोला नाथ पाण्डेय,प्रदेश उपाध्यक्ष प्रियंक मिश्रा शासन से लेकर परियोजना स्तर तक पैरवी के हर मोर्चे पर डटे रहे।
राज्य कार्यकारिणी की बैठक में प्रस्ताव में अंकित मानदेय रू०17000/- को पूरा पूरा पास कर दिया गया है।अब उ०प्र० शासन की तरफ से PAB में रू० 17000/- का ही प्रस्ताव जाएगा। संगठन ने इस बार उस टेक्निकल दिक्कत को दूर करवाने का भी पूरा प्रयास किया है जो पिछली बार हुई थी और उसके लिए आज भी मुख्य सचिव महोदय से यह अनुरोध किया गया कि EC की रिपोर्ट में इसका स्पष्ट उल्लेख करके ही भेजें।मुख्य सचिव महोदय ने आज एकबार फिर यह पूर्ण आश्वासन दिया कि EC की रिपोर्ट में स्पष्ट उल्लेख करते हुए इसके लिए अलग से शासना देश भी जारी कर देंगे। EC की रिपोर्ट जारी होने में लगभग एक सप्ताह का समय लगता है इसलिए उसके जारी होते ही रिपोर्ट आप सबके सामने सार्वजनिक कर दिया जाएगा।
महिला प्रशूति अवकाश के मामले में संगठन के प्रतिनिधि मण्डल के साथ दि०-15/12/16 की वार्ता में मुख्य सचिव महोदय ने इसका शासन स्तर पर जल्द ही हल निकालने का वादा किया था।उसके बाद भी संगठन तथा अलग अलग जिलों से महिला अनुदेशकों का परियोजना व शासन पर लगातार दबाव बन रहा था।प्रमुख सचिव बेसिक महोदय ने संगठन से किए अपने वादे के मुताबिक आज मातृत्व अवकाश का भी प्रस्ताव बनवाकर राज्य कार्यकारिणी की बैठक में पेश किया।मुख्य सचिव महोदय की अध्यक्षता वाली कार्यकारिणी ने इसे भी पास कर दिया है।इसका भी साक्ष्य बहुत जल्दी सार्वजनिक कर दिया जाएगा।इसी महीने के अंत तक या अगले महीने में मातृत्व अवकाश का स्पष्ट आदेश भी करा लिया जाएगा।
मानदेय संबंधी गेंद अब पूरी तरह से MHRD के पाले में चली गयी है।संगठन का अब अगला पड़ाव MHRD ही होगा।MHRD के सचिव श्री अनिल स्वरूप जी ने संगठन के साथ दि०-29/12/16 को हुई वार्तालाप में प्रस्ताव की राशि का अधिक से अधिक हिस्सा पास कराने का वादा किया था।EC की रिपोर्ट जारी होते ही संगठन के पदाधिकारी उक्त सचिव महोदय और मानव संसाधन के कैबिनेट व राज्य मंत्री से मिलने के लिए तत्काल निकल जाएंगे।आप सभी लोग उपर वाले से प्रार्थना करें कि प्रस्ताव पूरी तरह से पास हो जाए या अगर कटौती भी हो तो बहुत कम हो।
मानदेय और महिला प्रशूति अवकाश संबंधी प्रस्ताव बनाने और कार्यकारिणी से पास कराने में मुख्य भूमिका निभाने वाले उत्तर प्रदेश शासन के मुख्य सचिव श्री राहुल भटनागर जी का मैं समस्त अनुदेशकों की तरफ से भूरि भूरि प्रशंशा करते हुए बहुत बहुत धन्यवाद देता हूँ और इन दोनों प्रस्तावों को बनाकर कार्यकारिणी के सामने हमारे पक्ष को मजबूती से रखने के लिए प्रमुख सचिव बेसिक श्री अजय कुमार सिंह व परियोजन निदेशक श्री वेद पति मिश्रा जी और वरिष्ठ विशेषज्ञ श्री राजेश श्रीवास जी को भी समस्त अनुदेशकों की तरफ से बहुत बहुत धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ।
प्रस्ताव के रिप्रजंटेशन के लिए संगठन से कई जिलों से कुछ कागजात एकत्र करके जल्द से जल्द परियोजना में देने के लिए कहा गया है जिसका निर्देश संगठन की तरफ से तत्काल सभी जिलाध्यक्षों को दिया जा रहा है। जिलाध्यक्षों से अनुरोध है कि इसे अपनी जिम्मेदारी समझते हुए जल्द से जल्द एकत्र करके प्रदेश कार्यकारिणी को उपलब्ध करा दें।जिन जिलाध्यक्षों को जानकारी न मिल पायी हो वो फोन करके भी जानकारी प्राप्त करके जल्द से जल्द सहयोग करें।
मित्रों विश्वास बनाए रखिए संगठन मानदेय की बृद्धि स्वयं तो नहीं कर सकता है लेकिन इसके लिए प्रत्येक स्टेप पर हर स्तर से पैरवी करने के लिए कटिबद्ध है।आपलोगों का सपोर्ट संगठन को मजबूती से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है।धन्यवाद।
.................जय गंगा मैया....................
आपके संघर्षों का साथी
भोला नाथ पाण्डेय
प्रदेश महासचिव
9936451852
उच्च प्राथमिक अनुदेशक शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन, उ०प्र०

भाजपा को उ०प्र० विधानसभा-2017 में भारी जीत की बहुत बहुत बधाई..

भाजपा को उ०प्र० विधानसभा-2017 में भारी जीत की बहुत बहुत बधाई................
परम आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी,राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह जी और प्रदेश अध्यक्ष श्री केशव प्रसाद जी मौर्य की अगुआई में उत्तर प्रदेश विधानसभा-2017 के आम चुनाव में भारी जीत दर्ज करने के लिए सम्पूर्ण भारतीय जनता पार्टी को और विजयश्री हाशिल करने वाले सभी लगभग 325 मा०विधायकों को मैं पूरे अनुदेशक परिवार की तरफ से बहुत बहुत हार्दिक बधाई देता हूँ।
आदरणीय प्रदेश अध्यक्ष श्री केशव प्रसाद जी मौर्य और फायरब्राण्ड नेता मा०योगी आदित्यनाथ जी की अगुआई में संगठन ने इस आम चुनाव में भाजपा के लिए बढ़ चढ़ कर प्रचार प्रसार किया है।मैं समस्त अनुदेशकों को भी सूझ बूझ भरे इस निर्णय के लिए बहुत बहुत धन्यवाद देता हूँ।
अब केन्द्र और प्रदेश दोनों जगह भाजपा की ही सरकार है इसलिए यह आशा ही नहीं वरन पूर्ण विश्वास है कि हम अनुदेशकों का मानदेय बृद्धि करते हुए जल्द ही नियमित करने पर विचार होगा।धन्यवाद।
..................जय गंगा मैया.......................
आपके संघर्षों अआ साथी
भोला नाथ पाण्डेय
प्रदेश महासचिव
9936451852
उच्च प्राथमिक अनुदेशक शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन, उ०प्र०

अनुदेशक और शिक्षामित्रों के खाते में पहुँचा मानदेय

मृतक आश्रित खबर - आश्रित नियुक्ति तत्कालिक सहायता देना है न की नौकरी देना,

फर्जी तरीके से नौकरी कर रहे 45 दिव्यांग शिक्षक,मेडिकल बोर्ड के सामने सत्यापन को उपस्थित न होने से हुआ खुलासा,

फीकी रह जायेगी परिषदीय शिक्षकों की होली,फरवरी का वेतन जल्द मिलने के आसार नही : BEO ने अभी तक नही भेजा संशोधित बिल,

यूपी बोर्ड परीक्षा वाच - सोशल मीडिया ऐप्स बनेगा नकलचियों का सहारा,नकल पर नकेल कसने के लिए व्हाटऐप्स का सहारा,

नौनिहालों का कम्प्यूटर ज्ञान फाइलों में रह गया कैद,शासन ने बजट आने के बावजूद विभागीय लापरवाही की भेंट चढ़ गई योजना,

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर डायट में हुई अभ्यर्थियों की हुई काउंसिंलिंग : क्लिक कर पढ़ें खबर

B.ED Admission 2017 - दाखिले के लिए ऑनलाइन आवेदन के लिए शुक्रवार से फार्म मिलना शुरू,सामान्य को ₹1000 ओबीसी/एससी/एसटी को ₹550 का मिलेगा फार्म,31 मार्च तक होगा रजिस्ट्रेशन

New Pension Scheme -परिषदीय शिक्षकों के खाते से होगी पेंशन की कटौती,लंबे इंतजार के बाद आया सॉफ्टवेयर,

सातवाँ वेतनमान न मिलने से गुस्साए बीटीसी शिक्षक,16 मार्च से शिक्षक करेंगे चाक डाउन,

केवल अनुपस्थिति के कारण सस्पेंड नहीं कर सकते, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट राज्य शासन सहित अन्य को नोटिस जारी कर 30 मार्च तक माँगा जवाब,

जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने बाल दिवस पर अनुपस्थित रहने के कारण प्रभारी प्राचार्य को अनुपस्थित किए जाने के आदेश को अनुचित पाते हुए रोक लगा दी। इसी के साथ राज्य शासन सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब-तलब कर लिया गया। इसके लिए 30 मार्च तक का समय दिया गया है।
वरिष्ठ न्यायमूर्ति शांतनु केमकर की एकलपीठ में मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता अनूपपुर निवासी राजू केवट की ओर से अधिवक्ता राजेश दुबे ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि 14 दिसम्बर 2015 को याचिकाकर्ता किसी वजह से स्कूल में हाजिर नहीं हो सका।
इसके कारण सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग ने कठोर कदम उठाते हुए निलंबित कर दिया। चूंकि यह कारण इतना बड़ा नहीं था कि सीधे निलंबित कर दिया जाए, अतः न्यायहित में हाईकोर्ट की शरण लेनी पड़ी। इससे पूर्व विभागीय स्तर पर आवेदन-निवेदन किया गया था। एमपी पंचायत अध्यापक संवर्ग रूल-2008 के तहत इस तरह अध्यापकों को प्रताड़ित नहीं किया जा सकता।

अब पिता को भी मिलेगी बच्चे को देखभाल की छुट्टी,CCL के लिए राष्ट्रीय महिला आयोग ने विभिन्न मंत्रालयों के प्रतिनिधियों से उठी मांग पर तैयार किया प्रस्ताव