मिड डे मील साप्ताहिक आहार तालिका मेनू
18.12.16
उत्तरप्रदेश बेसिक शिक्षा का सबसे बडा विवाद, 12 वाँ संसोधन बनाम 15वाँ संसोधन
टीईटी परीक्षा को पात्रता परीक्षा कहा जाता है मै भी कहता हू ये पात्रता परीक्षा है लेकिन क्या एकडेमिक चयन परीक्षा है अगर टेट एक पात्रता परीक्षा है तो एकडेमिक भी एक पात्रता परीक्षा है जहाँ टेट मे क्वाईलीफाइंग का प्रमाण पत्र 60% वही एकडेमिक परीक्षओं मे 33% मे मिलता है टीईटी मे60% लाने के बाद अप्लाई कर सकते है एकडेमिक मे 33% के बाद अप्लाई कर सकते है तो क्वालिटी किसकी ज्यादा सही है यही से पता चलता है दुनिया की कोई भी येसी परीक्षा जिसमे
क्वाइलीफाइंग का प्रमाण पत्र दिया जाता है वो एक पात्रता परीक्षा ही होती है टेट और एकडेमिक दोनो मे प्रमाण पत्र दिया जाता है तो दोनो पात्रता परीक्षा साबित होती हैं !!अब बात करे एकडेमिक को पात्रता परीक्षा साबित करने की टेट 2016 के लिय निरस्तीकरण का आधार 45% रिजर्व कैटगरी और50% सामान्य कैटगरी से कम अंको वालो के आवेदन निरस्त कर दिये फोटो संलग्न है
क्या बैंक IAS PcS की परीक्षा पास करने के बाद कोई प्रमाण पत्र दिया जाता है क्या??
पेपर होने के बाद मेरिट बनाई जाती है जो मेरिट मे आते है उनका चयन हो जाता है और जो रह जाते है वो बिना किसी प्रमाण पत्र के बाहर हो जाते हैं!!
ऊपर मेरे द्वारा दिये गये तर्को से ये साबित होता है ये दोनो ही पात्रता परीक्षा हैं अब विवाद ये है दोनो का कितना भाराँक दिया जाय
जैसा कि बडे भाई जुझारू और अरशद जी ने कहा था अगर100 % एकडेमिक का भारांक असवैधानिक है तो 50या 60% कैसे संवैधानिक हो सकता है तो दोनो बडे भाइयो को कहना चाहता हू कि एक टेट पात्रता परीक्षा को नजरअंदाज करके 100% एकडेमिक का भाराँक देना असवैधानिक है लेकिन वही अगर दोनो पात्रता परीक्षा का एक निश्चित अनुपात मे भारांक देकर के भर्ती करना संविधान के दायरे के अऩ्तर्गत आयेगा
जब विवाद दोनो पात्रता परीक्षाओ का है तो दोनो का भारांक दे दिया जायेगा तो संविधान के दायरे मे आ जायेगा!!!
अब बीटीसी के मित्रो मे अब 9b की बात करता हू 9b कोई बेसिक शिक्षा के इतिहास मे कोई नया नही है एकडेमिक वाले जिस9b को चैलेंज करने की बात करते है वो कई बार खारिज हो चुका है हाइकोर्ट मे दीपकशर्मा स्पेशल अपील657 9b को ही चैलेज कर रही थी इसको माननीय भोसले साहब ने खारिज किया इससे पूर्व माननीय उच्चतम न्यायालय से भी9b खारिज है न्यायमूर्ति ललित साहब ने जब 9b पर सालिस्टर जनरल रंजीत कुमार से सवाल किया कि 9b क्या है तो उन्होने साफ कहा कि वेटेज दिया जाना चाहिय फिर ललित साहब ने कहा कितना तो रंजीत जी ने कहा51 से100% तक दिया जा सकता है तो भाइयो ये9b कोई पहले से ही खारिज है इस पर कुछ नही हो सकता है जब महान्यायवादी ने माननीय उच्चतम न्यायालय मे कहा कि वेटेज देना जरूरी है तो उनसे बडा वकील कौन है जो9b को एल्ट्रावाइरस करा सकता है
कुछ लोग बडे जोर शोर से आजकल कह रहे कि केन्द्रीय परीक्षा मे टेट वेटेज नही दिया जाता है तो वहाँ पर एकडेमिक का वेटेज भी नही दिया जाता है बल्कि चयन परीक्षा होती है अगर वहाँ एकडेमिक का वेटेज होता तो हालात यूपी के तरह ही होते
भाइयो जब सब कुछ पहले ही हो चुका है तो नया कुछ नही होना है!!
अब माननीय अरशद जी से मेरा सवाल अगर टेट मे धाँधली हुयीतो सरकार ने परीक्षा को रद्द क्यु नही किया और वर्तमान समय मे पुलिस की भर्ती सपा सरकार द्वारा एकडेमिक आधार पर कराई जा रही है तो ये बताइये पुलिस की कौन सी परीक्षा मे कौन सी धाँधली हुयी थी?
ज्वलन्त मुद्दा नयी भर्ती12448 पर कुछ लोग बोल रहे कि डी.बी भोसले ने कहा यथास्थिति कि बनाये रखो इसका अर्थ ये है कि 15 एव 16 वे संसोधन से रद्द होने से जिन लोगो का चयन रद्द हो रहा है वो अपनी जगह पर बने रहेगे माननीय उच्चतम न्यायालय के अन्तिम फैसले तक नाकि ये कि 15 & 16 वाँ संसोधन को यथास्थिति किया गया है बल्कि एकडैमिक संसोधन को निरस्त किया है अत: सरकार की नयी भर्ती असवैधानिक है !!!
एकडेमिक के बन्धुओ की टेट को खतम करने की रणनीति उनके दिमाग से उत्पन होकर फेसबुक पर बडी होकर कोर्ट रूम के दरवाजे के अन्दर जाते ही दम तोड देती है!!
" जुल्मी कितना जुल्म करेगा सत्ता के गलियारों से।
जर्रा जर्रा काँप उठेगा इंकलाब के नारो से।।"
संगठित रहे
स्वस्थ रहे
गाली गलौच से बचें!!
जय माधव
आपका
मानवेन्द्र सिंह
आगरा
( Btc batch 2013)
8755874036
सुप्रीमकोर्ट में सरकारी वकील से शिक्षामित्र खफा, शिक्षामित्रों ने वकील की पैरवी को बताया सुस्त
Must Read & Share टी॰ई॰टी॰ बनाम एकेडेमिक / 12 वां संशोधन बनाम 15 वां संशोधन मुद्दा : सामान्य परिचय एवं प्रभाव
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प्रदेश में परिषदीय स्कूलों में स्कूल बैग वितरण का शासनादेश जारी, जानिए किस तरीके से होगा बैग वितरण ;
MDM: मिड डे मील बर्तन के वितरण और क्रय करने का शासनादेश जारी,इन 3 फर्मों से खरीदें बर्तन
परिषदीय विद्यालयों में जनपहल रेडियो कार्यक्रम के सम्बन्ध में आदेश जारी, कार्यक्रम का उद्देश विद्यालय प्रबंध समिति को विद्यालय विकास योजना के प्रति जागरूक करना है
जनपहल रेडियो कार्यक्रम के सम्बन्ध में आदेश, परिषदीय विद्यालयों में जनपहल रेडियो कार्यक्रम के सम्बन्ध में
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UP ELECTION: हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछी चुनाव की तारीख, लखनऊ बेंच ने 22 दिसंबर तक आयोग से मांगा जवाब
लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने केंद्रीय चुनाव आयोग से पूछा है कि क्या प्रदेश के विधानसभा चुनावों के संबंध में तारीखें तय कर ली गई हैं या क्या इस संबंध में कोई प्रस्ताव तैयार किया गया है। न्यायालय ने चुनाव आयोग को इस संबंध में 22 दिसंबर तक जवाब देने का आदेश दिया है।1यह आदेश न्यायमूर्ति एपी शाही व न्यायमूर्ति यूसी श्रीवास्तव की खंडपीठ ने प्रतिमा पाण्डेय की जनहित याचिका पर दिए। याचिका में मांग की गई है कि विधानसभा चुनाव फरवरी-मार्च में न कराकर अप्रैल-मई में कराए जाएं, क्योंकि जनवरी व फरवरी में कड़ाके की ठंड पड़ती है और मार्च में यूपी बोर्ड की परीक्षाओं का समय रहता है। 1कहा गया कि ऐसा प्रतीत होता है कि चुनाव आयोग फरवरी-मार्च में ही चुनाव करा सकता है, क्योंकि उसने यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटरमीडियट का परीक्षा कार्यक्रम रद कर दिया गया है और यूपी बोर्ड से कहा गया है कि परीक्षाओं की तिथि आयोग से विचार विमर्श के बाद ही घोषित की जाए। 1याची की ओर से अधिवक्ता अशोक पांडे का तर्क था कि जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 15 के तहत चुनाव आयोग को मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल पूरा होने से छह माह पहले चुनाव कराने का अधिकार है, लेकिन आयोग को इस शक्ति का प्रयोग उचित प्रकार से करना चाहिए। उन्होंने
तर्क दिया कि आमतौर पर देखा गया है कि अधिक ठंड में चुनाव होने पर कम लोग अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं। साथ ही प्रत्याशियों को भी प्रचार करने में काफी दिक्कत होती है। 1कहा गया कि आयोग को चुनाव में अधिक से अधिक लोगों की भागीदारी सुनिश्चित कराने के लिए चुनाव अप्रैल-मई में ही कराने चाहिए। यह तर्क भी दिया गया कि आयोग को कोई जल्दी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल 27 मई, 2017 तक है। याचिका पर सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग के अधिवक्ता ने इस संबंध में आयोग से समुचित जानकारी लेने के लिए समय की मांग की, जिसे न्यायालय ने प्रदान कर दिया।सातवें वेतन आयोग में वेतनवृद्धि के लिए अब नहीं ज्यादा इंतजार, वेतनवृद्धि के लिए दो में से एक विकल्प चुनने के सुविधा, फायदे के हिसाब से कर्मचारी ले सकते हैं इस सुविधा का लाभ
7th Pay Commission: सातवें वेतन आयोग में वेतनवृद्धि के लिए अब नहीं ज्यादा इंतजार, वेतनवृद्धि के लिए दो में से एक विकल्प चुनने के सुविधा, फायदे के हिसाब से कर्मचारी ले सकते हैं इस सुविधा का लाभ.
राज्य ब्यूरो, लखनऊ : प्रदेश में सातवें वेतन आयोग की सिफारिश को मान लिये जाने के बाद कर्मचारियों को वेतनवृद्धि के लिए साल भर से ज्यादा इंतजार नहीं करना होगा। वेतनवृद्धि के लिए कर्मचारियों के लंबे इंतजार का तोड़ निकालते हुए ही सातवें वेतन आयोग ने कर्मचारियों को उनकी नियुक्ति, प्रोन्नति या वित्तीय स्तरोन्नयन के संदर्भ में पहली जनवरी या पहली जुलाई को वेतनवृद्धि का विकल्प चुनने की सुविधा दी है।
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अब तक लागू व्यवस्था में कर्मचारियों को हर साल एक वेतनवृद्धि मिलती है। यह वेतनवृद्धि पहली जुलाई को मिलती है जो कि वेतन और ग्रेड पे के जोड़ का तीन फीसद होती है। साथ ही, कर्मचारियों की दो वेतनवृद्धियों के बीच कम से कम छह महीने का अंतराल होना चाहिए। मौजूदा व्यवस्था में यदि कोई कर्मचारी दो जनवरी से लेकर 30 जून तक प्रमोट होता या एसीपी का लाभ पाता है तो प्रमोशन/एसीपी लाभ के चलते हुई वेतनवृद्धि के बाद छह महीने की अवधि न पूरी हो पाने के कारण उसे पहली जुलाई को ड्यू वेतनवृद्धि का लाभ नहीं मिल पाता था। ऐसे कर्मचारी को एक साल से ज्यादा समय तक इंतजार के बाद अगले वर्ष पहली जुलाई को वेतनवृद्धि का लाभ मिलता था। सातवें वेतन आयोग की ओर से कर्मचारियों को वेतनवृद्धि का विकल्प दिये जाने के बाद ऐसे कर्मचारी यदि चाहें तो पहली जुलाई को वेतनवृद्धि का विकल्प चुन सकते हैं।
वेतनवृद्धि के विकल्प का फायदा कर्मचारी दूसरे तरीके से भी ले सकते हैं। मान लीजिए कि कोई कर्मचारी मई महीने में रिटायर हो जाता है। उसकी पेंशन की गणना उसके आखिरी वेतन के आधार पर की जाएगी। चूंकि मौजूदा व्यवस्था में वेतनवृद्धि का लाभ सिर्फ पहली जुलाई को मिलता है, अत: उसके आखिरी वेतन में यह वेतनवृद्धि नहीं हो पाएगी। यदि कर्मचारी चाहे तो वह अपने रिटायरमेंट की तारीख को देखते हुए पहली जनवरी को वेतनवृद्धि का विकल्प दे सकता है। 1वित्त विभाग के अधिकारियों के मुताबिक वेतनवृद्धि के इस विकल्प के जरिये कर्मचारी अपने प्रमोशन, वित्तीय स्तरोन्नयन आदि के आधार पर इनमें से जिस विकल्प को चुनना फायदेमंद हो, उसका चयन कर सकते हैं।
प्रमोशन के लिए अब करना होगा ‘बहुत अच्छा’
सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को माने जाने पर राज्य कर्मचारियों और सहायताप्राप्त शिक्षण/प्राविधिक शिक्षण संस्थाओं को सुनिश्चित वित्तीय स्तरोन्नयन (एसीपी) का लाभ पाने के लिए अब संतोषजनक सेवा से काम नहीं चलेगा। ‘संतोषजनक सेवा’ की बजाय अब उन्हें यह लाभ पाने के लिए ‘बहुत अच्छा’ की कसौटी पर खरा उतरना होगा। इसके अलावा राज्य के विभिन्न संवर्गों के उच्च पदों पर पदोन्नति के लिए वर्तमान में प्रभावी ‘संतोषजनक सेवा’ के मापदंड को बढ़ाकर ‘बहुत अच्छा’ तय किया गया है।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ : प्रदेश में सातवें वेतन आयोग की सिफारिश को मान लिये जाने के बाद कर्मचारियों को वेतनवृद्धि के लिए साल भर से ज्यादा इंतजार नहीं करना होगा। वेतनवृद्धि के लिए कर्मचारियों के लंबे इंतजार का तोड़ निकालते हुए ही सातवें वेतन आयोग ने कर्मचारियों को उनकी नियुक्ति, प्रोन्नति या वित्तीय स्तरोन्नयन के संदर्भ में पहली जनवरी या पहली जुलाई को वेतनवृद्धि का विकल्प चुनने की सुविधा दी है।
अब तक लागू व्यवस्था में कर्मचारियों को हर साल एक वेतनवृद्धि मिलती है। यह वेतनवृद्धि पहली जुलाई को मिलती है जो कि वेतन और ग्रेड पे के जोड़ का तीन फीसद होती है। साथ ही, कर्मचारियों की दो वेतनवृद्धियों के बीच कम से कम छह महीने का अंतराल होना चाहिए। मौजूदा व्यवस्था में यदि कोई कर्मचारी दो जनवरी से लेकर 30 जून तक प्रमोट होता या एसीपी का लाभ पाता है तो प्रमोशन/एसीपी लाभ के चलते हुई वेतनवृद्धि के बाद छह महीने की अवधि न पूरी हो पाने के कारण उसे पहली जुलाई को ड्यू वेतनवृद्धि का लाभ नहीं मिल पाता था। ऐसे कर्मचारी को एक साल से ज्यादा समय तक इंतजार के बाद अगले वर्ष पहली जुलाई को वेतनवृद्धि का लाभ मिलता था। सातवें वेतन आयोग की ओर से कर्मचारियों को वेतनवृद्धि का विकल्प दिये जाने के बाद ऐसे कर्मचारी यदि चाहें तो पहली जुलाई को वेतनवृद्धि का विकल्प चुन सकते हैं।
वेतनवृद्धि के विकल्प का फायदा कर्मचारी दूसरे तरीके से भी ले सकते हैं। मान लीजिए कि कोई कर्मचारी मई महीने में रिटायर हो जाता है। उसकी पेंशन की गणना उसके आखिरी वेतन के आधार पर की जाएगी। चूंकि मौजूदा व्यवस्था में वेतनवृद्धि का लाभ सिर्फ पहली जुलाई को मिलता है, अत: उसके आखिरी वेतन में यह वेतनवृद्धि नहीं हो पाएगी। यदि कर्मचारी चाहे तो वह अपने रिटायरमेंट की तारीख को देखते हुए पहली जनवरी को वेतनवृद्धि का विकल्प दे सकता है। 1वित्त विभाग के अधिकारियों के मुताबिक वेतनवृद्धि के इस विकल्प के जरिये कर्मचारी अपने प्रमोशन, वित्तीय स्तरोन्नयन आदि के आधार पर इनमें से जिस विकल्प को चुनना फायदेमंद हो, उसका चयन कर सकते हैं।
प्रमोशन के लिए अब करना होगा ‘बहुत अच्छा’
सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को माने जाने पर राज्य कर्मचारियों और सहायताप्राप्त शिक्षण/प्राविधिक शिक्षण संस्थाओं को सुनिश्चित वित्तीय स्तरोन्नयन (एसीपी) का लाभ पाने के लिए अब संतोषजनक सेवा से काम नहीं चलेगा। ‘संतोषजनक सेवा’ की बजाय अब उन्हें यह लाभ पाने के लिए ‘बहुत अच्छा’ की कसौटी पर खरा उतरना होगा। इसके अलावा राज्य के विभिन्न संवर्गों के उच्च पदों पर पदोन्नति के लिए वर्तमान में प्रभावी ‘संतोषजनक सेवा’ के मापदंड को बढ़ाकर ‘बहुत अच्छा’ तय किया गया है।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjwb1O0gtmY9U-SsJAWyT8Eaftdw-QWQCB3bISxFOCQmYWS6fqE8lH9yQLJCWj8Am_07pky3XONny58MUA_Y7OeHH7P2Qrt5w_klx77umMHRhyYLLYxqjisnv32LAzmgra1oE-MuF1i51Y/s640/7thcpc.jpg)
संविदा शिक्षकों ने घेरा निदेशालय, समाज कल्याण निदेशालय के गेट पर बैठे रहे शिक्षक
लखनऊ : राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालयों में तैनात संविदा शिक्षकों ने शनिवार को प्राग नारायण रोड स्थित समाज कल्याण निदेशालय का घेराव कर नारेबाजी की। निदेशक की अनुमति के बावजूद उन्हें परिसर से बाहर कर दिया गया, संविदा शिक्षक गेट के बाहर ही धरने पर बैठे रहे। शिक्षकों का कहना है कि जब तक मांगे पूरी नहीं होंगी तब तक वे गेट पर ही डटे रहेंगे।
आश्रम पद्धति शिक्षक कल्याण समिति के आह्वान पर जुटे शिक्षकों का आरोप है कि अधिकारियों की लापरवाही से उनका मामला शासन स्तर पर विचाराधीन है। समिति की प्रदेश अध्यक्ष मंजूलता सिंह का कहना है कि समाज कल्याण विभाग की ओर से राजधानी समेत प्रदेश में 776 संविदा शिक्षकों की तैनाती की गई। प्रवक्ता, एलटी ग्रेड व प्राथमिक सहायक अध्यापक समेत अन्य कर्मचारियों को विनियमित करने के लिए 27 जुलाई 2015 को निदेशालय की ओर से शासन को प्रस्ताव भेजा गया था।
सीबीएसई बोर्ड ने तीन महीने के अंदर 21 विद्यालयों में नियमित शिक्षकों की तैनाती का निर्देश भी दिया था।
; बावजूद इसके शासन कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। धरने में प्रदेश उपाध्यक्ष ब्रजेश पांडेय, कोषाध्यक्ष राम बहादुर, प्रशांत मिश्र, सत्येंद्र पांडेय, विनय श्रीवास्तव, प्रज्ञा मिश्र, नमिता, दीपा सिंह, मोनिका चौधरी व मनीष मिश्र के अलावा राजधानी सहित सीतापुर, लखीमपुर खीरी, आजमगढ़, प्रतापगढ़, रायबरेली व सुल्तानपुर समेत कई जिलों से आए शिक्षक शामिल हुए।
शिक्षकों को नहीं मिला रहा वेतन 1वर्ष 2006 में अनुदानित एक हजार जूनियर हाईस्कूलों में तैनात 322 शिक्षकों को वेतन न मिलने से शिक्षक भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं। अखिल भारतीय शिक्षक महासंघ के अध्यक्ष अरविंद कुमार दुबे की ओर से मुख्यमंत्री को प्रेषित ज्ञापन में शिक्षकों को बकाया वेतन देने की मांग की गई। उनका कहना है कि 29 नवंबर 2015 को बेसिक शिक्षा निदेशक की ओर से वेतन का प्रस्ताव भी शासन को भेजा गया है। इसके बावजूद विभाग की ओर से निर्णय नहीं लिया गया। पिछले 10 वर्ष से वेतन न मिलने से शिक्षक परेशान हैं।
आश्रम पद्धति शिक्षक कल्याण समिति के आह्वान पर जुटे शिक्षकों का आरोप है कि अधिकारियों की लापरवाही से उनका मामला शासन स्तर पर विचाराधीन है। समिति की प्रदेश अध्यक्ष मंजूलता सिंह का कहना है कि समाज कल्याण विभाग की ओर से राजधानी समेत प्रदेश में 776 संविदा शिक्षकों की तैनाती की गई। प्रवक्ता, एलटी ग्रेड व प्राथमिक सहायक अध्यापक समेत अन्य कर्मचारियों को विनियमित करने के लिए 27 जुलाई 2015 को निदेशालय की ओर से शासन को प्रस्ताव भेजा गया था।
सीबीएसई बोर्ड ने तीन महीने के अंदर 21 विद्यालयों में नियमित शिक्षकों की तैनाती का निर्देश भी दिया था।
शिक्षकों को नहीं मिला रहा वेतन 1वर्ष 2006 में अनुदानित एक हजार जूनियर हाईस्कूलों में तैनात 322 शिक्षकों को वेतन न मिलने से शिक्षक भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं। अखिल भारतीय शिक्षक महासंघ के अध्यक्ष अरविंद कुमार दुबे की ओर से मुख्यमंत्री को प्रेषित ज्ञापन में शिक्षकों को बकाया वेतन देने की मांग की गई। उनका कहना है कि 29 नवंबर 2015 को बेसिक शिक्षा निदेशक की ओर से वेतन का प्रस्ताव भी शासन को भेजा गया है। इसके बावजूद विभाग की ओर से निर्णय नहीं लिया गया। पिछले 10 वर्ष से वेतन न मिलने से शिक्षक परेशान हैं।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEilJGlhEioTrrlsb3C192kx16aXTZBXiCoM-lCzBChH9q3zr0WBpjyOjaF0UQkzHWpZ0DZE0apGm3GLsQR7HyThyphenhyphenIB8j2uXWwzQ1yZn1qt4iNQ18DFRbec0BBROTLYU_QNZpIt1rVyXyqg/s1600/LUK.jpg)
संगम तीरे इस बार कैंपों में प्राइमरी पाठशाला भी, एक दर्जन से अधिक शिक्षकों की लगाई जाएगी डयूटी, प्रतिदिन दर्ज होगी बच्चों की हाजिरी
कल्पवास के दौरान इस बार बुजुगरे को अपने नाती-पोतों की पढ़ाई की चिंता करने की बिल्कुल आवश्यकता नहीं है। दूर दराज के जिलों से आकर कल्पवास करने वाले लोगों के नाती पोतों की पढ़ाई मेला क्षेत्र में ही हो जाएगी। इसके लिए बेसिक शिक्षा विभाग मेला क्षेत्र में ही कैंप लगाएगा। वहां एक दर्जन से अधिक सरकारी शिक्षकों की ड्यूटी लगाई जाएगी, यह शिक्षक मेला क्षेत्र में आने वाले बच्चों को पढ़ाएंगे। 1दरअसल माघ मेले में प्रदेश के विभिन्न जिलों से लोग कल्पवास करने के लिए आते हैं। अक्सर दादा दादी व नाना-नानी के साथ छोटे बच्चे भी उनके साथ आ जाते हैं। स्नेह वश बच्चे उन्हें छोड़कर घर नहीं जाते हैं और कई-कई दिन कैंप में ही रह जाते हैं। ऐसे में उनकी पढ़ाई बाधित होती है। बच्चे एक माह तक चलने वाले माघ मेले में अधिक समय व्यतीत कर देते हैं। 1स्कूल नहीं जाने से पढ़ाई में कमजोर हो जाते हैं। कल्पवासियों की इस चिंता को दूर करने
; के लिए मेला क्षेत्र में पाठशाला लगाई जाएगी। बच्चों को उनके कोर्स के हिसाब से पढ़ाई कराई जाएगी। इतना ही नहीं बच्चों को पाठ्य पुस्तकें भी शिक्षा विभाग उपलब्ध कराएगा। उप बेसिक शिक्षा अधिकारी अजरुन सिंह ने बताया कि बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो इसके मद्देनजर यह कदम उठाया गया है। संगम क्षेत्र में सुचारू रूप से पाठशाला लगाई जा सके इसके लिए एक दर्जन से अधिक शिक्षकों की डयूटी माघ मेला में लगाई जाएगी। 1पाठशाला में आने वाले बच्चों की प्रतिदिन उपस्थिति भी दर्ज कराई जाएगी। जो बच्चे पढ़ने के लिए किन्हीं कारणों से पाठशाला नहीं पहुंचेंगे उन्हें शिक्षक उनके कैंप से लाने का दायित्व भी निभाएंगे। बच्चों को बेहतर सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से यह पहल की गई है।
वरिष्ठता की ‘सांप-सीढ़ी’ में उलझे शिक्षक, प्रवक्ता एवं एलटी ग्रेड शिक्षकों के प्रमोशन को डीपीसी अब 22 को, समूह ‘ख’ उच्चतर की पदोन्नति सूची दुरुस्त न होने से डीपीसी स्थगित
राजकीय माध्यमिक कालेजों में शिक्षकों की पदोन्नति प्रक्रिया में मानो ‘सांप-सीढ़ी’ जैसा खेल हो रहा है। पहले एलटी ग्रेड पुरुष संवर्ग की वरिष्ठता सूची में विवाद बताकर उनकी पदोन्नति रोकी गई। शासन का हस्तक्षेप होने पर अब पुरुष संवर्ग को पदोन्नति का लाभ दिए जाने की तैयारी है। वहीं, इन दिनों समूह ‘ख’ उच्चतर की पदोन्नति सूची में वरिष्ठता का विवाद उभर आया है। सूची दुरुस्त न होने से डीपीसी को स्थगित किया गया है। 1प्रदेश के राजकीय माध्यमिक कालेजों के शिक्षकों की इन दिनों पदोन्नति प्रक्रिया चल रही है। विभाग ने कुछ माह पहले ही प्रवक्ता एवं एलटी ग्रेड महिला संवर्ग के शिक्षकों का प्रमोशन किया है। एक डीपीसी (विभागीय पदोन्नति कमेटी) होने के बाद शिक्षकों का वह वर्ग सक्रिय हुआ, जो वर्षो से अर्ह होने के बाद भी प्रमोशन से दूर है। शासन के निर्देश पर महिला शिक्षिकाओं की भी पदोन्नति किए जाने के आदेश हो चुके हैं। इसी बीच एलटी ग्रेड पुरुष संवर्ग ने विभागीय अफसरों के साथ ही शासन का दरवाजा खटखटाया कि उनके साथ लगातार अन्याय हो रहा है। भले ही उनका प्रकरण हाईकोर्ट में लंबित है, लेकिन पदोन्नति करने में किसी तरह का स्थगनादेश आदि नहीं है। ऐसे में विभाग वरिष्ठता तय करके उन्हें भी आगे बढ़ने का मौका दे। शासन की
पहल पर माध्यमिक शिक्षा निदेशक इस संवर्ग को भी पदोन्नति देने पर राजी हो गए हैं। असल में नए शैक्षिक सत्र में प्रदेश में राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत बड़ी संख्या में विद्यालय खोले जाने हैं। वहां आम शिक्षकों की तैनाती एलटी ग्रेड भर्ती से होगी, जबकि प्रधानाध्यापक के पद के लिए प्रमोशन किया जाना जरूरी है। शिक्षा निदेशालय से समूह ‘ख’ उच्चतर की पदोन्नति करने के लिए कई महीने पहले लोकसेवा आयोग उत्तर प्रदेश को शिक्षकों की सूची भेजी गई। लंबे समय तक डीपीसी करने की तारीख ही तय नहीं हो पा रही थी। आखिरकार आयोग ने बीते 15 दिसंबर को चयन समिति की बैठक बुलाई। बैठक होने से पहले इसकी वरिष्ठता सूची को लेकर विवाद हो गया, क्योंकि शिक्षा निदेशालय से पुरुष संवर्ग का प्रस्ताव तो भेज दिया गया, लेकिन महिला संवर्ग का प्रस्ताव नहीं पहुंचा था। यह जानकारी शासन को होने पर माध्यमिक शिक्षा के प्रमुख सचिव जितेंद्र कुमार ने लोकसेवा आयोग सचिव को पत्र भेजकर प्रस्तावित डीपीसी को स्थगित करा दिया है। प्रमुख सचिव ने पत्र में लिखा कि महिला संवर्ग की सूची आए बगैर वरिष्ठता प्रभावित होगी। माध्यमिक शिक्षा के अपर निदेशक रमेश ने बताया कि राजकीय कालेज के प्रवक्ता एवं एलटी ग्रेड महिला एवं पुरुष की डीपीसी बीते 14 दिसंबर को होनी थी, लेकिन सूची तैयार न होने से वह टल गई थी, अब यह डीपीसी 22 दिसंबर को होगी। इसमें पुरुष संवर्ग में प्रवक्ता के 120, एलटी ग्रेड के 325, महिला संवर्ग में प्रवक्ता के 113 एवं एलटी ग्रेड के 190 शिक्षिकाओं समेत कुल 748 का प्रमोशन होना है।बुनियादी शिक्षा विशारद अब बीटीसी के समकक्ष
विधि संवाददाता, इलाहाबाद : हाईकोर्ट ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी आजमगढ़ को नौ जनवरी 1995 से पहले की बुनियादी शिक्षा विशारद डिग्री को बीटीसी के समकक्ष मान्य करने के प्रत्यावेदन को निर्णीत करने का निर्देश दिया है। न्यायालय ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के राजीव सिंह केस के निर्देशों का पालन किया जाए, जिसमें बुनियादी शिक्षा विशारद डिग्री को बीटीसी के समान मान्य पर विचार का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति वीके बिड़ला ने संजय कुमार सिंह व दो अन्य की याचिका पर दिया है। अधिवक्ता अविनाश रंजन श्रीवास्तव ने बहस की।
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