29.3.17
भर्ती-पोस्टिंग में घोटाला हुआ तो नपेंगे अधिकारी, अनियमितता मिलने पर संबंधित अधिकारी व कर्मचारी की खैर नहीं
प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि मरीजों के इलाज, दवाओं की खरीद, कार्मिकों की भर्तियों व चिकित्सकों के स्थानांतरण में किसी भी प्रकार की अनियमितता पाए जाने पर संबंधित को बख्शा नहीं जाएगा। प्रदेश के समस्त मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे निर्धारित फार्मेट में प्रतिदिन अपनी प्रगति रिपोर्ट उपलब्ध कराना सुनिश्चि करें। अस्पतालों में स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया जाए। 102 तथा
108 एंबुलेंस सेवा की नियमित रूप से मॉनीटरिंग की जाए। यदि एंबुलेंस मरीजों तक समय से नहीं पहुंचती है, तो संबंधित की जवाबदेही तय करते हुए उसके विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाए। प्रदेश सरकार आखिरी पायदान पर खड़े व्यक्ति को बेहतर व निशुल्क स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के प्रति वचनबद्ध है। स्वास्थ्य मंत्री मंगलवार को योजना भवन में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश के समस्त मंडलीय अपर निदेशकों, मुख्य चिकित्सा अधिकारियों तथा चिकित्सा अधीक्षकों से वार्ता कर रहे थे। उन्होंने चिकित्सकों को स्पष्ट रूप से सचेत किया कि वे अपने तैनानी स्थल पर रहना सुनिश्चित करें। अधिकांश चिकित्सकों के तैनाती वाले जनपदों में न रहने से मरीजों का काफी परेशानी हो रही है। गंभीर रोग के मरीजों को इधर-उधर भटकना पड़ता है। उन्होंने प्रधान मंत्री सुरक्षित मातृत्व कार्यक्रम को अभियान के रूप में संचालित करने पर बल देते हुए कहा कि इसमें किसी भी प्रकार की कोताही नहीं बरती जानी चाहिए।
तैनाती स्थल पर रहना सुनिश्चित करें चिकित्सक 102 व 108 एंबुलेंस की नियमित रूप से मॉनीटरिंग के निर्देश
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार डॉ. महेन्द्र सिंह ने कहा कि चिकित्सा सेवाओं को अधिक से अधिक बेहतर बनाना सरकार की प्राथमिकता में है। उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा कि प्रदेश के कई चिकित्सालयों में आने वाले गंभीर आकस्मिक मरीजों को बिना देखे ही, अन्यत्र चिकित्सालयों में रेफर कर दिया जाता है। रात्रि में आने वाले मरीजों को और अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने निर्देश दिए कि चिकित्सक इस व्यवस्था में सुधार लाएं तथा बिना उचित कारण मरीजों को रेफर न करें। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि वे जल्द ही प्रदेश के सभी चिकित्सालयों का औचक निरीक्षण करेंगे। यदि इनमें अस्पताल के उपकरण ठीक हालत में नहीं होने, अस्पतालों में साफ-साफ की व्यवस्था चाक-चौबंद नहीं, चिकित्सक समय से अस्पताल में नहीं आते आदि शिकायतें मिलती हैं तो संबंधित व्यक्ति के साथ ही जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाएगी। इस मौके पर अपर मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अरूण कुमार सिन्हा, सचिव आलोक कुमार, महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य डॉ. पदमाकर सिंह समेत कई वरिष्ठ अधिकारीग उपस्थित थे।ऑडिट प्रक्रिया को बनाया जाएगा और अधिक पारदर्शी भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए विभागीय आूडिट प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी बनाया जाएगा। अब किसी भी स्तर पर चिकित्सालयों में लापरवाही, उदासीनता और भ्रष्ट आचरण को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उनके संज्ञान में आया है कि कुछ जनपदों में ओपीडी नियमित रूप संचालित नहीं हो रही है और कतिपय जनपदों में ओपीडी में पहले की भांति मरीज नहीं आ रहे हैं। यह स्थति ठीक नहीं है। संबंधित अधिकारी इस ओर विशेष ध्यान दें तथा ओपीडी को सुचारू रूप से क्रियांवित करना सुनिश्चित किया जाए। उन्हांने कहा कि सभी अस्पतालों में आवश्यक उपकरण उपलब्ध रहने चाहिएए जिन अस्पतालों में उपकरणों की जरूरत है, उसकी सूची तत्काल बनाकर भेजी जाए।
108 एंबुलेंस सेवा की नियमित रूप से मॉनीटरिंग की जाए। यदि एंबुलेंस मरीजों तक समय से नहीं पहुंचती है, तो संबंधित की जवाबदेही तय करते हुए उसके विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाए। प्रदेश सरकार आखिरी पायदान पर खड़े व्यक्ति को बेहतर व निशुल्क स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के प्रति वचनबद्ध है। स्वास्थ्य मंत्री मंगलवार को योजना भवन में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश के समस्त मंडलीय अपर निदेशकों, मुख्य चिकित्सा अधिकारियों तथा चिकित्सा अधीक्षकों से वार्ता कर रहे थे। उन्होंने चिकित्सकों को स्पष्ट रूप से सचेत किया कि वे अपने तैनानी स्थल पर रहना सुनिश्चित करें। अधिकांश चिकित्सकों के तैनाती वाले जनपदों में न रहने से मरीजों का काफी परेशानी हो रही है। गंभीर रोग के मरीजों को इधर-उधर भटकना पड़ता है। उन्होंने प्रधान मंत्री सुरक्षित मातृत्व कार्यक्रम को अभियान के रूप में संचालित करने पर बल देते हुए कहा कि इसमें किसी भी प्रकार की कोताही नहीं बरती जानी चाहिए।
तैनाती स्थल पर रहना सुनिश्चित करें चिकित्सक 102 व 108 एंबुलेंस की नियमित रूप से मॉनीटरिंग के निर्देश
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार डॉ. महेन्द्र सिंह ने कहा कि चिकित्सा सेवाओं को अधिक से अधिक बेहतर बनाना सरकार की प्राथमिकता में है। उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा कि प्रदेश के कई चिकित्सालयों में आने वाले गंभीर आकस्मिक मरीजों को बिना देखे ही, अन्यत्र चिकित्सालयों में रेफर कर दिया जाता है। रात्रि में आने वाले मरीजों को और अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने निर्देश दिए कि चिकित्सक इस व्यवस्था में सुधार लाएं तथा बिना उचित कारण मरीजों को रेफर न करें। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि वे जल्द ही प्रदेश के सभी चिकित्सालयों का औचक निरीक्षण करेंगे। यदि इनमें अस्पताल के उपकरण ठीक हालत में नहीं होने, अस्पतालों में साफ-साफ की व्यवस्था चाक-चौबंद नहीं, चिकित्सक समय से अस्पताल में नहीं आते आदि शिकायतें मिलती हैं तो संबंधित व्यक्ति के साथ ही जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाएगी। इस मौके पर अपर मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अरूण कुमार सिन्हा, सचिव आलोक कुमार, महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य डॉ. पदमाकर सिंह समेत कई वरिष्ठ अधिकारीग उपस्थित थे।ऑडिट प्रक्रिया को बनाया जाएगा और अधिक पारदर्शी भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए विभागीय आूडिट प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी बनाया जाएगा। अब किसी भी स्तर पर चिकित्सालयों में लापरवाही, उदासीनता और भ्रष्ट आचरण को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उनके संज्ञान में आया है कि कुछ जनपदों में ओपीडी नियमित रूप संचालित नहीं हो रही है और कतिपय जनपदों में ओपीडी में पहले की भांति मरीज नहीं आ रहे हैं। यह स्थति ठीक नहीं है। संबंधित अधिकारी इस ओर विशेष ध्यान दें तथा ओपीडी को सुचारू रूप से क्रियांवित करना सुनिश्चित किया जाए। उन्हांने कहा कि सभी अस्पतालों में आवश्यक उपकरण उपलब्ध रहने चाहिएए जिन अस्पतालों में उपकरणों की जरूरत है, उसकी सूची तत्काल बनाकर भेजी जाए।
शिक्षकों के खाली पदों पर हो जल्द तैनाती: मुख्यमंत्री योगी ने दिए निर्देश
राज्य मुख्यालय। मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने मंगलवार को देर शाम कई विभागों की समीक्षा की। उन्होंने निर्देश दिए कि शैक्षिक संस्थानों में खाली पदों पर शिक्षकों की तत्काल तैनाती की जाए। एनेक्सी सचिवालय स्थित अपने कार्यालय में प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च शिक्षा, बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की समीक्षा बैठक में उन्होंने कहा कि सत्र नियमित किया जाए परीक्षा परिणाम समय से आए। स्कूल-कालेजों में नकल को सख्ती से रोका जाए। परीक्षा परिणामों में पूरी पारदर्शिता बरती जाए और विद्यार्थियों की मेरिट से कोई समझौता न हो। शिक्षा और नकल माफियाओं के प्रति सख्ती बरती जाए और दागी सेण्टरों को चिन्ह्ति कर कार्रवाई की जाए। प्राथमिक, माध्यमिक व उच्च शिक्षा विभाग निर्देशों के क्रम में अपनी कार्य योजना बनाकर प्रस्तुत करें। माध्यमिक स्कूलों में विदेशी भाषा भी पढाई जाए। माहपुरुषों के बारे में ज्यादा जानकारी दी जाए। श्री योगी ने निर्देश दिए कि गर्भवती और छोटे बच्चों के लिए दिया जाने वाला पुष्टाहार गुणवत्तापरक हो। आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के मानदेय के सम्बन्ध में विभागीय कमेटी गठित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग में धांधली के मामले भी उनके संज्ञान में आए हैं, इसको रोका जाए। विसं
प्राइमरी के शिक्षकों का वेतन बजट के इन्तजार में अटका, होली भी गुजरी बिना वेतन, अब शिक्षक परेशान
लखनऊ। बीते दो महीने से प्राथमिक विद्यालयों के छह हजार शिक्षकों का वेतन अटक गया है। फरवरी में वेतन नहीं मिला और मार्च माह में होली भी बिना तनख्वाह के बीत गई। अभी भी वेतन मिलने की कोई आसार दिखाई नहीं दे रही है। इसे लेकर शिक्षक बहुत परेशान हैं। जबकि अधिकारियों और विभाग के बाबुओं की तनख्वाह मिल चुकी है। उत्तर प्रदेशीय
प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष सुधांशु मोहन बताते हैं कि मार्च में वित्तीय वर्ष के क्लोजिंग के कारण अगले माह अप्रैल में भी तनख्वाह जल्द मिलना मुश्किल दिखाई दे रही है। प्राथमिक शिक्षकों को सातवें वेतन मान के अनुसार वेतन इस वर्ष जनवरी माह से मिलना था। लेकिन जनवरी में अध्यापकों को छठे वेतनमान से ही भुगतान किया गया।
प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष सुधांशु मोहन बताते हैं कि मार्च में वित्तीय वर्ष के क्लोजिंग के कारण अगले माह अप्रैल में भी तनख्वाह जल्द मिलना मुश्किल दिखाई दे रही है। प्राथमिक शिक्षकों को सातवें वेतन मान के अनुसार वेतन इस वर्ष जनवरी माह से मिलना था। लेकिन जनवरी में अध्यापकों को छठे वेतनमान से ही भुगतान किया गया।
8वीं तक की सरकारी पढ़ाई को निगल गया सरकारी भ्रष्टाचार: प्राइमरी व जूनियर शिक्षा का हाल बदहाल
1950 रुपये प्रति बच्चा/माह खर्च करती है सरकार
1.98 लाख प्राइमरी, अपर प्राइमरी स्कूल हैं यूपी में
कि उन्हें पढ़ाने के अलावा दूसरी सरकारी जिम्मेदारियों में ज्यादा उलझाए
रखा जाता है। उनकी तैनातियां घरों से दूर की जाती हैं और तबादले के लिए घूस देनी पड़ती है। गांव, कस्बों और शहरों में इन स्कूलों की जिम्मेदारी संभालने की सामुदायिक भागीदारी कहीं नजर नहीं आती। मां-बाप चाहते हैं कि उनके बच्चों को अंग्रेजी माध्यम से सरकारी स्कूल में पढ़ने का मौका मिले, जो फिलहाल दूर की कौड़ी है। सरकारी कॉपी-किताबें कभी बच्चों तक समय से पहुंचती ही नहीं। नई सरकार और सीएम आदित्यनाथ योगी से लोगों को उम्मीदे हैं। मानव विकास सूचकांक का एक प्रमुख मुद्दा छोटे बच्चों की पढ़ाई है। सरकार ध्यान दे तो पंद्रह वर्षों में आई गिरावट को ठीक किया जा सकता है। सरकार को इस मुद्दे को अपनी प्राथमिकता में लेना होगा क्योंकि यह हमारे भविष्य की नींव है। पढ़ाई पर फोकस से होगा सुधार।1.98 लाख प्राइमरी, अपर प्राइमरी स्कूल हैं यूपी में
कि उन्हें पढ़ाने के अलावा दूसरी सरकारी जिम्मेदारियों में ज्यादा उलझाए
लखनऊ : आठवीं तक के सरकारी स्कूलों पर सरकार हर साल 55 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च कर रही है। इसके बावजूद करीब 52 फीसदी बच्चे प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने को मजबूर हैं। वजह, सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का स्तर बेहद खराब होना है। पांचवीं क्लास के 57 फीसदी बच्चे कक्षा तीन की किताब नहीं पढ़ सकते। आठवीं के 75 फीसदी बच्चों को गुणा-भाग करना तक नहीं आता।
दो-तीन पीढ़ी पहले तक इन्हीं स्कूलों में पढ़कर अफसर और नेता बने लोगों ने सरकारी शिक्षा की ऐसी दुर्दशा की कि उनके बच्चे और नाती-पोते अब सिर्फ प्राइवेट स्कूलों में ही पढ़ते हैं। इसका खमियाजा भुगतना पड़ रहा है कि मध्यम, निम्न मध्यम और गरीब तबके के बच्चों को।
आधार के बिना जुलाई से नहीं मिलेगा मिड-डे-मील
चन्दौसी : परिषदीय विद्यालयों के जिन बच्चों का आधार कार्ड नहीं होगा, उन्हें मिड-डे-मील की योजना से वंचित कर दिया जाएगा। इस संबंध में शासन ने निर्देश जारी किए हैं कि आधार नंबर की फी¨डग नहीं होने पर जुलाई से मिड-डे-मील नहीं दिया जाएगा। परिषदीय विद्यालयों में छात्र संख्या को बढ़ावा देने के लिए मिड-डे-मील की
योजना संचालित है। इस योजना के तहत स्कूल आने वाले बच्चों को पका पकाया खाना दिया जाता है। फल व दूध भी वितरित किया जाता है। खास बात तो यह है कि रोजाना अलग-अलग तरह का खाना बनाया जाता है। इसके लिए शासन स्तर से मीनू भी जारी किया गया है, लेकिन अब बच्चों को मिड-डे-मील की योजना का लाभ देने के लिए नियमों में फेरबदल किया जा रहा है जिस बच्चे को योजना का लाभ चाहिए, उसका आधार कार्ड अनिवार्य रूप से होना चाहिए। आधार नंबर के बिना उसे जुलाई माह से योजना का लाभ नहीं मिल पाएगा। जिला समन्वय मिड-डे-मील दीनदयाल शर्मा ने बताया कि बच्चों के आधार कार्ड नंबर की फी¨डग की जा रही है। 31 जून तक शतप्रतिशत बच्चों के आधार कार्ड नंबर की फी¨डग किए जाने के सख्त निर्देश मिले हैं। आधार कार्ड नंबर लेने के लिए जनपद के सभी खंड शिक्षाधिकारियों से कहा गया है।
योजना संचालित है। इस योजना के तहत स्कूल आने वाले बच्चों को पका पकाया खाना दिया जाता है। फल व दूध भी वितरित किया जाता है। खास बात तो यह है कि रोजाना अलग-अलग तरह का खाना बनाया जाता है। इसके लिए शासन स्तर से मीनू भी जारी किया गया है, लेकिन अब बच्चों को मिड-डे-मील की योजना का लाभ देने के लिए नियमों में फेरबदल किया जा रहा है जिस बच्चे को योजना का लाभ चाहिए, उसका आधार कार्ड अनिवार्य रूप से होना चाहिए। आधार नंबर के बिना उसे जुलाई माह से योजना का लाभ नहीं मिल पाएगा। जिला समन्वय मिड-डे-मील दीनदयाल शर्मा ने बताया कि बच्चों के आधार कार्ड नंबर की फी¨डग की जा रही है। 31 जून तक शतप्रतिशत बच्चों के आधार कार्ड नंबर की फी¨डग किए जाने के सख्त निर्देश मिले हैं। आधार कार्ड नंबर लेने के लिए जनपद के सभी खंड शिक्षाधिकारियों से कहा गया है।
बीटीसी के 21 प्रशिक्षुओं का नामांकन रद्द, फर्जी अंक पत्र व प्रमाण पत्र लगाने का मामला
प्रतापगढ़ : फर्जी बोर्ड का अंक पत्र व प्रमाण पत्र लगाकर बीटीसी में प्रवेश लेने वाले 21 प्रशिक्षुओं का नामांकन रद कर दिया गया। यह कार्रवाई डायट प्राचार्य ने की। 1वर्ष 2014 में 19 प्रशिक्षुओं ने बोर्ड आफ हायर सेकेंड्री एजुकेशन दिल्ली की संस्था का प्रमाण पत्र तथा अंक पत्र लगाकर कर बीटीसी के प्रशिक्षण के लिए प्रवेश लिया था। इसी प्रकार 2002 में भी दो लोगों ने इसी संस्था का अंकपत्र व प्रमाण पत्र लगाकर बीटीसी में प्रवेश प्राप्त कर लिया था। जब इसकी जानकारी डायट प्राचार्य नरेंद्र शर्मा को हुई तो उन्होंने सभी 21 बीटीसी प्रशिक्षुओं को
प्रशिक्षण पर रोक लगा दी। 1इसके बाद प्राचार्य ने सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी इलाहाबाद को पत्र लिखकर प्रशिक्षण के दौरान प्राप्त अंकपत्र को निरस्त करने की मांग की है। डायट प्राचार्य की इस कार्रवाई से जनपद के अन्य बीटीसी कालेजों में खलबली मची है। इस संबंध में डायट प्राचार्य नरेंद्र शर्मा का कहना है कि गलत ढंग से प्रवेश लेने वाले 21 प्रशिक्षुओं का नामांकन रद कर दिया गया है तथा प्रशिक्षण के दौरान प्राप्त अंकपत्र को निरस्त करने के लिए पत्र लिखा गया है ।1 इतने विलंब से क्यों हुई जांच : 2014 तथा 2013 में फर्जी अंकपत्र व प्रमाण पत्र लगाकर बीटीसी में प्रवेश लेने वाले 21 प्रशिक्षुओं ने प्रवेश लेकर कई सेमेस्टर का प्रशिक्षण प्राप्त कर लिया था। इस दौरान इन लोगों ने कुछ सेमेस्टर के अंकपत्र भी प्राप्त कर लिया था। इसकी जानकारी डायट के लोगों को कानों कान नहीं हो पाई। इतने बडे फर्जीवाड़े की जानकारी जैसे ही डायट प्राचार्य नरेंद्र शर्मा को लगी तो उन्होंने तुरंत कार्रवाई करते हुए सभी का नामांकन रद कर दिया । डायट प्राचार्य नरेंद्र शर्मा का कहना है कि मामले को हाईकोर्ट में भी अवगत कराया जाएगा।’>> फर्जी अंक पत्र व प्रमाण पत्र लगाने का मामला1’>>डायट के प्राचार्य ने उठाया कड़ा कदम प्रशिक्षण पर भी लगाई रोक
प्रशिक्षण पर रोक लगा दी। 1इसके बाद प्राचार्य ने सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी इलाहाबाद को पत्र लिखकर प्रशिक्षण के दौरान प्राप्त अंकपत्र को निरस्त करने की मांग की है। डायट प्राचार्य की इस कार्रवाई से जनपद के अन्य बीटीसी कालेजों में खलबली मची है। इस संबंध में डायट प्राचार्य नरेंद्र शर्मा का कहना है कि गलत ढंग से प्रवेश लेने वाले 21 प्रशिक्षुओं का नामांकन रद कर दिया गया है तथा प्रशिक्षण के दौरान प्राप्त अंकपत्र को निरस्त करने के लिए पत्र लिखा गया है ।1 इतने विलंब से क्यों हुई जांच : 2014 तथा 2013 में फर्जी अंकपत्र व प्रमाण पत्र लगाकर बीटीसी में प्रवेश लेने वाले 21 प्रशिक्षुओं ने प्रवेश लेकर कई सेमेस्टर का प्रशिक्षण प्राप्त कर लिया था। इस दौरान इन लोगों ने कुछ सेमेस्टर के अंकपत्र भी प्राप्त कर लिया था। इसकी जानकारी डायट के लोगों को कानों कान नहीं हो पाई। इतने बडे फर्जीवाड़े की जानकारी जैसे ही डायट प्राचार्य नरेंद्र शर्मा को लगी तो उन्होंने तुरंत कार्रवाई करते हुए सभी का नामांकन रद कर दिया । डायट प्राचार्य नरेंद्र शर्मा का कहना है कि मामले को हाईकोर्ट में भी अवगत कराया जाएगा।’>> फर्जी अंक पत्र व प्रमाण पत्र लगाने का मामला1’>>डायट के प्राचार्य ने उठाया कड़ा कदम प्रशिक्षण पर भी लगाई रोक
विजिलेंस टीम ने घूस लेते रंगे हाथ पकड़े गए संतकबीर नगर बीएसए
लखनऊ (जेएनएन)। संतकबीर नगर में बीएसए रिश्वत लेते और फैजाबाद में भाजपा विधायक बनकर रंगदारी मांगते गिरफ्तार कर लिए गए। रंगदारी मांगने वाला सपा का कार्यकर्ता है। वह भाजपा को बदनाम करने के इरादे से ऐसा कर रहा था।
संतकबीर नगर टीचर्स कालोनी स्थित अपने आवास पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) गजराज यादव को गोरखपुर की विजिलेंस टीम ने बीस हजार रुपये घूस लेते पकड लिया है। निलंबित शिक्षक नवीन त्रिपाठी ने विजिलेंस टीम को बीएसए द्वारा घूस मांगने की सूचना दी थी। आरोप है कि बीएसए शिक्षक को बहाल करने के लिए घूस मांग रहे थे। उन्होंने मुंहमांगा रुपया न देने पर उनकी फाइल लटका रखी थी। केदार प्रकाश गुप्ता के नेतृत्व में विजिलेंस की पंद्रह सदस्यीय टीम ने कार्रवाई की। फैज़ाबाद में भाजपा विधायक बनकर अफसरों से रंगदारी मांगने वाला युवक गिरफ्तार कर लिया गया है। गिरफ्तार युवक सुनील यादव सपा का कार्यकर्त्ता है? उसने भाजपा विधायक गोरखनाथ को बदनाम करने के लिए रंगदारी मांगी थी।
संतकबीर नगर टीचर्स कालोनी स्थित अपने आवास पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) गजराज यादव को गोरखपुर की विजिलेंस टीम ने बीस हजार रुपये घूस लेते पकड लिया है। निलंबित शिक्षक नवीन त्रिपाठी ने विजिलेंस टीम को बीएसए द्वारा घूस मांगने की सूचना दी थी। आरोप है कि बीएसए शिक्षक को बहाल करने के लिए घूस मांग रहे थे। उन्होंने मुंहमांगा रुपया न देने पर उनकी फाइल लटका रखी थी। केदार प्रकाश गुप्ता के नेतृत्व में विजिलेंस की पंद्रह सदस्यीय टीम ने कार्रवाई की। फैज़ाबाद में भाजपा विधायक बनकर अफसरों से रंगदारी मांगने वाला युवक गिरफ्तार कर लिया गया है। गिरफ्तार युवक सुनील यादव सपा का कार्यकर्त्ता है? उसने भाजपा विधायक गोरखनाथ को बदनाम करने के लिए रंगदारी मांगी थी।
चार शिक्षकों के प्रमाण पत्र फर्जी मिले, मुकदमा
जासं बस्ती: राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में मेरिट के आधार पर नियुक्त किए गए चार शिक्षकों के प्रमाण पत्र फर्जी निकले। इनके विरुद्ध संयुक्त शिक्षा निदेशक (जेडीई) की तरफ से कोतवाली बस्ती में मुकदमा पंजीकृत कराया गया है। यह कार्रवाई संबधित बोर्ड व विश्वविद्यालय से सत्यापन आख्या मिलने के बाद की गई है। बस्ती
मंडल के राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में प्रशिक्षित स्नातक वेतनक्रम(एलटी) के रिक्त पदों पर सितंबर 2014 में विज्ञापन निकाला गया था। प्राप्त आवेदन पत्रों के आधार पर 11 सितंबर 2015 को उच्च गुणांक वाले अभ्यर्थियों को मेरिट के आधार पर नियुक्ति पत्र जारी किया गया। यह शिक्षक स्कूलों में तैनाती पाने के बाद अध्यापन कार्य कर रहे थे। नियुक्त किए गए सभी शिक्षकों के प्रमाण पत्रों का सत्यापन करने के लिए संबधित बोर्ड और विश्वविद्यालयों को भेजा गया था। इसकी रिपोर्ट दो महीने पहले ही आ गई थी लेकिन पटल सहायकों ने इसे दबा दिया था। फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी प्राप्त करने वाले रजनीश कुमार सिंह निवासी तेलियाकला थाना मईल जनपद देवरिया, उदित नरायन मिश्र निवासी पचासी थाना सलेमपुर जनपद देवरिया, दिग्विजय कुमार मिश्र निवासी दिवाडार देवरिया और चंद्रेश पांडेय पुत्र रामकुमार पांडेय दारागंज थाना दारागंज इलाहाबाद के विरुद्ध धोखाधड़ी, कूट रचित दस्तावेज तैयार करने आदि की धारा में मुकदमा दर्ज किया गया है।
मंडल के राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में प्रशिक्षित स्नातक वेतनक्रम(एलटी) के रिक्त पदों पर सितंबर 2014 में विज्ञापन निकाला गया था। प्राप्त आवेदन पत्रों के आधार पर 11 सितंबर 2015 को उच्च गुणांक वाले अभ्यर्थियों को मेरिट के आधार पर नियुक्ति पत्र जारी किया गया। यह शिक्षक स्कूलों में तैनाती पाने के बाद अध्यापन कार्य कर रहे थे। नियुक्त किए गए सभी शिक्षकों के प्रमाण पत्रों का सत्यापन करने के लिए संबधित बोर्ड और विश्वविद्यालयों को भेजा गया था। इसकी रिपोर्ट दो महीने पहले ही आ गई थी लेकिन पटल सहायकों ने इसे दबा दिया था। फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी प्राप्त करने वाले रजनीश कुमार सिंह निवासी तेलियाकला थाना मईल जनपद देवरिया, उदित नरायन मिश्र निवासी पचासी थाना सलेमपुर जनपद देवरिया, दिग्विजय कुमार मिश्र निवासी दिवाडार देवरिया और चंद्रेश पांडेय पुत्र रामकुमार पांडेय दारागंज थाना दारागंज इलाहाबाद के विरुद्ध धोखाधड़ी, कूट रचित दस्तावेज तैयार करने आदि की धारा में मुकदमा दर्ज किया गया है।
परिषदीय स्कूलों में बच्चों की यूनीफॉर्म का बदलेगा रंग
लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को शास्त्री भवन में शिक्षा से जुड़े विभिन्न विभागों के कामकाज की समीक्षा करते हुए बेसिक से लेकर उच्च शिक्षा में आमूलचूल परिवर्तन की वकालत की। वहीं उन्होंने परिषदीय स्कूलों के बच्चों की यूनीफॉर्म का रंग बदले जाने का भी संकेत दिया।
सूत्रों के अनुसार समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि परिषदीय स्कूलों के बच्चे खाकी रंग की मौजूदा यूनीफॉर्म में होमगार्ड जैसे नजर आते हैं। उनके इस कथन का आशय यह निकाला जा रहा है कि वह यूनीफॉर्म के मौजूदा रंग से संतुष्ट नहीं है। लिहाजा नये सत्र में यूनीफॉर्म का रंग बदलेगा। यूनीफॉर्म की गुणवत्ता सुधारने पर भी उनका जोर था। अखिलेश सरकार ने भी सत्ता संभालते ही परिषदीय स्कूलों के बच्चों की यूनीफॉर्म का रंग बदला था। उन्होंने कहा कि परिषदीय स्कूलों में पढ़ाई का तरीका सुधारा जाए जिससे कि पढ़ाई में बच्चों की दिलचस्पी पढ़े, विषयों के बारे में उनकी समझ बढ़े। उन्होंने बच्चों को किताबें व यूनीफॉर्म के साथ जूते व स्वेटर देने और उनके लिए फर्नीचर की व्यवस्था करने के लिए कहा। इस पर आने वाले खर्च का आकलन करने का निर्देश दिया। किताबों व यूनीफॉर्म वितरण में लेटलतीफी पर नाराजगी भी जतायी। मिड-डे मील की गुणवत्ता व निगरानी सुधारने पर भी उनका जोर था। परिषदीय और माध्यमिक विद्यालयों के सत्र पहली अप्रैल से हर हाल में चालू करने के लिए ताकीद किया। बच्चों के व्यक्तित्व विकास पर बल देते हुए उन्होंने स्कूल-कॉलेजों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजनों को बढ़ावा देने के साथ नियमित प्रार्थना सभा कराने का भी निर्देश दिया। मुख्यमंत्री ने परिषदीय स्कूलों में कक्षा-एक से अंग्रेजी और कक्षा तीन से संस्कृत पढ़ाने की हिदायत दी। इस पर जब उन्हें कक्षा एक की अंग्रेजी व कक्षा तीन की संस्कृत की किताबें दिखायी गईं तो उन्होंने कहा कि सिर्फ किताबें मत छपवाइये, उन्हें पढ़ाइये भी। वहीं उनका यह भी निर्देश था कि इंटरमीडिएट तक छात्र-छात्रएं एक विदेशी भाषा भी सीखें। उन्होंने शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने के लिए भी कहा।
सूत्रों के अनुसार समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि परिषदीय स्कूलों के बच्चे खाकी रंग की मौजूदा यूनीफॉर्म में होमगार्ड जैसे नजर आते हैं। उनके इस कथन का आशय यह निकाला जा रहा है कि वह यूनीफॉर्म के मौजूदा रंग से संतुष्ट नहीं है। लिहाजा नये सत्र में यूनीफॉर्म का रंग बदलेगा। यूनीफॉर्म की गुणवत्ता सुधारने पर भी उनका जोर था। अखिलेश सरकार ने भी सत्ता संभालते ही परिषदीय स्कूलों के बच्चों की यूनीफॉर्म का रंग बदला था। उन्होंने कहा कि परिषदीय स्कूलों में पढ़ाई का तरीका सुधारा जाए जिससे कि पढ़ाई में बच्चों की दिलचस्पी पढ़े, विषयों के बारे में उनकी समझ बढ़े। उन्होंने बच्चों को किताबें व यूनीफॉर्म के साथ जूते व स्वेटर देने और उनके लिए फर्नीचर की व्यवस्था करने के लिए कहा। इस पर आने वाले खर्च का आकलन करने का निर्देश दिया। किताबों व यूनीफॉर्म वितरण में लेटलतीफी पर नाराजगी भी जतायी। मिड-डे मील की गुणवत्ता व निगरानी सुधारने पर भी उनका जोर था। परिषदीय और माध्यमिक विद्यालयों के सत्र पहली अप्रैल से हर हाल में चालू करने के लिए ताकीद किया। बच्चों के व्यक्तित्व विकास पर बल देते हुए उन्होंने स्कूल-कॉलेजों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजनों को बढ़ावा देने के साथ नियमित प्रार्थना सभा कराने का भी निर्देश दिया। मुख्यमंत्री ने परिषदीय स्कूलों में कक्षा-एक से अंग्रेजी और कक्षा तीन से संस्कृत पढ़ाने की हिदायत दी। इस पर जब उन्हें कक्षा एक की अंग्रेजी व कक्षा तीन की संस्कृत की किताबें दिखायी गईं तो उन्होंने कहा कि सिर्फ किताबें मत छपवाइये, उन्हें पढ़ाइये भी। वहीं उनका यह भी निर्देश था कि इंटरमीडिएट तक छात्र-छात्रएं एक विदेशी भाषा भी सीखें। उन्होंने शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने के लिए भी कहा।
नई पेंशन देने के सभी नियम तैयार, लेकिन अभी भी अंशदान का इंतजार
इलाहाबाद : कर्मचारियों की नई पेंशन को राष्ट्रीय पेंशन योजना से आच्छादित किया गया है। इसके लिए तमाम नए-नए नियम भी बनाए गए हैं। जिन्हें इसका लाभ दिया जाना है, उनके वेतन से पेंशन के लिए कटौती भी शुरू हो गई है, लेकिन सरकार का अंशदान कब से मिलेगा यह स्पष्ट नहीं है। यही नहीं जिलों में इसका सिस्टम तक नहीं बन पाया है। कर्मचारियों को इसका लाभ फिलहाल नहीं मिल रहा है। 1प्रदेश में एक अप्रैल 2005 के बाद
नियुक्त हुए सभी अधिकारी कर्मचारियों को नई पेंशन योजना से जोड़ा जा रहा है। इसके लिए पिछले कई महीने से लगातार निर्देश जारी हो रहे हैं और एक के बाद एक नियम बन रहा है। कुछ दिन पहले यह घोषणा भी हुई कि राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली की पासबुक भी बनाई जाएगी। नियम बन गए हैं लेकिन अनुपालन करने वाले इस ओर से उदासीन हैं। अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षक व शिक्षणोत्तर कर्मचारियों को भी इसका लाभ मिलना है। इसके लिए हर जिला मुख्यालय पर एक कंप्यूटर ऑपरेटर, कंप्यूटर सिस्टम और सॉफ्टवेयर आदि का इंतजाम होना था, लेकिन अब किसी भी जिले में यह व्यवस्था नहीं हो सकी है। यह जरूर है कि बीते मई माह से शिक्षक व अन्य के वेतन से पेंशन का अंशदान की कटौती शुरू हो गई है, जो ट्रेजरी में जमा की जा रही है। पेंशन लाभ के लिए सरकारी अंशदान मिलना है, लेकिन अब तक यह नहीं दिया जा रहा है। इससे शिक्षक व अन्य को ब्याज का नुकसान होने के साथ ही पेंशन का वास्तविक लाभ नहीं मिल रहा है। शिक्षक भी इस ओर से उदासीन हैं, उन्हें नहीं पता कि जो कटौती हो रही है उसका लाभ उन्हें मिलेगा भी या नहीं। माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रांतीय नेता डॉ. शैलेश कुमार पांडेय ने कहा है कि माध्यमिक के शिक्षकों को लाभ दिलाने के लिए वह हर संभव प्रयास करेंगे।
नियुक्त हुए सभी अधिकारी कर्मचारियों को नई पेंशन योजना से जोड़ा जा रहा है। इसके लिए पिछले कई महीने से लगातार निर्देश जारी हो रहे हैं और एक के बाद एक नियम बन रहा है। कुछ दिन पहले यह घोषणा भी हुई कि राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली की पासबुक भी बनाई जाएगी। नियम बन गए हैं लेकिन अनुपालन करने वाले इस ओर से उदासीन हैं। अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षक व शिक्षणोत्तर कर्मचारियों को भी इसका लाभ मिलना है। इसके लिए हर जिला मुख्यालय पर एक कंप्यूटर ऑपरेटर, कंप्यूटर सिस्टम और सॉफ्टवेयर आदि का इंतजाम होना था, लेकिन अब किसी भी जिले में यह व्यवस्था नहीं हो सकी है। यह जरूर है कि बीते मई माह से शिक्षक व अन्य के वेतन से पेंशन का अंशदान की कटौती शुरू हो गई है, जो ट्रेजरी में जमा की जा रही है। पेंशन लाभ के लिए सरकारी अंशदान मिलना है, लेकिन अब तक यह नहीं दिया जा रहा है। इससे शिक्षक व अन्य को ब्याज का नुकसान होने के साथ ही पेंशन का वास्तविक लाभ नहीं मिल रहा है। शिक्षक भी इस ओर से उदासीन हैं, उन्हें नहीं पता कि जो कटौती हो रही है उसका लाभ उन्हें मिलेगा भी या नहीं। माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रांतीय नेता डॉ. शैलेश कुमार पांडेय ने कहा है कि माध्यमिक के शिक्षकों को लाभ दिलाने के लिए वह हर संभव प्रयास करेंगे।
शिक्षक भर्ती से रोक हटाए शासन, रोक न हटने पर शिक्षा निदेशालय पर होगा बेमियादी धरना
इलाहाबाद : बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में चल रही सभी भर्तियों पर शासन ने रोक लगा रखी है। प्राथमिक विद्यालयों में 12460 शिक्षकों की भर्ती एकाएक रोक लगने से दावेदार परेशान हैं। उनका कहना है कि तमाम प्रयास के बाद यह नियुक्तियां शुरू हुई थी उस पर रोक हटाई जाए। 1युवाओं ने अल्टीमेटम दिया है कि उनकी अनसुनी हुई तो वह तीन अप्रैल से शिक्षा निदेशालय में बेमियादी धरना देंगे.
परिषदीय प्राथमिक स्कूलों के लिए शासन ने 15 दिसंबर, 2016 को भर्ती का आदेश दिया था। इस भर्ती की पहले चरण की काउंसिलिंग हो चुकी है, दूसरे चरण की प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही रोक लग गई है। युवाओं का कहना है कि उन लोगों ने चार महीने तक लखनऊ के लक्ष्मण मेला मैदान में धरना दिया था, तब यह भर्ती शुरू हुई।1इसमें भर्तियां शैक्षिक गुणांक के आधार पर होनी है इसलिए गड़बड़ी की भी कोई आशंका नहीं है। साथ ही इस भर्ती के नियमों को लेकर कोर्ट ने कोई हस्तक्षेप नहीं किया है। कबीर चौधरी, शुभम चंद्रा, दिव्या मौर्या, अतुल द्विवेदी, दीपक सिंह आदि ने जल्द प्रक्रिया शुरू कराने की मांग बेसिक शिक्षा परिषद सचिव से की है।
परिषदीय प्राथमिक स्कूलों के लिए शासन ने 15 दिसंबर, 2016 को भर्ती का आदेश दिया था। इस भर्ती की पहले चरण की काउंसिलिंग हो चुकी है, दूसरे चरण की प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही रोक लग गई है। युवाओं का कहना है कि उन लोगों ने चार महीने तक लखनऊ के लक्ष्मण मेला मैदान में धरना दिया था, तब यह भर्ती शुरू हुई।1इसमें भर्तियां शैक्षिक गुणांक के आधार पर होनी है इसलिए गड़बड़ी की भी कोई आशंका नहीं है। साथ ही इस भर्ती के नियमों को लेकर कोर्ट ने कोई हस्तक्षेप नहीं किया है। कबीर चौधरी, शुभम चंद्रा, दिव्या मौर्या, अतुल द्विवेदी, दीपक सिंह आदि ने जल्द प्रक्रिया शुरू कराने की मांग बेसिक शिक्षा परिषद सचिव से की है।
स्कूलों की मनमानी के खिलाफ खड़ी हुई परिषद, गैर मान्यता व बिना मानक वाले स्कूलों पर रोक की मांग
इलाहाबाद 1स्कूलों में नया सत्र आरंभ हो रहा है और अभिभावकों की जेब पर यह भारी गुजरने वाला है। इसलिए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने इस समस्या की ओर प्रशासन का ध्यान खींचा है। अभाविप ने प्रशासन से गैर मान्यता व मानक के विपरीत चल रहे स्कूलों को बंद करवाने और अन्य स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने की मांग की है। उन्होंने जिलाधिकारी के नाम ज्ञापन देकर यह चेतावनी भी दी कि यदि इस पर रोक
नहीं लगी तो परिषद बड़ा आंदोलन छेड़ेगी।1अपर जिलाधिकारी नगर पुनीत शुक्ल को सौंपे ज्ञापन में अभाविप नेताओं ने कहा कि शिक्षा का बाजारीकरण कर दिया गया है। हर साल अभिभावकों से एडमिशन फीस ली जा रही है, उन्हें जबरन स्कूल में बनी दुकानों से मनचाहे प्रकाशन की पुस्तकें खरीदने को स्कूल प्रबंधन बाध्य कर रहे हैं। इसके अलावा गरीब छात्रों को 25 फीसद प्रवेश दिए जाने के नियम का भी पालन पूरी तरह से नहीं किया जा रहा है। परिषद ने कहा कि गैर मान्यता वाले व अन्य कई स्कूलों में शिक्षक निम्न योग्यता रखने वाले हैं। जिससे बच्चों का भविष्य खराब हो रहा है। 1एडीएम ने अभाविप को उचित कदम उठाने का आश्वासन दिया। ज्ञापन देने वालों में परिषद के प्रयाग महानगर महामंत्री रिंकू पयासी, शनि शुक्ला, अंजनी शुक्ला, धीरज चौबे, राहुल सिंह, कृष्णप्रताप सिहं, वीरेंद्र सिंह, अविनाश पांडेय, राहुल यादव, अंशुमान सिंह, अनुराग तिवारी, सुमित द्विवेदी समेत बड़ी संख्या में छात्र मौजूद थे।’>>अभाविप ने की गैर मान्यता व बिना मानक वाले स्कूलों पर रोक की मांग
नहीं लगी तो परिषद बड़ा आंदोलन छेड़ेगी।1अपर जिलाधिकारी नगर पुनीत शुक्ल को सौंपे ज्ञापन में अभाविप नेताओं ने कहा कि शिक्षा का बाजारीकरण कर दिया गया है। हर साल अभिभावकों से एडमिशन फीस ली जा रही है, उन्हें जबरन स्कूल में बनी दुकानों से मनचाहे प्रकाशन की पुस्तकें खरीदने को स्कूल प्रबंधन बाध्य कर रहे हैं। इसके अलावा गरीब छात्रों को 25 फीसद प्रवेश दिए जाने के नियम का भी पालन पूरी तरह से नहीं किया जा रहा है। परिषद ने कहा कि गैर मान्यता वाले व अन्य कई स्कूलों में शिक्षक निम्न योग्यता रखने वाले हैं। जिससे बच्चों का भविष्य खराब हो रहा है। 1एडीएम ने अभाविप को उचित कदम उठाने का आश्वासन दिया। ज्ञापन देने वालों में परिषद के प्रयाग महानगर महामंत्री रिंकू पयासी, शनि शुक्ला, अंजनी शुक्ला, धीरज चौबे, राहुल सिंह, कृष्णप्रताप सिहं, वीरेंद्र सिंह, अविनाश पांडेय, राहुल यादव, अंशुमान सिंह, अनुराग तिवारी, सुमित द्विवेदी समेत बड़ी संख्या में छात्र मौजूद थे।’>>अभाविप ने की गैर मान्यता व बिना मानक वाले स्कूलों पर रोक की मांग
बेसिक शिक्षकों के अंतरजिला तबादले पर जवाब-तलब
इलाहाबाद : बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों के अंतर जिला तबादले में धांधली के आरोप में दाखिल याचिका पर हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार और बेसिक शिक्षा परिषद से जवाब मांगा है। कोर्ट ने पूछा है कि उन शिक्षकों का तबादला कैसे हो गया जिन्होंने एक जिले में तीन वर्ष की तैनाती की न्यूनतम अर्हता पूरा नहीं की है। कोर्ट ने ऐसे लगभग 75 स्थानान्तरित शिक्षकों को भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा। शिक्षिका निधि और
दर्जनों अन्य की ओर से दाखिल याचिकाओं पर न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता सुनवाई कर रहे हैं। याची के अधिवक्ता ने बताया कि 23 जून, 2016 को अंतर जिला स्थानांतरण की नीति घोषित की गई। उसके मुताबिक एक जिले में कम से कम तीन वर्ष से तैनात शिक्षक ही आवेदन कर सकेंगे। आवेदन ऑनलाइन किया जाना था। यह भी शर्त थी कि शिक्षक गृह जिला सहित पांच वरीयता भी देंगे। याचीगण ने ऑनलाइन आवेदन किया, मगर उनका स्थानांतरण नहीं किया गया, जबकि ऐसे शिक्षकों का स्थानांतरण कर दिया गया जिन्होंने न तो तीन वर्ष की अर्हता पूरी की है और न ही ऑनलाइन आवेदन किया था। इसके बाद 19 दिसंबर, 2016 को एक शासनादेश जारी कर कहा गया कि उन्हीं शिक्षकों का स्थानांतरण होगा जिन्होंने ऑनलाइन आवेदन किया है। याचिका में कहा गया है कि स्थानांतरण नीति और शासनादेश दोनों का उल्लंघन किया गया है।
दर्जनों अन्य की ओर से दाखिल याचिकाओं पर न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता सुनवाई कर रहे हैं। याची के अधिवक्ता ने बताया कि 23 जून, 2016 को अंतर जिला स्थानांतरण की नीति घोषित की गई। उसके मुताबिक एक जिले में कम से कम तीन वर्ष से तैनात शिक्षक ही आवेदन कर सकेंगे। आवेदन ऑनलाइन किया जाना था। यह भी शर्त थी कि शिक्षक गृह जिला सहित पांच वरीयता भी देंगे। याचीगण ने ऑनलाइन आवेदन किया, मगर उनका स्थानांतरण नहीं किया गया, जबकि ऐसे शिक्षकों का स्थानांतरण कर दिया गया जिन्होंने न तो तीन वर्ष की अर्हता पूरी की है और न ही ऑनलाइन आवेदन किया था। इसके बाद 19 दिसंबर, 2016 को एक शासनादेश जारी कर कहा गया कि उन्हीं शिक्षकों का स्थानांतरण होगा जिन्होंने ऑनलाइन आवेदन किया है। याचिका में कहा गया है कि स्थानांतरण नीति और शासनादेश दोनों का उल्लंघन किया गया है।
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