27.9.16

1 अक्टूबर को दादा-दादी/नाना-नानी दिवस मनाने का फरमान

खुले रहेंगे समस्त परिषदीय विद्यालय...
शिक्षा निदेशक (बेसिक) उत्तर प्रदेश ने जारी किया है आदेश
राजकुमार सिंह
सीतापुर, सोमवार, 26 सितम्बर 2016
प्रदेश के समस्त परिषदीय विद्यालयों में कार्यक्रम आयोजित कर दादा-दादी एवं नाना-नानी दिवस मनाने का आदेश जारी किया गया है जिसमे सभी वरिष्ठ नागरिकों कोविभिन्न सुरक्षा उपायों एवं कार्यक्रमों के माध्यम से शांतिपूर्वक, सुरक्षित एवं सम्मानजनक ढंग से जीवन यापन करने का अवसर प्रदान करने हेतु बच्चो में दादा-दादी, नाना-नानी एवं वरिष्ठ नागरिकों की समस्याओं के प्रति जागरूकता एवं संवेदनशीलता पैदा करने के लिए प्रेरणा पैदा करना है। इस कार्यक्रम में छात्र/छात्राओं के वरिष्ठ अभिभावकों, ग्राम के समस्त बुजुर्गों को आमंत्रित किया जाना है।
यह कार्यक्रम "उ.प्र. राज्य वरिष्ठ नागरिक नीति" के तहत मनाये जाने का आदेश दिया गया है।
छात्र/छात्राओं में खो रही नैतिकता को वापस पैदा करने का एक प्रयास है
30 सितम्बर 2016 को पित्र विसर्जन का अवकाश रहेगा।

खूब लडी मर्दानी वो तो----

खूब लडी मर्दानी वो तो----------------------
         #4अक्टूबर-#विधानसभाघेराव
       हम किसी की सफलता जरूर देखते हैं लेकिन जरूरत उनके संघर्ष को देखने की भी होती है।किसी को कुछ भी मिलता है तो हम पानी पी पीकर अपने नेताओं को कोसने बैठ जाते हैं।हमारे कई साथियों ने फोन करके बताया कि छुट्टी नहीं मिल रही है तो कई साथियों ने कहा कि ब्लॉक स्तरीय खेलकूद में डियूटी लगी है इसलिए धरने में जाने में असमर्थता जताई।
         आशा बहुओ के संघर्ष को मैं नमन करता हूँ जिन्होंने राष्ट्रीय कार्यक्रम (पल्स पोलियो अभियान) का भी विरोध करने का अदम्य साहस दिखा दिया।राष्ट्रीय कार्यक्रम के विरोध करने पर सीधे मुकदमा (FIR) का प्रावधान है लेकिन इन वीरांगनाओं ने इसे भी कर दिखाया।ना तो खुद पोलियो ड्राप पिलाया और ना ही किसी को पिलाने दिया।
         जो भी साथी बहाना बता रहे हैं और डियूटियों के कारण संघर्ष में असमर्थता जता रहे हैं वो साथी अगर उचित समझें तो इन आशा बहुओं को देखकर थोडा शर्म महसूस कर लें।अब थोड़ा ही समय बचा है और इस थोडे से समय में जो भी कायदे से संघर्ष कर ले जा रहा है उसे जरूर कुछ न कुछ हासिल हो जा रहा है।इस बचे हुए समय में जिन्हें स्कूल जाने की होड़ मची है वो स्कूल चले जाएं और जिनकी डियूटी खेलकूद कराने में लगी है वो व्यवस्थित तरीके से खेलकूद करा लें क्योंकि इस पचास दिन के बाद पता नहीं आपको साल भर इन सब कामों के लिए समय मिले या नहीं।
      हम नेताओं से हमारे कामों का हिसाब तो बडे ढ़ंग से पूंछा जाता है लेकिन जब समय आता है उनसे हिसाब पूंछने का तो वो गायब हो जाते है।मुझे लगता है कि हम लोगों का ज्यादा पढ़ा लिखा होना ही हमारे लिए अभिषाप है।मित्रों इसे अपनी मजबूती बनाइए अभिषाप नहीं।
         इस थोडे से समय में सरकार के नाक में दम कर दीजिए और कुछ न कुछ हासिल कर लीजिए फिर आराम से शिक्षण कार्य में लग जाइए।कुछ भी करके एकबार नियमित हो जाइए उसके बाद आपसे वादा है कि हममें से कोई भी नेता आपको कभी परेशान नहीं करेगा।लेकिन नियमित होने तक साथ तो निभाना होगा दोस्तों।इसबार विधान सभा का घेराव इस तरह से करना है कि यह अनुदेशकों का इतिहास लिख दे।
     तो साथियों फेसबुक और ह्वाट्स अप की काल्पनिक दुनिया से बाहर निकलकर 4 अक्टूबर को धरातल पर आकर संघर्ष के साथी बनिए।

    #याचना #नहीं #अब #रण #होगा।

                 *जय गंगा मैया*
भोला नाथ पाण्डेय
इलाहाबाद
9936451852

4 अक्टूबर-संघर्ष दिवस

सभी साथियों को नमस्कार........
          *(4 अक्टूबर-संघर्ष दिवस)*
       मित्रों इनके संघर्ष का परिणाम इन्हें मिलना शुरू हो गया है।हमलोग इनकी सफलता को देखकर सदैव केवल अपनों पर आरोप-प्रत्यारोप में लग जाते हैं।लेकिन इसके पीछे के इनके संघर्ष को हम देख नहीं पाते हैं।पिछले कुछ दिनों में लगभग सभी संगठनों को मनवांछित मांगों में से कुछ न कुछ मिला जरूर है अब हमारी ही बारी है।
              4 अक्टूबर को ऐसा संघर्ष करना है जो इतिहास बन जाए।मैं सभी साथियों से आह्वान करता हूँ कि एक बार कोलाहल मचा देना है।हमको प्रयास न करना पड़े बल्कि मुख्यमंत्री जी खुद अपनी तरफ से प्रतिनिधि मण्डल को बुलाकर मांग पूरी करें।
           आशा या निराशा तो केवल उन्हें होती है जो संघर्ष में साथ दे रहे हैं।जो लोग घर बैठने वाले हैं वो सदैव एक समान भाव से जीवन जियेंगे और नित्य नये बहाने खोजते रहेंगे।कभी दो संगठन का बहाना बनाकर बैठे रहेंगे तो कभी अपने या अपने परिवार की बीमारी का बहाना बनाकर घर बैठे रहेंगे।कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो वास्तव में परेशान होते हैं लेकिन बहानेबाजों की वजह से ऐसे साथी भी संगठन में सदैव संदिग्ध बने रहते हैं।थोडा सा समय बचा है इसमें नित्य नये बहाने खोज लीजिए या सम्मानजनक जीवन।

*एक तर्क तो कोई भी कदापि न दे कि―तीन वर्षों में कुछ नहीं हुआ तो अब क्या होगा क्योंकि सबकुछ पहली बार ही होता है।किसी भी ग्रुप की सफलता के पीछे के संघर्ष को ईमानदारी से देखेंगे तो आपको आपका संघर्ष कहीं सबसे बेहतर समझ में आयेगा।*

      *4 अक्टूबर को चलिए सरकार के सरकारी नाक में दम कर दिया जाय।*

  एक बात बता दूँ कि इस बार ऐतिहासिक होगा सबकुछ।
        
          *4अक्टूबर-विधान सभा घेराव*

*लाठी खाना है तो विधान सभा के सामने खाएंगे जहाँ से पूरा प्रदेश देख सके।*
               *जय गंगा मैया*

        ओम नारायण शुक्ला
             संतकबीर नगर