23.3.17

शिक्षक बनने को इंतजार हुआ लंबा, शासन के निर्णय से अभ्यर्थियों में मायूसी का आलम

मैनपुरी, भोगांव : परिषदीय स्कूलों में सहायक अध्यापक बनने के लिए काउंसि¨लग करा चुके अभ्यर्थियों को शासन ने करारा झटका दिया है। 12460 शिक्षक चयन प्रक्रिया को तत्काल प्रभाव से अग्रिम आदेशों तक रोक दिया है। इस प्रक्रिया में पहले चरण की काउंसि¨लग के बाद चयन समिति ने कट ऑफ जारी कर दिया था। शासन के निर्णय से अभ्यर्थियों में मायूसी का आलम है।

सपा सरकार ने परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापकों की कमी को दूर करने के लिए 12460 पदों पर आवेदन आमंत्रित किए थे। इस प्रक्रिया में जिले को 195 पद आवंटित कर बीटीसी, विशिष्ट बीटीसी, डीएड व बीएलएड अर्हताधारी अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। तय शेड्यूल के अनुसार पहले चरण की काउंसि¨लग की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। जिले में 195 पदों के लिए 760 अभ्यर्थियों ने दावेदारी की थी। पहले चरण की काउंसि¨लग के बाद चयन समिति ने अभ्यर्थियों के कट ऑफ को जारी कर प्रक्रिया को अगले चरण में पहुंचा दिया था। गुरुवार को शासन ने इस शिक्षक चयन प्रक्रिया की कार्रवाई पर रोक लगा दी। सहायक अध्यापकों के पदों को भरने के लिए गतिमान इस प्रक्रिया पर अग्रिम आदेशों तक रोक लगा दी है। उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद इलाहाबाद के संयुक्त सचिव अशोक गुप्ता ने इस संबंध में बीएसए को निर्देश जारी कर दिया है। शासन से निर्देश जारी होने के बाद अब इस प्रक्रिया के अभ्यर्थियों को करारा झटका लगा है। अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र व प्रक्रिया के गतिमान होने में लंबे समय तक इंतजार करना पड़ सकता है। शासन के निर्देश की जानकारी मिलते ही इस प्रक्रिया में शामिल अभ्यर्थियों में मायूसी नजर आई। अभ्यर्थी मोहित तिवारी व हिमांशु चौहान ने बताया कि पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार उन लोगों को 31 मार्च को नियुक्ति पत्र पाने का बेसब्री से इंतजार था। शासन के इस निर्णय से उन्हें शिक्षक बनने के लिए इंतजार करना पड़ेगा। इस प्रक्रिया में शामिल अभ्यर्थी सत्यम जौहरी, नितिन चौहान, करिश्मा चंदेल, कीर्ति यादव, स्मृति शाक्य, दिव्या भदौरिया, सचिन शाक्य, कुसुम पाठक, नम्रता ¨सह, शालिनी पांडेय ने शासन के निर्णय को बदलने की मांग की है।

यूपी की शिक्षक भर्तियों और TET विवाद पर - शिव कुमार पाठक की लेटेस्ट पोस्ट

सादर अभिनंदन , अनुच्छेद 142 का प्रयोग करके देश की सबसे बड़ी अदालत चाहे तो RTE एक्ट के अनुपालन में आप सभी की  सीधे नियुक्ति का आदेश कर सकती है ।किंतु वे सीधे ऐसा करने से बच रहे हैं
प्रश्न उठता है क्यों ??????

इस क्यों का जवाब यह है कि देश की सबसे बड़ी अदालत यदि कोई अंतरिम या अंतिम आदेश करती है तो उसका प्रभाव पूरे देश में होता है ।
वे जब भी कुछ लिखाते हैं अपने आदेश में तो उत्तरप्रेद्श या किसी राज्य के बारे में सोचकर नहीं बल्कि उनकी सोच राष्ट्रीय होती है और उनके जेहन में समूचा राष्ट्र हो है ।

अब जरा सोचिए कि देश की सबसे बड़ी अदालत संविधान के अनुच्छेद 142 में प्रदत्त अधिकारिता का प्रयोग करते हुए  आप सभी लगभग 50000 याचियों की सीधी नियुक्ति का आदेश कर दे ।और यह खबर देश भर में जाय की 50000 याचियों की सीधे नियुक्ति देश की सबसे बड़े अदालत ने करवाई ।इसका परिणाम क्या होगा ????

पूरे देश में शिक्षकों के लगभग 12 लाख पद रिक्त हैं ।ऐसी स्थिति में मध्य प्रदेश ,बिहार,झारखण्ड,बंगाल,महाराष्ट्र उत्तरांचल,छत्तीसगढ़ हर जगह के लोग अपनी नियुक्ति के लिए सीधे सुप्रीम कोर्ट पहुचेंगे ये स्थिति अत्यंत ही दुविधाजनक होगी ।

इसी लिए आपकी राह के काँटों को हटाने का काम देश की सबसे बड़ी अदालत ने किया ।किन्तु उस साफ़ रास्ते पर चलना आप को ही है ।शिक्षा मित्रों के समायोजन पर रोक लगाकर समायोजन विवाद का निपटारा हाइकोर्ट से देश की सबसे बड़ी अदालत ने करवाया किन्तु रोक सिर्फ इस लिए लगायी है कि उनका विकल्प बन कर आप आ जाएं फिर उनकी विदाई की जाय ।

कहने का आशय सिर्फ इतना है कि अब इसमें आगामी सरकार के रवैये पर बहुत कुछ निर्भर करेगा ।इसलिए राजनैतिक प्रयास हम सभी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है ।
इस मौके को गवाने का मतलब है कि लक्ष्य से चूक जाना ।तारीख 15 मार्च तक अदालत की पैरवी की बात आप सभी अपने दिमाक से निकाल दीजिये ।और सिर्फ आगामी सरकार से अपने सम्बन्ध बेहतर करने की कोशिश करनी है ।

इसी क्रम में आप सभी को कल से अवगत कराया जा रहा है कि पूरे प्रदेश के समस्त याचियों को आज और कल दो दिन माननीय प्रधानमंत्री महोदय की जौनपुर की रैली में डटे रहना है ।

बहुत से लोग अपनेघरों से निकल भी चुके हैं बहुत से लोग आज निकल रहे हैं ।हम भी कुछ ही देर में सिराज ए हिन्द जौनपुर की धरती पर होंगे ।

मोर्चे की जौनपुर इकाई ने कल ही डेरा डाल दिया है ।और पार्टी कार्यालय ने आपका मामला लिखित रूप से लेकर कल शाम को ही  #PMO  मेल कर दिया है

बारी आप सभी की है ।रैली स्थल और पार्टी कार्यालय पर आप ही आप दिखाई देने चाहिए आज से कल तक ।तो निकलिए अपने घरों से मिलते हैं जौनपुर में  ।

और हाँ आलोचना हमेशा कुछ करने वाले की ही होती है ।
कुछ न करने वाले सदैव आलोचना और प्रशंशा से परे होते हैं ।

तो उठिये ,जागिये ,निकलिए अपने घरों से मोर्चा आप से दो दिन मांग रहा है ।
शेष शीघ्र ही फिर से ......
आपका
एस के पाठक
टेट मोर्चा उत्तरप्रदेश

अंकपत्र पर शैक्षिक उपलब्धि के साथ सह शैक्षिक उपलब्धि का विवरण भी होगा दर्ज: कांवेंट स्कूलों की तर्ज पर अब परिषदीय स्कूलों में भी नौनिहालों को परीक्षा में ग्रेड

देवरिया : कांवेंट स्कूलों की तर्ज पर अब परिषदीय स्कूलों में भी नौनिहालों को परीक्षा में ग्रेड मिलेगा। कक्षा एक से आठ तक बच्चों को तीन अलग-अलग रंगों में प्रगति पत्र दिए जाएंगे। कक्षा एक व दो के लिए गुलाबी, कक्षा तीन से पांच तक के लिए पीला और कक्षा छह से आठ तक के लिए आसमानी रंग के प्रगति पत्र छात्रों में वितरित 
किए जाएंगे। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय द्वारा जिले के सभी परिषदीय स्कूलों को प्रगति पत्र उपलब्ध कराने की कवायद शुरू कर दी गई है।1जिले के सभी मान्यता प्राप्त गैर सरकारी स्कूलों, प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कक्षा एक से आठ तक की कक्षाओं में वार्षिक परीक्षा 18 मार्च से शुरू हो गई है, जो 23 मार्च तक चलेगी। कक्षा एक से पांच तक की कक्षाओं में 169194 व कक्षा छह से आठ तक की कक्षाओं में 45355 नौनिहाल परीक्षा दे रहे हैं। कक्षा एक में केवल मौखिक परीक्षा व कक्षा दो व तीन में लिखित व मौखिक परीक्षा का अधिभार 50-50 फीसद होगा। 1कक्षा चार व पांच में लिखित व मौखिक परीक्षा का अधिभार 70 और 30 फीसद होगा। कक्षा छह, सात व आठ में केवल लिखित परीक्षा का है। कक्षा पांच की उत्तर पुस्तिकाएं न्याय पंचायत संसाधन केंद्र पर व कक्षा आठ की उत्तर पुस्तिकाएं ब्लाक संसाधन केंद्र पर व शेष उत्तर पुस्तिकाएं विद्यालय स्तर पर जांच की जाएगी। परीक्षा में 91 से 100 फीसद तक अंक प्राप्त करने पर ए ग्रेड, 76-90 के बीच बी ग्रेड, 75-56 के बीच सी ग्रेड, 41-55 के बीच डी ग्रेड व इससे कम अंक प्राप्त करने पर ई-ग्रेड दिया जाएगा। प्रगति पत्र पर शैक्षिक उपलब्धि के साथ सह-शैक्षिक उपलब्धि का भी विवरण दर्ज होगा।1इन रंगों में दिया जाएगा छात्रों को प्रगति पत्र ’ जागरण’ परिषदीय स्कूलों में कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को ग्रेड मिलेगा1’ कक्षा दो -तीन में लिखित व मौखिक परीक्षा का अधिभार 50-50 फीसदपरिषदीय विद्यालय में अध्ययनरत कक्षा-एक से आठ तक के छात्रों के लिए तीन रंग में प्रगति पत्र प्रकाशित कराया गया है। प्रगति पत्र जल्द ही जिले के सभी परिषदीय स्कूलों को उपलब्ध करा दिया जाएगा।1ओपी शर्मा, जिला समन्वयक प्रशिक्षण

अब दिव्यांगों को गांवों के स्कूलों में मिलेगी शिक्षा

कौशांबी : जिले के दिव्यांग बच्चों को पढ़ाई के लिए भटकना नहीं होगा। गांव के प्राथमिक व जूनियर स्कूलों में उन्हें शिक्षा दी जाएगी। इसके लिए मास्टर ट्रेनरों  द्वारा शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद वह दिव्यागों को आसानी से शिक्षा दे सकेंगे। सर्व शिक्षा अभियान के तहत संचालित की जा रही 
समेकित शिक्षा के अंतर्गत जनपद के परिषदीय विद्यालय में तैनात शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए बुधवार से जिला मुख्यालय के डायट हाल में प्रशिक्षण शिविर चलाया जा रहा है। प्रशिक्षण के दौरान मास्टर ट्रेनर विकास पांडेय ने कहा कि पांच दिन तक शिक्षकों को विशेष जानकारी दी जाएगी। इसके बाद संबंधित शिक्षक दिव्यांग बच्चों को भी शिक्षित कर सकेंगे। कहा कि पठन-पाठन के लिए उन्हें बुक व किताबें भी उपलब्ध कराई जाएगी। प्रशिक्षण शिविर का उद्घाटन जिला विकलांग कल्याण अधिकारी अजय कुमार सिंह ने किया। इस मौके पर शिक्षक राजीव, पुष्पेद्र, इरशाद अहमद, कृष्ण कुमार, रामबहादुर, अनिल आदि मौजूद रहे।

32000 शिक्षामित्रों को मौलिक नियुक्ति की मांग, अवमानना याचिका की सुनवाई 31 मार्च को

32000 शिक्षामित्रों को मौलिक नियुक्ति की मांग, अवमानना याचिका की सुनवाई 31 मार्च को
प्रदेश में 2001 से कार्यरत 32000 असमायोजित शिक्षामित्रों को मौलिक नियुक्ति दिए जाने के लिए समायोजित शिक्षकों ने अवमानना याचिका दायर की है। याचिका में राज्य और विभागीय बेसिक शिक्षा सचिव और एससीइआरटी निदेशक
को प्रतिवादी बनाया गया है। बरेली के एमएससी ग्रुप के रबी बहार, केसी सोनकर, मुहम्मद फैसल और उनके साथियों ने बताया कि 32000 शिक्षामित्रों को मात्र 3500 रूपये मिलते हैं,जबकि ये पिछले 16 वर्षों से शिक्षकों के समान पूरा विद्यालय सँभालते हैं। इनके अधिकार दिलवाने के लिए हमारा ग्रुप आगे आया है। याचिका में समान कार्य समान वेतन के साथ मौलिक नियुक्ति की मांग की गई है। इस याचिका के माध्यम से हिमाचल प्रदेश, झारखंड आदि राज्यों के पारा शिक्षकों को भी जोड़ा जायेगा। इस के पक्ष में देश के जाने माने मानवाधिकारवादी वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ कॉलिन गोंसाल्विस बहस करेंगे। केस की सुनवाई 31 मार्च को होगी।

©मिशन सुप्रीम कोर्ट।।

देश के समस्त अस्थाई व अप्रशिक्षित सेवारत अध्यापक साथियो कों बधाई:सरकार ने अप्रशिक्षित को प्रशिक्षित करने की अवधि बढा कर 31 मार्च 2019 की

देश के समस्त अस्थाई व अप्रशिक्षित सेवारत अध्यापक साथियो कों बधाई*।
अखिल भरतीय अस्थाई अध्यापकों (शिक्षामित्र,पैरा टीचर,गैस टीचर,शिक्षा प्रोवाइडर,शिक्षा कर्मी,विधार्थी मित्र,रहबरे तालीम,बस्तीशाला शिक्षक आदि) पूरे देश मे कार्यरत है,उत्तर प्रदेश मे कार्यरत शिक्षा मित्रों को प्रशिक्षण देकर ट्रेन्ड कर दिया गया है कुछ चार, पाँच सौ की संख्या में प्रशिक्षण से बांचित शिक्षा मित्रों का प्रशिक्षण अब हो सकेगा।

इस संसोधन का लाभ देश भर में कार्यरत पैरा टीचरों को बडे पैमाने पर लाभ मिलेगा और जो भी अप्रशिक्षित रह गये है उन्हे अब प्रशिक्षण मिल सकेगा ।
*अखिल भारतीय अस्थाई अध्यापक महासंघ*
*की प्रतिनिधि सम्मेलन कुरुक्षेत्र हरियाणा में इस माँग को उठाया गया था*
तथा कई बिन्दुओ पर आर०टी० एक्ट में संसोधन करने की माँग की गयी थी।तथा *भारत सरकार को मॉग पत्र दिया गया था*
मित्रों अभी और संसोधन होना है देश भर में कार्यरत शिक्षा मित्राें कों शिक्षक बनाये जाने का RTE Act में संसोधन कर शिक्षक बनाया जा सकता है इसका भी स्पष्टआदेश आना बाकी है उम्मीद है की यह भी बहुत जल्द संसोधित हो जाएगा इस पर अखिल भारतीय अस्थाई शिक्षक महासंघ कार्य कर रहा है।
*कल RTE Act में संसोधित कर अब अप्रशिक्षित सेवारत अस्थाई अध्यापको को(जो अनेकों नाम से सभी प्रदेशों में जाने जाते है)इनका प्रशिक्षित करने की अवधि बढा कर 31 मार्च 2019 तक कर दी गयी है।*
धन्यवाद सभी देश भर के अस्थाई अध्यापको की लडाई लड रहे शिक्षक प्रतिनिधियों को ।
                 *भवदीय*
*गाजी इमाम आला*(राष्ट्रीय संरक्षक)उ०प्र०
*सुनील चौहान*(राष्ट्रीय अध्यक्षं)हिमांचल प्रदेश
*कौशल सिहं* (राष्ट्रीय प्रवक्ता)
*पुनीत चौधरी*(कोषाध्यक्ष)
*शशिभूषन*(महासचिव )हरियाणा प्रदेश
*रमीयुल इस्लाम शेख*(बरिष्ठ उपाध्यक्ष) बंगाल प्रदेश
           
*अखिल भारतीय अस्थाई शिक्षक महासंघ*

शिक्षामित्रों को नई सरकार से बंधी आस, सुप्रीमकोर्ट में बीजेपी शिक्षामित्रों की करेगी मजबूत पैरवी 😁😁😁

शिक्षामित्रों को नई सरकार से बंधी आस, सुप्रीमकोर्ट में बीजेपी शिक्षामित्रों की करेगी मजबूत पैरवी
😁😁😁

BigNews इलाहाबाद-माध्यमिक के बाद अब प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती पर रोक,बीएसए को तत्काल प्रभाव से काउंसिलिंग रोकने के आदेश

BigNews इलाहाबाद-माध्यमिक के बाद अब प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती पर रोक,बीएसए को तत्काल प्रभाव से काउंसिलिंग रोकने के आदेश



12460 भर्ती TET पर होने की आशंका।। जनपद हमीरपुर से की गयी थी आपत्ति।।।

12460 भर्ती TET पर होने की आशंका।।



जनपद हमीरपुर से की गयी थी आपत्ति।।।

बेसिक शिक्षा विभाग में अफसरों का गोलमाल जारी: नियमों को ताक रखकर कर रहे काम

बेसिक शिक्षा विभाग में अफसरों का गोलमाल जारी: नियमों को ताक रखकर कर रहे काम

बेसिक शिक्षा विभाग की हजारों शिक्षक भर्तियों पर लगी रोक, इन भर्तियों पर गिरी गाज

प्रदेश में भाजपा की नई सरकार ने बेसिक शिक्षा विभाग में चल रही हजारों भर्तियों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। इस आदेश के चलते 16460 सहायक अध्यापकों और 32 हजार अनुदेशकों की भर्ती प्रभावित हो गई है।

16 हजार सहायक अध्याक और 32 हजार अनुदेशक भर्ती

सचिव बेसिक शिक्षा परिषद संजय सिंह को शासन से मिले निर्देश के मुताबिक वर्तमान में प्राथमिक विद्यालयों में 12460 सहायक अध्यापक, 4000 उर्दू विषय के सहायक अध्यापकों की भर्ती चल रही है। इसके साथ ही उच्च प्राथमिक विद्यालयों में शारीरिक शिक्षा विषय के 32022 अंशकालिक अनुदेशकों की भी भर्ती चल रही है।

इनमें अनुदेशकों के लिए भर्ती प्रक्रिया अक्तूबर 2016 में शुरू हुई थी जिसके लिए डेढ़ लाख से अधिक बीपीएड, सीपीएड और डीपीएड योग्यताधारी अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। इसी तरह 12460 और 4000 सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए दिसंबर 2016 में शुरू हुई थी। बेसिक शिक्षा परिषद के संयुक्त सचिव अशोक कुमार गुप्ता ने सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को अगले आदेश तक इन दोनों भर्तियों को रोकने के निर्देश दिए हैं।

इसके अलावा उच्च प्राथमिक विद्यालयों में विज्ञान और गणित विषय के 29334 सहायक अध्यापकों के खाली पदों पर भी भर्ती गतिमान है।

उत्तर प्रदेश के स्कूलों तक पहुंचा मुख्यमंत्री योगी का संदेश, शिक्षकों को 'टी-शर्ट' नहीं पहनने का अनुरोध, और इन पर लगी रोक

लखनऊ : स्वच्छ भारत मिशन को जन-जन तक पहुंचाने के साथ ही स्कूलों में अनुशासन को लेकर यूपी की योगी सरकार ने कमर कस लिया है. एक तरफ जहां कानून-व्यवस्था को दुरुस्त करने का दावा किया जा रहा है वहीं स्कूलों को सीएम का सख्त निर्देश पहुंच चुका है.।

जो निर्देश यूपी सीएम को ओर से दिया गया है वह निम्नलिखित है :
1. अगर विद्यालय परिसर में कहीं भी पान मसाला आदि के दाग धब्बे हो तो उन्हें कल हर हाल में मिटवा दें. संकुल प्रभारी भ्रमण कर इसका अनुपालन सुनिश्चित कर लें.।
2.कोई भी शिक्षक किसी भी हाल में विद्यालय अवधि में पान मसाला, गुटका, तम्बाकू, सिगरेट आदि का प्रयोग किसी भी हाल में न करें।
3. ये भी सुनिश्चित करें कि विद्यालय के इर्द गिर्द इसकी दुकानें संचालित न हों, अगर ऐसा है तो बंद करायें।
4. सभी टीचर्स मर्यादित परिधान ही पहनें. टी-शर्ट्स आदि का प्रयोग न करें.।
5. प्रत्येक विद्यालय में प्रार्थना हर हाल में करायी जाये और घंटे का प्रयोग हो।
6. विद्यालय विशेष रूप से जूनियर स्कूल में अगर लड़कियों को स्कूल आने जाने में कहीं छेड़छाड़ का सामना करना पड़ता है या उन्हें कोई परेशान करता है तो तत्काल अवगत करायें।
7. विद्यालय अवधि में मोबाइल का अनावश्यक प्रयोग कदापि न करें।

नई सरकार पिछले 6 माह की सभी भर्तियों की करेगी समीक्षा, मेरिट में गड़बड़ी के कारण शिक्षा विभाग की भर्तियों पर लगाई रोक

इंडिया 24×7 न्यूज़ के अनुसार पिछली सरकार के कामकाज व पिछले 6 महीने की सभी भर्तियों की समीक्षा की जाएगी एवं
मेरिट में गड़बड़ी मिलने की वजह से बेसिक शिक्षा विभाग की सभी नियुक्ति प्रक्रिया पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है यह रोग सरकार के अग्रिम आदेश तक लागू रहेगी

शिक्षक भर्तियों के सम्बन्ध में आज जो लेटर जारी हुआ उसका विश्लेषण: एक लेटर क्या जारी हुआ और समस्त सोशल मीडिया में उमड़ पड़ा तूफान सा

आज बेसिक शिक्षा अधिकारी के लिए एक लेटर जारी हुआ और समस्त सोशल मीडिया में तूफान सा उमड़ पड़ा और इस लेटर को कुछ लोगों द्वारा अपनी विजय के रूप में दिखाने की कोशिशें जारी हैं,जबकि सच्चाई क्या है इसे हम कुछ बिंदुओं से समझेंगें
●लोकसेवा आयोग(UPPSC) की शिकायत की गयी लेकिन ये दिलचस्प रहा की माध्यमिक की भर्ती में किसी तरह की शिकायत नही की लेकिन तब भी माध्यमिक की भर्तियाँ रोक दी गयी,

इससे स्पष्ट है कि प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती में रोक प्रशासन ने स्वतः लागू की है न कि कोई TET वालो के कहने पर
●यदि आप लेटर को ध्यान से पढ़ेंगे तो पायेंगे कि इसमें *समस्त गतिमान* भर्तियों को रोकने की बात की गयी है न कि विशेष रूप से 'सिर्फ 12460'
●72825 तदर्थ नियुक्ति,गणित विज्ञान नियुक्ति,12460 भर्ती और साथ में 4000 उर्दू भर्ती, इन सभी प्रक्रियाओं पर रोक लगाई गई है न कि स्पेशल 12460 पर, इसलिए इस लेटर को सिर्फ 12460 या उसके किसी चयन के आधार से जोड़कर देखना आपकी ग्लतफहमी को दर्शाता है।
●ये ध्यान रखिए कि भर्ती प्रक्रियाओं को रोका जाना,नवीन सरकार का एक ऐसा स्टेप है जो आगे जाकर पुनः आगे बढ़ेगा इसलिए घबराएं न, पुनः भर्ती प्रक्रिया शुरू होगी
●आप सब एक साथ आइए और अपने हक की आवाज उठाइये

RTE2009 एक्ट के बाद शिक्षामित्रों की बगैर टीईटी नियुक्ति असम्भव: अतः समायोजन..... - राहुल पांडेय की कलम से

शिक्षामित्र विवाद : उत्तर प्रदेश में शिक्षामित्रों के चयन हेतु प्रथम शासनादेश दिनांक 26.05.1999 को जारी हुआ था । यह योजना युवाओं की प्राथमिक शिक्षा में भागीदार हेतु थी ।

विश्व बैंक के सहयोग से सहायक अध्यापकों की सहायता हेतु शिक्षामित्र एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में 11 महीने के संविदा पर रखे गये तथा समय-समय पर नये नियम आते रहे।

इनका चयन ग्राम शिक्षा समिति द्वारा होता था ।
मेरी टीम के संरक्षक विजयराज सिंह का चयन प्रथम चरण में शिक्षामित्र पद पर हो जाता।
मेरिट में वो टॉप पर थे परंतु उनकी उम्र दो वर्ष अधिक थी ।
इसलिए उन्होंने हाई कोर्ट से बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 में आरक्षित वर्ग के लिए मिली उम्र की छूट के तहत छूट मांगी ।
BSA इलाहाबाद ने काउंटर लगाया कि शिक्षामित्रों का चयन बेसिक शिक्षा नियमावली से नहीं हुआ है , इनका चयन मात्र संविदा कर्मी के रूप में 11 महीने के लिए हुआ है अतः आरक्षण की बात लागू नहीं होगी ।
इस प्रकार विजय राज भाई शिक्षामित्र नहीं बन सके ।
RTE एक्ट लागू होने के बाद शिक्षामित्र योजना बंद कर दी गयी ।
इस प्रकार शिक्षामित्र अध्यापक नहीं थे मगर दिनांक 4 जनवरी 2011 को उत्तर प्रदेश में शिक्षकों की भारी कमी दिखाकर शिक्षामित्रों को कार्यरत शिक्षक बताकर NCTE से सरकार ने शिक्षामित्रों के प्रशिक्षण हेतु इजाजत मांगी तथा दिनांक 14 जनवरी 2011 को इजाजत मिल गयी ।
जबकि दिनांक 23 अगस्त 2010 को भारत सरकार के राजपत्र से बीएड वालों को नियुक्ति की छूट मिल गयी थी मगर राज्य सरकार ने बीएड बेरोजगारों की अनदेखी कर दी ।
यदि सरकार ने शिक्षामित्रों की बजाय बीएड पर दांव लगाया होता तो उसके लिए अधिक श्रेयष्कर होता ।
प्रशिक्षण के विरुद्ध बीएड वाले हाई कोर्ट गये और स्थगन मिल गया परंतु खंडपीठ ने यह कहकर स्थगन हटा दिया कि यदि ये कार्यरत शिक्षक नहीं होंगे तो इनका प्रशिक्षण याचिका के अंतिम निर्णय के आधीन रहेगा अर्थात निरस्त होगा ।
प्रशिक्षण के बाद वर्ष 2014 एवं 2015 में दो चरणों में लगभग 1.37 लाख शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक पद पर समायोजन हुआ।
समायोजन के लिए राज्य सरकार ने राज्य के बाल शिक्षा अधिकार कानून 2011 में प्रथम संशोधन करके शिक्षामित्रों को बगैर टीइटी के ही नियुक्त करने का नियम बनाया और बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 में 19वां संशोधन करके रूल 16 में उप क्लॉज़ जोड़ा और रूल 8 में शिक्षामित्र योग्यता को स्थान दिया ।
बीएड और बीटीसी बेरोजगारों ने समायोजन को चुनौती दी ।
इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ० DY चंद्रचूड ने दोनों संशोधन रद्द कर दिया और शिक्षामित्रों को संविदाकर्मी बताकर उनका समायोजन निरस्त कर दिया ।
चीफ जस्टिस ने स्पष्ट किया कि यूपी बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 से इनका कोई सम्बन्ध नहीं है ।
शिक्षामित्रों का प्रशिक्षण मामला NCTE पर छोड़ दिया ।
जब सुनवायी चल रही थी तो विजय राज भाई ने कहा कि राहुल भाई इलाहाबाद BSA का काउंटर चीफ साहब को दिखाया जाये तो मैंने कहा कि आप धैर्य रखें दुनिया का सर्वोच्च विद्वान के यहाँ सुनवाई हो रही है, अंत में सत्य खोज लेंगे ।
अंततः चीफ साहब ने संविदाकर्मी बताकर ही समायोजन निरस्त किया ।
ऑनलाइन वर्क में मैं थोड़ा कमजोर हूँ इसलिए श्याम देव मिश्र द्वारा खोजी गयी उमादेवी की नजीर को राजेश राव से मैंने मुकदमे में जिस तरह लिखाया था , चीफ साहब ने उसी शब्दों में आर्डर में उसे लिखाया है ।
शिक्षामित्र/सरकार सुप्रीम कोर्ट गये जहाँ पर उनको दिनांक 7.12.2015 को बीएड के 1100 याचियों को नियुक्ति देने की शर्त पर स्थगन मिला ।
मामला अभी पेंडिंग है ।
मुकदमे की मेरिट के अनुसार दो प्रश्न निर्मित होते हैं ।
1. जब शिक्षामित्र संविदाकर्मी थे तो फिर इनको प्रशिक्षण क्यों दिया गया क्योंकि वह प्रशिक्षण मात्र कार्यरत शिक्षक को ही दिया जा सकता है ?
2. जब इनका प्रशिक्षण अभी तक निरस्त नहीं है तो फिर ये कार्यरत शिक्षक क्यों नहीं थे और इनका समायोजन क्यों निरस्त हो?
शिक्षामित्र संविदाकर्मी थे लेकिन तथ्य छिपाकर उनको प्रशिक्षण दिया गया है अतः इनका प्रशिक्षण अवैध है ।
इनका प्रशिक्षण अवैध नहीं घोषित होता है शिक्षामित्र स्वयं को कार्यरत शिक्षक के आधार पर ही प्रशिक्षण प्राप्त शिक्षक बताएँगे ।
यदि ये कार्यरत शिक्षक थे तो इनको प्रशिक्षण के बाद फिर पुनः नियुक्ति की आवश्यकता क्यों पड़ी ?
इस प्रकार शिक्षामित्रों का प्रशिक्षण बचे चाहे न बचे परंतु समायोजन निरस्त होगा क्योंकि RTE एक्ट के बाद इनकी बगैर टीईटी नियुक्ति सम्भव नहीं है अतः समायोजन निरस्त होगा ।
इस प्रकार मुकदमे की मेरिट के तहत शिक्षामित्रों के लिए सुप्रीम कोर्ट से कोई भी राहत की खबर नहीं है ।
इनका प्रयास सिर्फ मुकदमे से भागना कब तक सफल रहेगा यह सर्वोच्च अदालत और इनकी किस्मत पर निर्भर है ।
अगली पोस्ट में बीएड की 72825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती विवाद, याची राहत एवं नये विज्ञापन पर मुकदमे की मेरिट के अनुसार तर्क रखूँगा ।
कोर्ट क्या करती है यह कोर्ट जानें ।
- राहुल पांडेय