जनसामान्य को वित्तीय साक्षरता का पाठ पढ़ाने का जिम्मा अब छात्र संभालेंगे। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की इस पहल में देशभर के उच्च शिक्षण संस्थानों के छात्र-छात्रएं शामिल होंगे। योजना में राष्ट्रीय सेवा योजना के साथ सामान्य छात्रों का योगदान होगा। विवि अनुदान आयोग ने इस दिशा में विस्तृत कार्यक्रम जारी कर दिया है। 1लोगों को कैशलेस इकॉनामी का पाठ पढ़ाने के लिए छात्रों को सारथी बनाया जाएगा। विशेषकर राष्ट्रीय सेवा योजना सरीखे संगठन इसमें अगुवा होंगे। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रलय की इस योजना में विधिवत स्वयं सेवकों का चयन किया जाएगा। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में इस दिशा में पहल होनी है। मोती लाल नेहरू राष्ट्रीय
प्रौद्योगिकी संस्थान में प्रशिक्षण शुरू हो चुका है। प्रथम चरण में स्वयं सेवकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके बाद छात्रों को सरकारी संस्थानों में भेजा जाएगा। स्वयं सेवक डिजिटल मोड से पेमेंट के फायदे और दूरगामी परिणाम के बारे में बताएंगे। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रलय की इस योजना की शुरूआत में आर्थिक विशेषज्ञों का विशेष योगदान होगा। जिन-जिन संस्थानों में प्रशिक्षण दे दिया गया है वे सभी जनसामान्य और विभिन्न संस्थाओं को इसके फायदे के बारे में बताएंगे। यहां तक कि स्वयं सेवक घर-घर जाकर कैशलेस इकॉनामी के फायदे बताएंगे। इलाहाबाद विवि के एनएसएस की समन्वयक डा. मंजू सिंह का कहना है कि यूजीसी के दिशा निर्देश पर यह अभियान प्रथम चरण में 12 जनवरी 2017 तक चलेगा। इस अभियान द्वारा उच्च शिक्षण संस्थानों के विद्यार्थियों से अपील की गई कि वे भुगतान के डिजिटल तरीकों के बारे में लोगों को साक्षर करें। कैशलेस इकॉनामी ऐसी अर्थव्यवस्था एवं ऐसा समाज है जहां डिजिटल तरीकों का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें। एनएसएस के स्वयंसेवक इस योजना के लाभ को जनसामान्य तक पहुंचा सकते हैं।