28.2.17
27.2.17
25.2.17
24.2.17
23.2.17
8.2.17
U-DISE 2016-17 के अन्तर्गत Student-wise data की इन्ट्री अधिकतम 20 फरवरी 2017 तक पूर्ण कर ऑनलाइन कराने के सम्बन्ध में आदेश जारी
U-DISE 2016-17 के अन्तर्गत Student-wise data की इन्ट्री अधिकतम 20 फरवरी 2017
तक पूर्ण कर ऑनलाइन कराने के सम्बन्ध में आदेश जारी
तक पूर्ण कर ऑनलाइन कराने के सम्बन्ध में आदेश जारी
आरटीई एक्ट - 2009 के अन्तर्गत गैर सहायतित मान्यता प्राप्त विद्यालयों में अलाभित समूह एवं दुर्बल वर्ग के बच्चों के प्रवेश लिये जाने के फलस्वरूप 2016-17 के व्यय हेतु धनराशि जारी की गयी आप नीचे इस बाबत में दिशा-निर्देश व जनपदवार आवंटन देख सकते हैं.
आरटीई एक्ट - 2009 के अन्तर्गत गैर सहायतित मान्यता प्राप्त विद्यालयों में अलाभित समूह एवं दुर्बल वर्ग के बच्चों के प्रवेश लिये जाने के फलस्वरूप 2016-17 के व्यय हेतु धनराशि जारी की गयी आप नीचे इस बाबत में दिशा-निर्देश व जनपदवार आवंटन देख सकते हैं.
शिक्षक भर्ती को लेकर हिन्दुस्तान के सबसे अधिक विवादित केस की तारीख नजदीक: पढ़ें क्या रणनीति है टीईटी नेता हिमांशु राणा की
नमस्कार मित्रों ,
शिक्षक भर्ती को लेकर हिन्दुस्तान के सबसे अधिक विवादित केस की तारीख नजदीक है जिसे लेकर अनायास ही अपने-अपने माध्यम से विभिन्न कार्यों में समस्त गुट लगे हुए हैं, जिन पर हमारी भी नजर है |
सबसे पहले आपको ज्ञात करा दूँ कि आपकी ये टीम विधिक कार्यों को लेकर कोर्ट में जितनी मजबूत है उतनी अन्य प्रकार के लचीले इरादों में नहीं है और एक ये ही टीम है जो कि हमेशा से आपको कहती आ रही थी कि
सर्व-प्रथम शिक्षा मित्रों को बाहर कराना अनिवार्य है तभी आगे की नियुक्तियों के लिए मार्ग-प्रशस्त होगा परन्तु न्यायपालिका की शिथिल कारवाई के तहत आज देखा जाए तो हिन्दुस्तान में इलाहाबाद के न्यायाधीशों द्वारा सुनाये गए निर्णयों के आधार पर अपना वर्चस्व रखने वाली मा० उच्च न्यायपालिका इलाहाबाद पीठ के निर्णयों के विरूद्ध आज विधिक अनुसार नाकाबिल लोग नौकरी पर हैं और जो समस्त अहर्ताओं को पूर्ण करते हैं वे आज भी न्याय की आस में न्यायपालिका के चक्कर काट रहे हैं ,
बहरहाल इस पर टिप्पणी करना हमारे हक़ में नहीं है कि आखिर विधिक अनुसार निर्णय देने में कौन सी मजबूरी है न्यायपालिका के समक्ष परन्तु इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि कुछ पैरवीकारों ने भी इस केस को यहाँ तक लाने में कोई कसार नहीं छोड़ी है |
फिलहाल बात की जाए आगे की :-
*72825 टेट मेरिट पर अंतरिम आदेश के तहत
*लगभग एक लाख अकादमिक मेरिट पर खंड पीठ द्वारा दिए गए आदेश के विरूद्ध भी नौकरी पर
*लगभग डेढ़ लाख शिक्षा मित्र पूर्ण पीठ के आदेश के विरूद्ध
सभी मामले लगे हैं 22 फ़रवरी को होने वाली पूरे दिन के सुनवाई में |
अब बात करते हैं शिक्षा मित्रों की तरफ से होने वाली पैरवी की :-
साथियों शिक्षा मित्र संगठन ऐसे ही नहीं मा० सर्वोच्च न्यायालय के समस्त वरिष्ठ अधिवक्ताओं को हायर कर लेते हैं , ये आप सोचें कि वे ऐसा क्यूँ कर पा रहे हैं ?
आपकी इस टीम ने एक बार आपको याची बनाने के लिए या तत्पश्चात आपके द्वारा दिए गए फॉर्म को अधिवक्ता को उपलब्ध कराने के अलावा आजतक आपसे धन की मांग नहीं की है परन्तु ग्लानी होती है कुछ ऐसी मानसिकता के लोगों के कमेन्ट देखकर कि इस बार फला अधिवक्ता कीजिये और इस बार ये अधिवक्ता करिए जबकि देखा गया है कि कुछ टीम तारीख से पहले मीटिंग करके पैरवी के लिए धन एकत्रित करती हैं तब आपके लिए अधिवक्ता का जुगाड़ करती हैं जबकि हम अनावृत उसी पैसे से आपके लिए अधिवक्ता मुहैया कराते आये हैं |
यहाँ एक बात का उल्लेख अति-आवश्यक है कि संयुक्त मोर्चे या एका दिखाकर भी जो सब्ज-बाग़ आम याचियों को सोशल मीडिया पर दिखाए जाते हैं वे दिल्ली जाकर बदल जाते हैं तो उस पर भी मैं टिप्पणी नहीं करना चाहता हूँ कि ऐसा क्यूँ होता है उसके लिए बस इतना ही जवाब है कि हम लोग अधिक पढ़े-लिखे हैं और शिक्षा मित्र शायद आपसे कुछ कम (टेट पास नहीं है) |
फिलहाल की स्थिति का आंकलन किया जाए तो 22 फ़रवरी को होने वाली सुनवाई अति-महत्वपूर्ण इसलिए है क्यूंकि उस दिन केवल हमारा ही केस लगा है और महादेव से ये ही प्रार्थना है कि 17 नवम्बर के आदेश में उल्लेखित पंक्तियों के आधार पर केवल अपना ही केस लगे और इस संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि केस अनावृत तीन-चार दिन चलकर समस्त मुद्दों पर सुनवाई हो चाहे उसमे टेट-अकादमिक का मुद्दा हो या टेट-नॉन टेट का या शिक्षा मित्रों के प्रशिक्षण का क्यूंकि जब तक ये मुद्दे निस्तारित नहीं होंगे तब तक हम मा० न्यायमूर्ति चंद्रचूड साहब के द्वारा उल्लेखित पूर्ण पीठ के आदेश की पंक्तियों के सहारे :-
Admittedly, all the petitioners were qualified to apply for and be considered for appointment as Assistant Teachers. Their right of consideration was clearly affected and is in fact eclipsed by the absorption of Shiksha Mitras.
अपने नियुक्ति के लिए आदेश नहीं करवा सकते हैं और यहाँ ये बताना आवश्यक है कि बीएड भर्ती स्पेशल प्रावधान के अनुसार है जो कि उपरोक्त पंक्तियों के सहारे ही है कि याचियों का हित शिक्षा मित्रों के समायोजन की वजह से प्रभावित हुआ है |
मित्रों , उपरोक्त विषय पर समस्त प्रतिनिधियों से जल्दी वार्ता की जाएगी और एक प्रयास रहेगा कि वरिष्ठ अधिवक्ताओं को किया जाए जो कि आपके सहयोग के बिना संभव नहीं है परन्तु इस मुद्दे पर गहन चर्चा के उपरान्त ही आपसे सहयोग भेजने का माध्यम बताया जाएगा जिसके लिए आप प्रतीक्षा करें |
मित्रों जैसा कि मैंने बताया है कि बीएड अभ्यर्थी अधिक पढ़े-लिखे हैं तो लिहाजा मेरी इस पोस्ट के बाद कुछ नकरात्मक भाव रखने वाले लोग आरोप-प्रत्यारोप का दौर चालू कर देंगे उन्हें मेरा शुभाशीष लेकिन आपसे बस इतना ही कहना चाहूँगा कि नौकरी आपकी है अगर उसके लिखने से आपको नौकरी मिल जाती है तो मैं कहूँगा रोज सुबह शाम लिखो और अपनी लेखनी से वरिष्ठ अधिवक्ता खड़े करो
और समस्त अभ्यर्थियों को नौकरी दिलवाओ |
धन्यवाद
हर हर महादेव
आपका
हिमांशु राणा
नोट :- अगर कोई भी व्यक्ति हमारे बिना बताये आपसे सहयोग की मांग करता है तो उसके लिए अगर आप कर चुके हैं तो स्वयं जिम्मेदार हैं जैसा कि पोस्ट में कहा है कि समस्त मुद्दों पर कि किस प्रकार सहयोग किया जाए पर सभी से चर्चा होने के उपरान्त ही आपको सहयोग करने का माध्यम बताया जाएगा इसके अलावा उन प्रतिनिधियों का उल्लेख भी करूँगा जो कि सहयोग हम तक नहीं पहुंचाते हैं |
शिक्षक भर्ती को लेकर हिन्दुस्तान के सबसे अधिक विवादित केस की तारीख नजदीक है जिसे लेकर अनायास ही अपने-अपने माध्यम से विभिन्न कार्यों में समस्त गुट लगे हुए हैं, जिन पर हमारी भी नजर है |
सबसे पहले आपको ज्ञात करा दूँ कि आपकी ये टीम विधिक कार्यों को लेकर कोर्ट में जितनी मजबूत है उतनी अन्य प्रकार के लचीले इरादों में नहीं है और एक ये ही टीम है जो कि हमेशा से आपको कहती आ रही थी कि
सर्व-प्रथम शिक्षा मित्रों को बाहर कराना अनिवार्य है तभी आगे की नियुक्तियों के लिए मार्ग-प्रशस्त होगा परन्तु न्यायपालिका की शिथिल कारवाई के तहत आज देखा जाए तो हिन्दुस्तान में इलाहाबाद के न्यायाधीशों द्वारा सुनाये गए निर्णयों के आधार पर अपना वर्चस्व रखने वाली मा० उच्च न्यायपालिका इलाहाबाद पीठ के निर्णयों के विरूद्ध आज विधिक अनुसार नाकाबिल लोग नौकरी पर हैं और जो समस्त अहर्ताओं को पूर्ण करते हैं वे आज भी न्याय की आस में न्यायपालिका के चक्कर काट रहे हैं ,
बहरहाल इस पर टिप्पणी करना हमारे हक़ में नहीं है कि आखिर विधिक अनुसार निर्णय देने में कौन सी मजबूरी है न्यायपालिका के समक्ष परन्तु इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि कुछ पैरवीकारों ने भी इस केस को यहाँ तक लाने में कोई कसार नहीं छोड़ी है |
फिलहाल बात की जाए आगे की :-
*72825 टेट मेरिट पर अंतरिम आदेश के तहत
*लगभग एक लाख अकादमिक मेरिट पर खंड पीठ द्वारा दिए गए आदेश के विरूद्ध भी नौकरी पर
*लगभग डेढ़ लाख शिक्षा मित्र पूर्ण पीठ के आदेश के विरूद्ध
सभी मामले लगे हैं 22 फ़रवरी को होने वाली पूरे दिन के सुनवाई में |
अब बात करते हैं शिक्षा मित्रों की तरफ से होने वाली पैरवी की :-
साथियों शिक्षा मित्र संगठन ऐसे ही नहीं मा० सर्वोच्च न्यायालय के समस्त वरिष्ठ अधिवक्ताओं को हायर कर लेते हैं , ये आप सोचें कि वे ऐसा क्यूँ कर पा रहे हैं ?
आपकी इस टीम ने एक बार आपको याची बनाने के लिए या तत्पश्चात आपके द्वारा दिए गए फॉर्म को अधिवक्ता को उपलब्ध कराने के अलावा आजतक आपसे धन की मांग नहीं की है परन्तु ग्लानी होती है कुछ ऐसी मानसिकता के लोगों के कमेन्ट देखकर कि इस बार फला अधिवक्ता कीजिये और इस बार ये अधिवक्ता करिए जबकि देखा गया है कि कुछ टीम तारीख से पहले मीटिंग करके पैरवी के लिए धन एकत्रित करती हैं तब आपके लिए अधिवक्ता का जुगाड़ करती हैं जबकि हम अनावृत उसी पैसे से आपके लिए अधिवक्ता मुहैया कराते आये हैं |
यहाँ एक बात का उल्लेख अति-आवश्यक है कि संयुक्त मोर्चे या एका दिखाकर भी जो सब्ज-बाग़ आम याचियों को सोशल मीडिया पर दिखाए जाते हैं वे दिल्ली जाकर बदल जाते हैं तो उस पर भी मैं टिप्पणी नहीं करना चाहता हूँ कि ऐसा क्यूँ होता है उसके लिए बस इतना ही जवाब है कि हम लोग अधिक पढ़े-लिखे हैं और शिक्षा मित्र शायद आपसे कुछ कम (टेट पास नहीं है) |
फिलहाल की स्थिति का आंकलन किया जाए तो 22 फ़रवरी को होने वाली सुनवाई अति-महत्वपूर्ण इसलिए है क्यूंकि उस दिन केवल हमारा ही केस लगा है और महादेव से ये ही प्रार्थना है कि 17 नवम्बर के आदेश में उल्लेखित पंक्तियों के आधार पर केवल अपना ही केस लगे और इस संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि केस अनावृत तीन-चार दिन चलकर समस्त मुद्दों पर सुनवाई हो चाहे उसमे टेट-अकादमिक का मुद्दा हो या टेट-नॉन टेट का या शिक्षा मित्रों के प्रशिक्षण का क्यूंकि जब तक ये मुद्दे निस्तारित नहीं होंगे तब तक हम मा० न्यायमूर्ति चंद्रचूड साहब के द्वारा उल्लेखित पूर्ण पीठ के आदेश की पंक्तियों के सहारे :-
Admittedly, all the petitioners were qualified to apply for and be considered for appointment as Assistant Teachers. Their right of consideration was clearly affected and is in fact eclipsed by the absorption of Shiksha Mitras.
अपने नियुक्ति के लिए आदेश नहीं करवा सकते हैं और यहाँ ये बताना आवश्यक है कि बीएड भर्ती स्पेशल प्रावधान के अनुसार है जो कि उपरोक्त पंक्तियों के सहारे ही है कि याचियों का हित शिक्षा मित्रों के समायोजन की वजह से प्रभावित हुआ है |
मित्रों , उपरोक्त विषय पर समस्त प्रतिनिधियों से जल्दी वार्ता की जाएगी और एक प्रयास रहेगा कि वरिष्ठ अधिवक्ताओं को किया जाए जो कि आपके सहयोग के बिना संभव नहीं है परन्तु इस मुद्दे पर गहन चर्चा के उपरान्त ही आपसे सहयोग भेजने का माध्यम बताया जाएगा जिसके लिए आप प्रतीक्षा करें |
मित्रों जैसा कि मैंने बताया है कि बीएड अभ्यर्थी अधिक पढ़े-लिखे हैं तो लिहाजा मेरी इस पोस्ट के बाद कुछ नकरात्मक भाव रखने वाले लोग आरोप-प्रत्यारोप का दौर चालू कर देंगे उन्हें मेरा शुभाशीष लेकिन आपसे बस इतना ही कहना चाहूँगा कि नौकरी आपकी है अगर उसके लिखने से आपको नौकरी मिल जाती है तो मैं कहूँगा रोज सुबह शाम लिखो और अपनी लेखनी से वरिष्ठ अधिवक्ता खड़े करो
और समस्त अभ्यर्थियों को नौकरी दिलवाओ |
धन्यवाद
हर हर महादेव
आपका
हिमांशु राणा
नोट :- अगर कोई भी व्यक्ति हमारे बिना बताये आपसे सहयोग की मांग करता है तो उसके लिए अगर आप कर चुके हैं तो स्वयं जिम्मेदार हैं जैसा कि पोस्ट में कहा है कि समस्त मुद्दों पर कि किस प्रकार सहयोग किया जाए पर सभी से चर्चा होने के उपरान्त ही आपको सहयोग करने का माध्यम बताया जाएगा इसके अलावा उन प्रतिनिधियों का उल्लेख भी करूँगा जो कि सहयोग हम तक नहीं पहुंचाते हैं |
तमंचा लेकर शिक्षिकाओं को दौड़ाया, दबंग नेता चुनाव में भय का बना रहे माहौल
रामपुर : प्राथमिक विद्यालय में प्रत्याशी का पोस्टर लगाने को लेकर विवाद हो गया। आचार संहिता के चलते पोस्टर चिपकाने से मना करने पर प्रधानपुत्र ने तमंचा लेकर शिक्षिकाओं को दौड़ा लिया। जमकर गाली गलौज की। जान से मारने की कोशिश की। मामले में पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर ली है। वहीं, घटना को लेकर शिक्षक संघ ने आक्रोश जताया है और आरोपी की गिरफ्तारी न होने पर चुनाव का बहिष्कार करने की चेतावनी दी है।
घटना टांडा थानांतर्गत ग्राम ईश्वरपुर की है। यहां प्रधानपुत्र असरार हुसैन उर्फ मुनीम पुत्र अनवार हुसैन इन दिनों अपने प्रत्याशी के समर्थन में चुनाव प्रचार में जुटा है। वह मंगलवार को चुनावी पोस्टर लगाने के लिए प्राथमिक विद्यालय पहुंच गया। इस पर इंचार्ज प्रधानाध्यापिका रीता ने आचार संहिता का हवाला देते हुए पोस्टर चिपकाने से मना कर दिया, लेकिन इसके बाद भी प्रधानपुत्र नहीं माना। इसी बात को लेकर कहासुनी हो गई। प्रधानपुत्र गुस्से में चला गया और अपने साथी पूरन सिंह पुत्र वीर सिंह व अन्य के साथ तमंचा लेकर फिर से स्कूल आ गया। उसने शिक्षिकाओं के साथ गाली गलौज शुरू कर दी। इसके बाद तमंचे से हमला करने की कोशिश की। इससे हड़कंप मच गया। इंचार्ज प्रधानाध्यापिका रीता सिंह, सहायक अध्यापिका नीलम दिवाकर एवं तबस्सुम व रसोइया आशा भी स्कूल से जान बचाकर निकल गईं। इसके बाद बच्चे भी स्कूल से चले गए। प्रधानपुत्र ने अध्यापिकाओं का पीछा भी किया, लेकिन सभी जान बचाने में कामयाब रहीं। घटना की जानकारी परिजनों को दी, जिसके बाद शिक्षिकाओं के परिजन पहुंच गए। सभी टांडा थाने आ गए और आरोपियों के खिलाफ तहरीर दी। उनकी तहरीर पर पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर ली है। एसओ रौदास ने बताया कि रिपोर्ट दर्ज कर जांच की जा रही है। जल्द ही आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा। उधर, घटना के बाद से शिक्षकों में आक्रोश है। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष डॉ. राजवीर सिंह का कहना है कि दबंग नेता चुनाव में भय का माहौल बना रहे हैं। ऐसे हालात में शिक्षक कैसे चुनाव ड्यूटी कर सकेंगे?
घटना टांडा थानांतर्गत ग्राम ईश्वरपुर की है। यहां प्रधानपुत्र असरार हुसैन उर्फ मुनीम पुत्र अनवार हुसैन इन दिनों अपने प्रत्याशी के समर्थन में चुनाव प्रचार में जुटा है। वह मंगलवार को चुनावी पोस्टर लगाने के लिए प्राथमिक विद्यालय पहुंच गया। इस पर इंचार्ज प्रधानाध्यापिका रीता ने आचार संहिता का हवाला देते हुए पोस्टर चिपकाने से मना कर दिया, लेकिन इसके बाद भी प्रधानपुत्र नहीं माना। इसी बात को लेकर कहासुनी हो गई। प्रधानपुत्र गुस्से में चला गया और अपने साथी पूरन सिंह पुत्र वीर सिंह व अन्य के साथ तमंचा लेकर फिर से स्कूल आ गया। उसने शिक्षिकाओं के साथ गाली गलौज शुरू कर दी। इसके बाद तमंचे से हमला करने की कोशिश की। इससे हड़कंप मच गया। इंचार्ज प्रधानाध्यापिका रीता सिंह, सहायक अध्यापिका नीलम दिवाकर एवं तबस्सुम व रसोइया आशा भी स्कूल से जान बचाकर निकल गईं। इसके बाद बच्चे भी स्कूल से चले गए। प्रधानपुत्र ने अध्यापिकाओं का पीछा भी किया, लेकिन सभी जान बचाने में कामयाब रहीं। घटना की जानकारी परिजनों को दी, जिसके बाद शिक्षिकाओं के परिजन पहुंच गए। सभी टांडा थाने आ गए और आरोपियों के खिलाफ तहरीर दी। उनकी तहरीर पर पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर ली है। एसओ रौदास ने बताया कि रिपोर्ट दर्ज कर जांच की जा रही है। जल्द ही आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा। उधर, घटना के बाद से शिक्षकों में आक्रोश है। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष डॉ. राजवीर सिंह का कहना है कि दबंग नेता चुनाव में भय का माहौल बना रहे हैं। ऐसे हालात में शिक्षक कैसे चुनाव ड्यूटी कर सकेंगे?
शिक्षामित्र अवैध समायोजन मामला: समायोजन रद्द करते समय इस बात का ध्यान नही रखा की ऐसे कठोरतम फैसले से शिक्षामित्र परिवारों के घर के चूल्हे बुझ जायेंगे
सुप्रीम कोर्ट में लंबित शिक्षा मित्र अवैध समायोजन मामले में शिक्षा मित्र संगठनों की तरफ से दायर विशेष अनुज्ञा याचिकाओं में समायोजन बचाने हेतु गिड़गिड़ाते हुए एक "क्वेश्चन ऑफ़ लॉ " उठाया गया है। जिसमे लिखा गया है की हाई कोर्ट की वृहत पीठ से समायोजन रद्द करते समय इस बात का ध्यान नही रखा की ऐसे कठोरतम फैसले से शिक्षा मित्र परिवारों के घर के चूल्हे बुझ जायेंगे।
इस पर भी असोसिएशन द्वारा कॉउंटर फाइल करते हुए लिखा गया है कि योग्यता और अर्हता से दूर दूर तक वास्ता न रखने वाले शिक्षा मित्र घर के चूल्हे जलाने की बात कोर्ट में रख रहे हैं जबकि सरकार द्वारा ऐसे योग्य अभ्यर्थियों जो की स्नातक के बाद बी टी सी हेतु चयनित होते हैं , दो वर्षीय प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद औसतन ३ बार टी ई टी परीक्षा उत्तीर्ण कर चुके हैं , की योग्यताओं को दरकिनार करते हुए अवैध रूप से सहायक अध्यापक पद हेतु अयोग्य व्यक्तियों को चयन करके इन योग्य लोगो को बेरोजगार बना दिया जाता हैं। ऐसे बेरोजगारों के घर तो चूल्हा अभी तक जला ही नही , इन योग्य बेरोजगारों की जीविका व् घर के चूल्हे की जिम्मेदारी कौन लेगा ?
शिक्षा मित्रों द्वारा भले ही बड़े बड़े वकील हायर कर लिए गए हों लेकिन अंत में वे वकील इस मुकदमे को मानवीय आधार पर ही बहस करते नज़र आएंगे। असोसिएशन इस तरह की बहस के लिए भी पूरी तरह से तैयार है।
जो शिक्षा मित्र 3500 में अपना चूल्हा जला रहे थे उन्हें सरकार ने अनुकंपा के आधार पर 30,000 रूपये प्रतिमाह का नियमित सरकारी कर्मचारी बना दिया। इधर शिक्षा मित्रों के चूल्हों पर रोज़ शाही पनीर की हंडियां चढ़ने लगी उधर बी टी सी वाले बेरोजगारी की भट्टी में तपते रहे। बहुत से बी टी सी वालों को नमक रोटी चलाने के लिए वो सब कुछ करना पड़ा जिसकी कल्पना उन्होंने ज़िन्दगी में कभी नही की थी। इसके पीछे एकमात्र वजह अवैध समायोजन थी। यदि समायोजन नही हुआ होता तो बी टी सी + टी ई टी पास एक भी बेरोजगार नही होता। बी टी सी परिवार में खुशहाली के लिए अवैध समायोजन का रद्द होना नितांत आवश्यक है। बी टी सी ट्रेनी वेलफेयर इस हेतु प्रतिबध्द है। अधिवक्ताओं की ब्रीफिंग का कार्य अगले सप्ताह से शुरू कर दिया जायेगा।
चुनाव का समय है। बी टी सी वाले इतने एकजुट नही है की सरकार बनाने में निर्णायक भूमिका निभाएं। इसलिए सभी बी टी सी भाई अपने विवेक से मतदान करें , मगर इतना संगठित और एकजुट ज़रूर रहे ही सरकार किसी की भी बने , उसकी छाती पर चढ़कर अपना काम करवा लें।
इस पर भी असोसिएशन द्वारा कॉउंटर फाइल करते हुए लिखा गया है कि योग्यता और अर्हता से दूर दूर तक वास्ता न रखने वाले शिक्षा मित्र घर के चूल्हे जलाने की बात कोर्ट में रख रहे हैं जबकि सरकार द्वारा ऐसे योग्य अभ्यर्थियों जो की स्नातक के बाद बी टी सी हेतु चयनित होते हैं , दो वर्षीय प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद औसतन ३ बार टी ई टी परीक्षा उत्तीर्ण कर चुके हैं , की योग्यताओं को दरकिनार करते हुए अवैध रूप से सहायक अध्यापक पद हेतु अयोग्य व्यक्तियों को चयन करके इन योग्य लोगो को बेरोजगार बना दिया जाता हैं। ऐसे बेरोजगारों के घर तो चूल्हा अभी तक जला ही नही , इन योग्य बेरोजगारों की जीविका व् घर के चूल्हे की जिम्मेदारी कौन लेगा ?
शिक्षा मित्रों द्वारा भले ही बड़े बड़े वकील हायर कर लिए गए हों लेकिन अंत में वे वकील इस मुकदमे को मानवीय आधार पर ही बहस करते नज़र आएंगे। असोसिएशन इस तरह की बहस के लिए भी पूरी तरह से तैयार है।
जो शिक्षा मित्र 3500 में अपना चूल्हा जला रहे थे उन्हें सरकार ने अनुकंपा के आधार पर 30,000 रूपये प्रतिमाह का नियमित सरकारी कर्मचारी बना दिया। इधर शिक्षा मित्रों के चूल्हों पर रोज़ शाही पनीर की हंडियां चढ़ने लगी उधर बी टी सी वाले बेरोजगारी की भट्टी में तपते रहे। बहुत से बी टी सी वालों को नमक रोटी चलाने के लिए वो सब कुछ करना पड़ा जिसकी कल्पना उन्होंने ज़िन्दगी में कभी नही की थी। इसके पीछे एकमात्र वजह अवैध समायोजन थी। यदि समायोजन नही हुआ होता तो बी टी सी + टी ई टी पास एक भी बेरोजगार नही होता। बी टी सी परिवार में खुशहाली के लिए अवैध समायोजन का रद्द होना नितांत आवश्यक है। बी टी सी ट्रेनी वेलफेयर इस हेतु प्रतिबध्द है। अधिवक्ताओं की ब्रीफिंग का कार्य अगले सप्ताह से शुरू कर दिया जायेगा।
चुनाव का समय है। बी टी सी वाले इतने एकजुट नही है की सरकार बनाने में निर्णायक भूमिका निभाएं। इसलिए सभी बी टी सी भाई अपने विवेक से मतदान करें , मगर इतना संगठित और एकजुट ज़रूर रहे ही सरकार किसी की भी बने , उसकी छाती पर चढ़कर अपना काम करवा लें।
नहीं दी जा सकती मनमाने तौर पर अंतरिम राहत
विधि संवाददाता, इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी आदेश के खिलाफ अपील की सुनवाई करते हुए मनमाने तौर पर अंतरिम राहत नहीं दी जा सकती। प्रश्नगत आदेश के अमल पर रोक लगाने का कारण स्पष्ट करना चाहिए। यदि आदेश पर रोक नहीं लगाई गई तो क्या अपूर्णीय क्षति होगी, इसका उल्लेख किए बगैर
अंतरिम राहत देना नैसर्गिक विधि सिद्धांतों के विपरीत है।1हाईकोर्ट ने अपर आयुक्त इलाहाबाद कमलेश कुमार सिंह को भविष्य में सावधान रहने की चेतावनी देते हुए आठ दिसंबर, 2016 को पारित आदेश रद कर दिया है, क्योंकि अपील उप आयुक्त (खाद्य) इलाहाबाद को स्थानान्तरित कर दी गई है। इसलिए कोर्ट ने उन्हें दोनों पक्षों को सुनकर दो माह में अपील निर्णीत करने का निर्देश दिया है।1यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी ने पंकज कुमार की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार को अधिकारियों को प्रशिक्षण देना चाहिए, ताकि अधिकारी न्यायिक कार्य मानकों व नियमों का पालन करते हुए करे। 1अपर कमिश्नर ने बिना कारण स्पष्ट किये प्रश्नगत आदेश पर अपील विचाराधीन रहने तक रोक लगा दी थी। जिसे कोर्ट ने सही नहीं माना और नए सिरे से अंतरिम आदेश अर्जी पर आदेश पारित करने की भी छूट दी है।
अंतरिम राहत देना नैसर्गिक विधि सिद्धांतों के विपरीत है।1हाईकोर्ट ने अपर आयुक्त इलाहाबाद कमलेश कुमार सिंह को भविष्य में सावधान रहने की चेतावनी देते हुए आठ दिसंबर, 2016 को पारित आदेश रद कर दिया है, क्योंकि अपील उप आयुक्त (खाद्य) इलाहाबाद को स्थानान्तरित कर दी गई है। इसलिए कोर्ट ने उन्हें दोनों पक्षों को सुनकर दो माह में अपील निर्णीत करने का निर्देश दिया है।1यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी ने पंकज कुमार की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार को अधिकारियों को प्रशिक्षण देना चाहिए, ताकि अधिकारी न्यायिक कार्य मानकों व नियमों का पालन करते हुए करे। 1अपर कमिश्नर ने बिना कारण स्पष्ट किये प्रश्नगत आदेश पर अपील विचाराधीन रहने तक रोक लगा दी थी। जिसे कोर्ट ने सही नहीं माना और नए सिरे से अंतरिम आदेश अर्जी पर आदेश पारित करने की भी छूट दी है।
विद्यालयों में 21 को मनेगा मातृभाषा दिवस, कवायद शुरू, सर्व शिक्षा अभियान के अफसरों ने सभी बीएसए को भेजा निर्देश
प्रदेश के सभी प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में 21 फरवरी को मातृभाषा दिवस मनाया जाएगा। इसका मकसद देश को भाषा के स्तर पर एक सूत्र में पिरोना है। सर्व शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशक ने सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को इस संबंध में निर्देश जारी कर दिया है। मानव संसाधन विकास मंत्रलय भारत
सरकार ने मातृभाषा दिवस मनाने के लिए निर्देश जारी किया है। इसमें कहा गया है कि भाषा मानव को मानव से जोड़ती है। हमें अपनी के साथ-साथ हर मातृभाषा का सदैव सम्मान करना चाहिए, ताकि समाज में एकता स्थापित हो सके। सर्व शिक्षा अभियान ने बेसिक शिक्षा अधिकारी को भेजे निर्देश में कहा है कि इस मौके पर विद्यालय में विविध आयोजन किए जाएं, ताकि बच्चों में मातृभाषा के प्रति सम्मान का भाव जागृत हो। अफसरों ने विद्यालयों में होने वाले आयोजनों की फोटो व रिपोर्ट भी ई-मेल पर 25 फरवरी तक भेजने का निर्देश दिया है।’>>देश को एक सूत्र में पिरोने की मंशा से भारत सरकार का निर्देश 1’>> सर्व शिक्षा अभियान के अफसरों ने सभी बीएसए को भेजा निर्देश
सरकार ने मातृभाषा दिवस मनाने के लिए निर्देश जारी किया है। इसमें कहा गया है कि भाषा मानव को मानव से जोड़ती है। हमें अपनी के साथ-साथ हर मातृभाषा का सदैव सम्मान करना चाहिए, ताकि समाज में एकता स्थापित हो सके। सर्व शिक्षा अभियान ने बेसिक शिक्षा अधिकारी को भेजे निर्देश में कहा है कि इस मौके पर विद्यालय में विविध आयोजन किए जाएं, ताकि बच्चों में मातृभाषा के प्रति सम्मान का भाव जागृत हो। अफसरों ने विद्यालयों में होने वाले आयोजनों की फोटो व रिपोर्ट भी ई-मेल पर 25 फरवरी तक भेजने का निर्देश दिया है।’>>देश को एक सूत्र में पिरोने की मंशा से भारत सरकार का निर्देश 1’>> सर्व शिक्षा अभियान के अफसरों ने सभी बीएसए को भेजा निर्देश
यूपी बोर्ड के अतिसंवेदनशील परीक्षा केंद्रों पर होंगे स्टैटिक मजिस्ट्रेट, 10 से 12 केंद्रों पर एक सेक्टर मजिस्टेट करेगा परीक्षा की निगरानी , जिलों में डीएम व एसपी की अगुआई में अफसरों की होगी तैयारी बैठक
राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : यूपी बोर्ड परीक्षा 2017 को नकलविहीन व शांतिपूर्ण कराने के लिए कड़े निर्देश जारी हो गए हैं। प्रदेश भर के अतिसंवेदनशील परीक्षा केंद्रों पर स्टैटिक मजिस्ट्रेट तैनात होगा, जो दोनों पालियों में इम्तिहान की निगरानी करेगा। हर 10 से 12 परीक्षा केंद्रों पर एक सेक्टर मजिस्ट्रेट नियुक्त होगा। बाहर से कराई जाने वाली नकल की रोकथाम के लिए सेक्टर मजिस्ट्रेट की जवाबदेही होगी। इस कार्य में जिले के राजस्व अधिकारी, डिप्टी कलेक्टर व सिटी मजिस्ट्रेट लगाए जाएंगे। 1माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड की
हाईस्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षा 2017 को सकुशल संपन्न कराने के लिए मुख्य सचिव राहुल भटनागर ने मंडलायुक्त एवं जिलाधिकारियों को निर्देश जारी कर दिया है। कहा गया है कि परीक्षाएं शुरू होने से एक सप्ताह पहले जिले में डीएम की अध्यक्षता में एसपी, डीआइओएस, सभी एसडीएम व सीओ के साथ सभी केंद्र व्यवस्थापकों की बैठक की जाए। इसमें परीक्षा व्यवस्था, प्रश्नपत्रों तथा उत्तर पुस्तिकाओं की सुरक्षा, कानून व्यवस्था और संवेदनशील परीक्षा केंद्रों के निरीक्षण पर चर्चा हो। प्रश्नपत्रों की सुरक्षा में विशेष एहतियात बरतने की हिदायत दी गई है। परीक्षा केंद्र के अंदर पाठ्य सामग्री ले जाने की अनुमति नहीं होगी। इसके लिए कॉलेज के गेट पर आंतरिक निरीक्षण दस्ता परीक्षार्थियों की व्यापक तलाशी ले। इसी तरह परीक्षा केंद्र पर सेल्युलर फोन, इलेक्ट्रानिक संयंत्र जिनसे अनुचित साधन प्रयोग की आशंका हो ले जाने की अनुमति नहीं है। केंद्र के बाहर धारा 144 लागू रहेगी और बाहर से नकल न होने पाए इसके लिए सेक्टर मजिस्ट्रेट जिम्मेदार होंगे। 1मुख्य सचिव का निर्देश है कि परीक्षा केंद्र पर सामूहिक नकल की सूचना या फिर संदेह होने पर प्रभावी कार्रवाई की जाएगी। वहां का प्रश्नपत्र बदला जाएगा या फिर उस पाली की परीक्षा निरस्त होगी। छात्रों का सिटिंग प्लान उनके अनुक्रमांक के आधार पर बनाया जाएगा। इसमें गड़बड़ी मिलने पर केंद्र व्यवस्थापक जिम्मेदार होगा। परीक्षा अवधि में किसी व्यक्ति के परीक्षा संबद्ध शिक्षकों आदि को धमकाने पर त्वरित कार्रवाई होगी। परीक्षा केंद्र के आसपास ध्वनि विस्तारक यंत्रों का प्रयोग प्रतिबंधित होगा। यह भी निर्देश है कि डीएम जिले में एक समिति गठित करें, जिसमें प्रशासन, पुलिस के अधिकारी, प्रभावशाली नागरिक, अभिभावक, कुछ केंद्र व्यवस्थापक व समाचारपत्रों के प्रतिनिधियों को शामिल करें, इससे व्यवस्था में सुधार के साथ हर तरफ से जानकारी मिलेगी।1हर मंडल में एक शिक्षाधिकारी पर्यवेक्षक : यूपी बोर्ड परीक्षा 2017 की निगरानी के लिए मंडल स्तर पर भी इंतजाम किए गए हैं। प्रदेश के सभी 18 मंडलों में एक-एक वरिष्ठ शिक्षाधिकारी को जिम्मेदारी सौंपी गई है। समूचे मंडल की परीक्षा तैयारियों की समीक्षा के साथ ही वह केंद्रों का निरीक्षण भी करेंगे। यह पर्यवेक्षक शिक्षा निदेशक माध्यमिक अमरनाथ वर्मा व परिषद सचिव शैल यादव को अपनी रिपोर्ट भेजेंगे। हाईस्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षा 2017 के लिए पर्यवेक्षकों का चयन कर लिया गया है। इसमें इलाहाबाद मंडल की निगरानी बेसिक शिक्षा की अपर शिक्षा निदेशक नीना श्रीवास्तव, मेरठ मंडल में अपर शिक्षा निदेशक पत्रचार इलाहाबाद कीर्ति गौतम, अलीगढ़ में संयुक्त शिक्षा निदेशक अर्थ शिक्षा निदेशालय इलाहाबाद अंजना गोयल, लखनऊ में संयुक्त शिक्षा निदेशक बेसिक निशातगंज लखनऊ ललिता प्रदीप, गोरखपुर में संयुक्त शिक्षा निदेशक शिविर कार्यालय लखनऊ केके गुप्ता, मिर्जापुर में संयुक्त शिक्षा निदेशक बेसिक शिक्षा निदेशालय इलाहाबाद गायत्री, बस्ती में उप शिक्षा निदेशक सेवाएं एक शिक्षा निदेशालय इलाहाबाद अनिल भूषण चतुर्वेदी, झांसी में प्राचार्य राज्य शिक्षा संस्थान इलाहाबाद दिव्यकांत शुक्ल, सहारनपुर में जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान हापुड़ दिनेश सिंह, बरेली में प्राचार्य जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान बाराबंकी, आगरा में उप शिक्षा निदेशक राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान हरवंश सिंह, कानपुर में उप शिक्षा निदेशक माध्यमिक दो शिक्षा निदेशालय इलाहाबाद शिव सेवक सिंह, वाराणसी में प्राचार्य जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान इलाहाबाद राजेंद्र प्रताप, आजमगढ़ में उप शिक्षा निदेशक सीटीई इलाहाबाद विष्णु श्याम द्विवेदी, देवीपाटन में उप शिक्षा निदेशक संस्कृत शिक्षा निदेशालय उप्र इलाहाबाद कमलेश कुमार, फैजाबाद में उप शिक्षा निदेशक साक्षरता एवं वैकल्पिक शिक्षा लखनऊ मंशाराम, मुरादाबाद में उप शिक्षा निदेशक साक्षरता एवं वैकल्पिक शिक्षा लखनऊ विनय कुमार गिल एवं चित्रकूट मंडल में उप शिक्षा निदेशक शिक्षा निदेशालय इलाहाबाद आरएन विश्वकर्मा को नियुक्त किया गया है।परीक्षाओं के औचक निरीक्षण के लिए गठित सचल दल में महिला निरीक्षणकर्ता की व्यवस्था अनिवार्य रूप से हो। किसी भी दशा में सचल या फिर निरीक्षण दल के पुरुष सदस्य छात्रओं की तलाशी नहीं लेंगे।
हाईस्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षा 2017 को सकुशल संपन्न कराने के लिए मुख्य सचिव राहुल भटनागर ने मंडलायुक्त एवं जिलाधिकारियों को निर्देश जारी कर दिया है। कहा गया है कि परीक्षाएं शुरू होने से एक सप्ताह पहले जिले में डीएम की अध्यक्षता में एसपी, डीआइओएस, सभी एसडीएम व सीओ के साथ सभी केंद्र व्यवस्थापकों की बैठक की जाए। इसमें परीक्षा व्यवस्था, प्रश्नपत्रों तथा उत्तर पुस्तिकाओं की सुरक्षा, कानून व्यवस्था और संवेदनशील परीक्षा केंद्रों के निरीक्षण पर चर्चा हो। प्रश्नपत्रों की सुरक्षा में विशेष एहतियात बरतने की हिदायत दी गई है। परीक्षा केंद्र के अंदर पाठ्य सामग्री ले जाने की अनुमति नहीं होगी। इसके लिए कॉलेज के गेट पर आंतरिक निरीक्षण दस्ता परीक्षार्थियों की व्यापक तलाशी ले। इसी तरह परीक्षा केंद्र पर सेल्युलर फोन, इलेक्ट्रानिक संयंत्र जिनसे अनुचित साधन प्रयोग की आशंका हो ले जाने की अनुमति नहीं है। केंद्र के बाहर धारा 144 लागू रहेगी और बाहर से नकल न होने पाए इसके लिए सेक्टर मजिस्ट्रेट जिम्मेदार होंगे। 1मुख्य सचिव का निर्देश है कि परीक्षा केंद्र पर सामूहिक नकल की सूचना या फिर संदेह होने पर प्रभावी कार्रवाई की जाएगी। वहां का प्रश्नपत्र बदला जाएगा या फिर उस पाली की परीक्षा निरस्त होगी। छात्रों का सिटिंग प्लान उनके अनुक्रमांक के आधार पर बनाया जाएगा। इसमें गड़बड़ी मिलने पर केंद्र व्यवस्थापक जिम्मेदार होगा। परीक्षा अवधि में किसी व्यक्ति के परीक्षा संबद्ध शिक्षकों आदि को धमकाने पर त्वरित कार्रवाई होगी। परीक्षा केंद्र के आसपास ध्वनि विस्तारक यंत्रों का प्रयोग प्रतिबंधित होगा। यह भी निर्देश है कि डीएम जिले में एक समिति गठित करें, जिसमें प्रशासन, पुलिस के अधिकारी, प्रभावशाली नागरिक, अभिभावक, कुछ केंद्र व्यवस्थापक व समाचारपत्रों के प्रतिनिधियों को शामिल करें, इससे व्यवस्था में सुधार के साथ हर तरफ से जानकारी मिलेगी।1हर मंडल में एक शिक्षाधिकारी पर्यवेक्षक : यूपी बोर्ड परीक्षा 2017 की निगरानी के लिए मंडल स्तर पर भी इंतजाम किए गए हैं। प्रदेश के सभी 18 मंडलों में एक-एक वरिष्ठ शिक्षाधिकारी को जिम्मेदारी सौंपी गई है। समूचे मंडल की परीक्षा तैयारियों की समीक्षा के साथ ही वह केंद्रों का निरीक्षण भी करेंगे। यह पर्यवेक्षक शिक्षा निदेशक माध्यमिक अमरनाथ वर्मा व परिषद सचिव शैल यादव को अपनी रिपोर्ट भेजेंगे। हाईस्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षा 2017 के लिए पर्यवेक्षकों का चयन कर लिया गया है। इसमें इलाहाबाद मंडल की निगरानी बेसिक शिक्षा की अपर शिक्षा निदेशक नीना श्रीवास्तव, मेरठ मंडल में अपर शिक्षा निदेशक पत्रचार इलाहाबाद कीर्ति गौतम, अलीगढ़ में संयुक्त शिक्षा निदेशक अर्थ शिक्षा निदेशालय इलाहाबाद अंजना गोयल, लखनऊ में संयुक्त शिक्षा निदेशक बेसिक निशातगंज लखनऊ ललिता प्रदीप, गोरखपुर में संयुक्त शिक्षा निदेशक शिविर कार्यालय लखनऊ केके गुप्ता, मिर्जापुर में संयुक्त शिक्षा निदेशक बेसिक शिक्षा निदेशालय इलाहाबाद गायत्री, बस्ती में उप शिक्षा निदेशक सेवाएं एक शिक्षा निदेशालय इलाहाबाद अनिल भूषण चतुर्वेदी, झांसी में प्राचार्य राज्य शिक्षा संस्थान इलाहाबाद दिव्यकांत शुक्ल, सहारनपुर में जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान हापुड़ दिनेश सिंह, बरेली में प्राचार्य जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान बाराबंकी, आगरा में उप शिक्षा निदेशक राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान हरवंश सिंह, कानपुर में उप शिक्षा निदेशक माध्यमिक दो शिक्षा निदेशालय इलाहाबाद शिव सेवक सिंह, वाराणसी में प्राचार्य जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान इलाहाबाद राजेंद्र प्रताप, आजमगढ़ में उप शिक्षा निदेशक सीटीई इलाहाबाद विष्णु श्याम द्विवेदी, देवीपाटन में उप शिक्षा निदेशक संस्कृत शिक्षा निदेशालय उप्र इलाहाबाद कमलेश कुमार, फैजाबाद में उप शिक्षा निदेशक साक्षरता एवं वैकल्पिक शिक्षा लखनऊ मंशाराम, मुरादाबाद में उप शिक्षा निदेशक साक्षरता एवं वैकल्पिक शिक्षा लखनऊ विनय कुमार गिल एवं चित्रकूट मंडल में उप शिक्षा निदेशक शिक्षा निदेशालय इलाहाबाद आरएन विश्वकर्मा को नियुक्त किया गया है।परीक्षाओं के औचक निरीक्षण के लिए गठित सचल दल में महिला निरीक्षणकर्ता की व्यवस्था अनिवार्य रूप से हो। किसी भी दशा में सचल या फिर निरीक्षण दल के पुरुष सदस्य छात्रओं की तलाशी नहीं लेंगे।
2.2.17
गिरी गाज: बीएसए की जांच में फिट मिले 20 बीमार शिक्षक , होगी कार्रवाई
हरदोई: स्वास्थ्य प्रमाण पत्र के आधार पर ड्यूटी से मुक्ति मांगने वाले 20 अध्यापकों पर कार्रवाई की तलवार लटने लगी है। भौतिक सत्यापन के बाद जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के संस्तुति न करने पर सीडीओ ने सभी को कारण बताओ नोटिस जारी कर ड्यूटी करने का आदेश दिया है।1विधान सभा चुनाव में ड्यूटी कटवाने वालों की भीड़ लग गई। जिलाधिकारी ने सीएमओ की अध्यक्षता में समिति गठित कर उसकी संस्तुति के आधार पर ही ड्यूटी काटने की बात कही थी लेकिन जब जांच हुई तो 237 कर्मचारी अनफिट आ गए। मुख्य विकास अधिकारी राधेश्याम ने सभी की भौतिक जांच का आदेश दिया था। अनफिट कर्मचारियों में परिषदीय विद्यालयों के 41
शिक्षक शिक्षिकाएं शामिल थे। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी मसीहुज्जमा सिद्दीकी ने सभी की जांच कराई कुछ को अपने सामने बुलाया तो खंड शिक्षा अधिकारियों को उनके विद्यालय भेजा। 1जिसमें 20 ड्यूटी करने के योग्य मिले और बीएसए ने इन सभी की ड्यूटी न काटने की संस्तुति कर सीडीओ को आख्या भेजी थी और उसी पर सीडीओ ने बीएसए को पत्र भेजा है। सीडीओ के पत्र के अनुसार 16 पीठासीन अधिकारियों ने सुधीर कुमार, सुरेंद्र नाथ, प्रदीप कुमार, कमलाकांत तिवारी, शिवशंकर, सोमवीर सिंह, अनिल कुमार, विमलेश बाजपेई, जुबैर हुसैन, हेमंत पांडे, रामपाल, रजनीश कुमार मिश्र, विवेक कुमार व नरसिंह तथा मतदान अधिकारी प्रथम में निर्मल कुशवाहा, शैलेंद्र कुमार, उदय प्रताप, अरुणा सिंह व आदर्श कुमार की ड्यटी काटने की संस्तुति नहीं की थी। सीडीओ ने बीएसए को जारी आदेश में इन सभी को निर्वाचन कार्य में व्यवधान डालने के आरोप में लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत कारण बताओ नोटिस जारी कर प्रशिक्षण लेने का आदेश दिया है।’>>स्वास्थ्य विभाग की जांच में बताए थे अस्वस्थ1’>>सीडीओ ने सभी को कारण बताओ नोटिस जारी करने का दिया आदेश
शिक्षक शिक्षिकाएं शामिल थे। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी मसीहुज्जमा सिद्दीकी ने सभी की जांच कराई कुछ को अपने सामने बुलाया तो खंड शिक्षा अधिकारियों को उनके विद्यालय भेजा। 1जिसमें 20 ड्यूटी करने के योग्य मिले और बीएसए ने इन सभी की ड्यूटी न काटने की संस्तुति कर सीडीओ को आख्या भेजी थी और उसी पर सीडीओ ने बीएसए को पत्र भेजा है। सीडीओ के पत्र के अनुसार 16 पीठासीन अधिकारियों ने सुधीर कुमार, सुरेंद्र नाथ, प्रदीप कुमार, कमलाकांत तिवारी, शिवशंकर, सोमवीर सिंह, अनिल कुमार, विमलेश बाजपेई, जुबैर हुसैन, हेमंत पांडे, रामपाल, रजनीश कुमार मिश्र, विवेक कुमार व नरसिंह तथा मतदान अधिकारी प्रथम में निर्मल कुशवाहा, शैलेंद्र कुमार, उदय प्रताप, अरुणा सिंह व आदर्श कुमार की ड्यटी काटने की संस्तुति नहीं की थी। सीडीओ ने बीएसए को जारी आदेश में इन सभी को निर्वाचन कार्य में व्यवधान डालने के आरोप में लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत कारण बताओ नोटिस जारी कर प्रशिक्षण लेने का आदेश दिया है।’>>स्वास्थ्य विभाग की जांच में बताए थे अस्वस्थ1’>>सीडीओ ने सभी को कारण बताओ नोटिस जारी करने का दिया आदेश
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