बरेली : बेसिक शिक्षा विभाग के वरिष्ठ लिपिक भूपेंद्र पाल सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण संगठन ने आय से अधिक संपत्ति का मुकदमा बारादरी थाने में दर्ज करवाया है। जांच में सामने आया कि वरिष्ठ लिपिक पद पर रहते हुए कुछ साल में वह लखपति हो गया। इसकी शिकायत मुख्यमंत्री प्रकोष्ठ में की गई थी।1बेसिक शिक्षा विभाग में वरिष्ठ लिपिक भूपेंद्र, राजेंद्रनगर स्थित पीडब्लूडी कॉलोनी के 17/1 मकान में रहते हैं। जबकि गांव
फुलासी तहसील आंवला में उनका एक और निजी मकान है। अखिल भारतीय भ्रष्टाचार एवं शोषण निवारण समिति राजेंद्र नगर के राष्ट्रीय प्रचार मंत्री वीके गुप्ता की तरफ से 22 अप्रैल 2012 को मुख्यमंत्री को पत्र लिखा गया था। इसमें बाबू के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने की शिकायत की गई थी। शशिकांत कनौजिया अनु सचिव गृह (गोपन) ने 22 अप्रैल में प्रकरण की जांच भ्रष्टाचार निवारण संगठन को सौंप दी थी। जांच में सामने आया कि भूपेंद्र पाल वामसेफ के मंडलीय उपाध्यक्ष पद पर थे। पिछले बसपा शासनकाल में वामसेफ का रुतबा दिखाकर सहकर्मियों को परेशान करना, प}ी को जिला पंचायत सदस्य बनाने संबंधित आरोप भी उन पर लगे थे। हालांकि जांच में यह निराधार साबित हुए थे। भ्रष्टाचार निवारण संगठन की जांच में पता चला कि पहली नवंबर 2006 से मार्च 2012 तक उन्होंने वैध आय के स्रोत से 23 लाख 74 हजार 528 रुपये कमाए। जबकि इस अवधि में करीब 28 लाख 99 हजार 205 रुपया का व्यय किया। भ्रष्टाचार निवारण संगठन को जांच में करीब पांच लाख 24 हजार 677 की अतिरिक्त आय पता चली। इस रकम पर भूपेंद्र तर्क संगत जवाब और आय का स्रोत उजागर नहीं कर सके।
फुलासी तहसील आंवला में उनका एक और निजी मकान है। अखिल भारतीय भ्रष्टाचार एवं शोषण निवारण समिति राजेंद्र नगर के राष्ट्रीय प्रचार मंत्री वीके गुप्ता की तरफ से 22 अप्रैल 2012 को मुख्यमंत्री को पत्र लिखा गया था। इसमें बाबू के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने की शिकायत की गई थी। शशिकांत कनौजिया अनु सचिव गृह (गोपन) ने 22 अप्रैल में प्रकरण की जांच भ्रष्टाचार निवारण संगठन को सौंप दी थी। जांच में सामने आया कि भूपेंद्र पाल वामसेफ के मंडलीय उपाध्यक्ष पद पर थे। पिछले बसपा शासनकाल में वामसेफ का रुतबा दिखाकर सहकर्मियों को परेशान करना, प}ी को जिला पंचायत सदस्य बनाने संबंधित आरोप भी उन पर लगे थे। हालांकि जांच में यह निराधार साबित हुए थे। भ्रष्टाचार निवारण संगठन की जांच में पता चला कि पहली नवंबर 2006 से मार्च 2012 तक उन्होंने वैध आय के स्रोत से 23 लाख 74 हजार 528 रुपये कमाए। जबकि इस अवधि में करीब 28 लाख 99 हजार 205 रुपया का व्यय किया। भ्रष्टाचार निवारण संगठन को जांच में करीब पांच लाख 24 हजार 677 की अतिरिक्त आय पता चली। इस रकम पर भूपेंद्र तर्क संगत जवाब और आय का स्रोत उजागर नहीं कर सके।