20.12.16

पांच साल होगा प्राचार्यो का कार्यकाल, इस संबंध में यूजीसी ने जारी किए दिशा निर्देश, उच्च शिक्षा अधिकारी कर रहे राज्य सरकार के आदेश का इंतजार

महाविद्यालयों में अब प्राचार्य का कार्यकाल पांच वर्ष का होगा। कार्यकाल के विस्तार के लिए प्राचार्य को पुन: साक्षात्कार समिति के समक्ष आवेदन करना होगा। यूजीसी की ओर से इस आशय के निर्देश जारी किए गए हैं। आदेश लागू होने के बाद प्रबंधन और प्राचार्य की मिलीभगत से होने वाले कारनामों पर रोक लग सकेगी। हालांकि राज्य सरकार ने इस संबंध में अभी तक कोई आदेश जारी नहीं किया है।

गौरतलब है कि कई वर्षो के बाद विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने वर्ष 2008 में प्रदेश में प्राचार्य पदों पर नियुक्ति की थी। इसके विवादों में घिरने के कारण सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इसी वर्ष यूजीसी की ओर से चयनित
सभी प्राचार्य अपने मूल पद पर वापस लौट गए हैं। मुरादाबाद मंडल में एक-दो कालेज को छोड़कर सभी कालेजों में प्रभारी प्राचार्य कार्यभार संभाल रहे हैं।

खींचतान पर लग सकेगी लगाम: कालेज के वरिष्ठ शिक्षक को प्राचार्य बनाया जाता है। हालांकि प्राचार्य पद के लिए प्राचार्य और शिक्षकों के बीच तनातनी बनी रहती है। कुछ कालेज के प्रबंधक प्राचार्य के साथ मिलकर गड़बड़ी भी करते हैं। यूजीसी के निर्देश के बाद इस पर लगाम लग सकेगी। पांच वर्ष के बाद प्राचार्य के कार्य का आकलन किया जाएगा। यूजीसी चेयरमैन और कुलपति की ओर से नामित दो सदस्यीय समिति के समक्ष पुन: आवेदन करने पर सिर्फ एक बार कार्यकाल बढ़ाने की अनुमति मिल सकेगी।

पद पर लौटने के लिए आदेश का इंतजार: कालेजों में वरिष्ठ शिक्षक सेवानिवृत्त होने तक प्राचार्य पद पर बने रहते थे। अब जिन प्राचार्यो का पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा हो गया है, उन्हें अपने पद पर लौटना होगा। उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारी आगे की कार्रवाई के लिए प्रदेश सरकार से आदेश का इंतजार कर रहे हैं।यूजीसी के निर्देश को किस तरह लागू करना है, इसके लिए प्रदेश सरकार के आदेश का इंतजार कर रहे हैं। हालांकि शिक्षण सुधार के लिए स्थायित्व आवश्यक है।

-प्रो. आरपी यादव1क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी।