31.12.16

अवकाश तालिका: माध्यमिक कालेजों में पढ़ाई का कैलेंडर जारी होने के बजाए 2017 की अवकाश तालिका जारी

स्कूलों में साल भर पढ़ाई की बात अब भूल जाइये। वहां ‘आधे दिन’ पढ़ाई हो जाए तो इसे ही गनीमत मानिए, क्योंकि शिक्षा महकमा खुद पढ़ाई के प्रति गंभीर नहीं है। शायद इसीलिए प्रदेश के माध्यमिक कालेजों में पढ़ाई का कैलेंडर जारी होने के बजाए 2017 की अवकाश तालिका जारी की गई है। इसमें वैसे तो 236 दिन पढ़ाई और
129 दिन की छुट्टी घोषित हैं, लेकिन अन्य अवकाश को घोषित छुट्टी में जोड़ दिया जाए तो वर्ष में आधे दिन से भी कम दिन ही मुश्किल से पढ़ाई हो पाएगी।
सरकारी विद्यालय वैसे ही बदनाम हैं कि यहां पढ़ाई नहीं होती। अध्यापक समय से विद्यालय नहीं आते। आते भी हैं तो पढ़ाने से जी चुराते हैं। ऐसे में जब स्कूलों में इतनी छुट्टियां रहेंगी तो समझा जा सकता है कि छात्र-छात्रओं का भविष्य कितना उज्ज्वल होगा। कैलेंडर में घोषित 129 दिन की छुट्टियों के अलावा भी स्कूल में अन्य अवकाश होंगे। मसलन, स्थानीय अवकाश जिलाधिकारी के निर्णय के अनुरूप होंगे, महिला शिक्षिकाओं को करवाचौथ व तीज का अवकाश रहेगा। अत्यधिक ठंड में शीतकालीन अवकाश होगा। प्रधानाचार्य अपने विवेक से तीन दिन अवकाश कर सकते हैं। विद्यालय के शिक्षक या कर्मचारी के निधन पर शोकसभा कर सकते हैं आदि-आदि। इन सबको जोड़ लिया जाए तो स्पष्ट है कि बच्चों को कितने दिन स्कूल में पढ़ने का मौका मिलेगा। यही नहीं, यूपी बोर्ड की करीब एक माह तक चलने वाली परीक्षा, वार्षिक व अर्धवार्षिक परीक्षाएं एवं उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में शिक्षकों के लगने पर स्थिति और खराब हो जाएगी। शिक्षा विभाग को नौनिहालों की पढ़ाई के बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए। सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई नहीं होती। मूलभूत संसाधन नहीं हैं। अध्यापक सिर्फ टाइमपास करके घर चले जाते हैं। ये सब समस्याएं बनी रहेंगी जब तक विद्यालयों में इतनी छुट्टियां होंगी। जब विद्यालय लगातार खुलेंगे ही नहीं तो समस्याओं का निस्तारण कैसे होगा। बच्चों का भविष्य चौपट न हो, यह सोचना शासन का दायित्व है। ऐसे में साल भर में इतनी छुट्टियां देना कैसी समझदारी है। इससे शिक्षा विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को भले ही सुकून मिले, छात्र-छात्रओं का तो नुकसान ही है। सरकार प्राथमिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए लोगों को जागरूक करती है लेकिन, दूसरी तरफ स्कूलों में इतनी छुट्टियां घोषित कर वह अपनी ही योजना को पलीता लगा रही है। उम्मीद की जानी चाहिए कि शासन छुट्टियों के बारे में पुनर्विचार करेगा ताकि बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ न होने पाए।