यूपी बोर्ड को एक साल के अंदर नई तकनीक का दूसरा बड़ा झटका लगा है। परीक्षा मोबाइल एप के बाद कंप्यूटर से परीक्षा केंद्र बनाने की योजना ने दम तोड़ दिया है। यह दोनों ही निर्णय शासन के वरिष्ठ अफसरों ने लिए जो कुछ कदम चलकर धड़ाम हो गए हैं। इधर कुछ वर्षो से परीक्षा केंद्र तय करने का काम जनवरी माह तक होता रहा है यह ढर्रा इस साल भी कायम रहा। लेटलतीफी वाले जिलों के केवल नाम बदल गए हैं कामकाज के तरीके में कहीं कोई बदलाव नहीं आया है। माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व
इंटरमीडिएट परीक्षा 2017 में केंद्रों का निर्धारण तय समय सीमा के एक माह बाद भी पूरा नहीं हो सका है। वरिष्ठ अफसरों की सख्ती के बाद कुछ जिलों ने तो तेजी दिखाई, लेकिन निर्देशों की अवहेलना करने वाले जिला विद्यालय निरीक्षकों पर उसका कोई असर नहीं हुआ है। सूबे की राजधानी लखनऊ में समूची प्रदेश सरकार एवं सभी विभागों के आला अफसर रहते हैं, लेकिन वहां केंद्र निर्धारण का कार्य सबसे खराब है। वेबसाइट पर सभी परीक्षार्थियों का आवंटन एवं अन्य प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है। यह काम कब तक पूरा होगा कोई बताने को तैयार नहीं है। इसी तरह प्रतापगढ़ जिला भी नियमों की अनदेखी कर रहा है। सूत्रों ने बताया कि प्रतापगढ़ के डीआइओएस का तर्क है कि मंडलीय समिति की मुहर लगने के बाद ही वेबसाइट पर देने वाली सूचनाएं दुरुस्त करेंगे। मंडलीय समिति की बैठक हो चुकी है, फिर भी काम अधूरा है। वहां सबसे कम परीक्षार्थियों का आवंटन हो सका है। पूर्वाचल का गाजीपुर जिला केंद्र निर्धारण में काफी पीछे है। वैसे यहां हर साल देर से ही केंद्र तय होते रहे हैं, वह सिलसिला जारी है। इसी तरह फैजाबाद जिले ने भी वेबसाइट पर केंद्र निर्धारण का कार्य पूरा नहीं हुआ है। पिछले वर्षो में सबसे देर में केंद्र बनाने में हरदोई, बलिया एवं अन्य जिलों का नाम आता था, इस साल जिले के नामों में बदलाव हुआ है, लेकिन कार्यशैली में कोई अंतर नहीं आया है। शासन ने इस बार परीक्षा केंद्र नीति जारी करते हुए 28 नवंबर तक सारे केंद्र बनाने का निर्देश दिया था। पहली बार कंप्यूटर के जरिए केंद्र बनाए जाने का आदेश हुआ, ताकि वह समय पर बन जाएं। शासन ने इस प्रक्रिया पर बोर्ड सचिव, मंडलायुक्त, शिक्षा निदेशक माध्यमिक एवं प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा तक को निगाह रखने के लिए लॉगिन व पासवर्ड तक आवंटित किए थे, लेकिन उसका भी कोई असर नहीं हुआ। कुछ दिन पहले सभी जेडी की बैठक बुलाकर जल्द कार्य पूरा कराने का आदेश भी बेअसर रहा है। उधर, परिषद सचिव शैल यादव का कहना है कि नियमित रूप से उन जिलों से संपर्क किया जा रहा है, जो केंद्र निर्धारण में पीछे हैं। जल्द ही यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।
इंटरमीडिएट परीक्षा 2017 में केंद्रों का निर्धारण तय समय सीमा के एक माह बाद भी पूरा नहीं हो सका है। वरिष्ठ अफसरों की सख्ती के बाद कुछ जिलों ने तो तेजी दिखाई, लेकिन निर्देशों की अवहेलना करने वाले जिला विद्यालय निरीक्षकों पर उसका कोई असर नहीं हुआ है। सूबे की राजधानी लखनऊ में समूची प्रदेश सरकार एवं सभी विभागों के आला अफसर रहते हैं, लेकिन वहां केंद्र निर्धारण का कार्य सबसे खराब है। वेबसाइट पर सभी परीक्षार्थियों का आवंटन एवं अन्य प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है। यह काम कब तक पूरा होगा कोई बताने को तैयार नहीं है। इसी तरह प्रतापगढ़ जिला भी नियमों की अनदेखी कर रहा है। सूत्रों ने बताया कि प्रतापगढ़ के डीआइओएस का तर्क है कि मंडलीय समिति की मुहर लगने के बाद ही वेबसाइट पर देने वाली सूचनाएं दुरुस्त करेंगे। मंडलीय समिति की बैठक हो चुकी है, फिर भी काम अधूरा है। वहां सबसे कम परीक्षार्थियों का आवंटन हो सका है। पूर्वाचल का गाजीपुर जिला केंद्र निर्धारण में काफी पीछे है। वैसे यहां हर साल देर से ही केंद्र तय होते रहे हैं, वह सिलसिला जारी है। इसी तरह फैजाबाद जिले ने भी वेबसाइट पर केंद्र निर्धारण का कार्य पूरा नहीं हुआ है। पिछले वर्षो में सबसे देर में केंद्र बनाने में हरदोई, बलिया एवं अन्य जिलों का नाम आता था, इस साल जिले के नामों में बदलाव हुआ है, लेकिन कार्यशैली में कोई अंतर नहीं आया है। शासन ने इस बार परीक्षा केंद्र नीति जारी करते हुए 28 नवंबर तक सारे केंद्र बनाने का निर्देश दिया था। पहली बार कंप्यूटर के जरिए केंद्र बनाए जाने का आदेश हुआ, ताकि वह समय पर बन जाएं। शासन ने इस प्रक्रिया पर बोर्ड सचिव, मंडलायुक्त, शिक्षा निदेशक माध्यमिक एवं प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा तक को निगाह रखने के लिए लॉगिन व पासवर्ड तक आवंटित किए थे, लेकिन उसका भी कोई असर नहीं हुआ। कुछ दिन पहले सभी जेडी की बैठक बुलाकर जल्द कार्य पूरा कराने का आदेश भी बेअसर रहा है। उधर, परिषद सचिव शैल यादव का कहना है कि नियमित रूप से उन जिलों से संपर्क किया जा रहा है, जो केंद्र निर्धारण में पीछे हैं। जल्द ही यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।