इलाहाबाद : देश के दो अहम संस्थान पहली बार अपने कार्य को लेकर आमने-सामने आए हैं। परीक्षार्थियों के लिहाज से दुनिया का सबसे बड़ा शैक्षिक संस्थान यूपी बोर्ड हर साल इम्तिहान करा रहा है। वैसे ही चुनाव आयोग
भी नियमित अंतराल पर लोकसभा व विधानसभा चुनाव कराता रहता है, लेकिन चुनाव कार्यक्रम और परीक्षा का टाइम टेबिल टकराया नहीं। 1अक्सर यही होता रहा है कि परीक्षाओं के पहले या फिर बाद में चुनाव का कार्यक्रम जारी हुआ है। उत्तर प्रदेश में विधानसभा का चुनाव और यूपी बोर्ड परीक्षा साथ-साथ हो पाना काफी मुश्किल है। इसकी वजह है कि बोर्ड के हजारों विद्यालय गांव-गांव खुले हैं, जो चुनाव में मतदान केंद्र भी बनते हैं। यही नहीं बड़ी संख्या में शिक्षक चुनाव में ड्यूटी भी करते हैं। बोर्ड सूत्रों की मानें तो चुनाव आयोग ने कभी परीक्षाओं की जानकारी नहीं ली, बल्कि परीक्षाओं से पहले या फिर बाद में ही चुनाव कार्यक्रम जारी हुए। यह जरूर है कि बोर्ड परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में कई बार चुनाव के कारण खलल पड़ा है। इसके लिए निर्देश जारी हुए कि फलां जिले में जिस दिन मतदान में हो वहां मूल्यांकन का कार्य बंद रहेगा।
पिछली बार 24 दिसंबर को घोषित हुआ था कार्यक्रम : पिछली बार 24 दिसंबर, 2011 को चुनाव कार्यक्रम घोषित करते हुए आयोग ने पहले चरण के चुनाव की अधिसूचना 10 जनवरी, 2012 को जारी की थी। हालांकि बाद में पहले चरण के मतदान को टाल दिया गया था और मतदान तीन मार्च को हुआ था। सभी चरणों की मतगणना की भी तारीख चार मार्च से आगे बढ़ाकर छह मार्च की गई थी। इस तरह से सातों चरण की चुनावी प्रक्रिया कुल 55 दिनों में पूरी हुई थी। चुनाव के बाद आठ मार्च, 2012 को मौजूदा 16वीं विधानसभा का गठन हुआ था और 28 मई को पहली बैठक हुई थी इसलिए अबकी चुनाव 27 मई तक कभी भी कराए जा सकते हैं।
भी नियमित अंतराल पर लोकसभा व विधानसभा चुनाव कराता रहता है, लेकिन चुनाव कार्यक्रम और परीक्षा का टाइम टेबिल टकराया नहीं। 1अक्सर यही होता रहा है कि परीक्षाओं के पहले या फिर बाद में चुनाव का कार्यक्रम जारी हुआ है। उत्तर प्रदेश में विधानसभा का चुनाव और यूपी बोर्ड परीक्षा साथ-साथ हो पाना काफी मुश्किल है। इसकी वजह है कि बोर्ड के हजारों विद्यालय गांव-गांव खुले हैं, जो चुनाव में मतदान केंद्र भी बनते हैं। यही नहीं बड़ी संख्या में शिक्षक चुनाव में ड्यूटी भी करते हैं। बोर्ड सूत्रों की मानें तो चुनाव आयोग ने कभी परीक्षाओं की जानकारी नहीं ली, बल्कि परीक्षाओं से पहले या फिर बाद में ही चुनाव कार्यक्रम जारी हुए। यह जरूर है कि बोर्ड परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में कई बार चुनाव के कारण खलल पड़ा है। इसके लिए निर्देश जारी हुए कि फलां जिले में जिस दिन मतदान में हो वहां मूल्यांकन का कार्य बंद रहेगा।
पिछली बार 24 दिसंबर को घोषित हुआ था कार्यक्रम : पिछली बार 24 दिसंबर, 2011 को चुनाव कार्यक्रम घोषित करते हुए आयोग ने पहले चरण के चुनाव की अधिसूचना 10 जनवरी, 2012 को जारी की थी। हालांकि बाद में पहले चरण के मतदान को टाल दिया गया था और मतदान तीन मार्च को हुआ था। सभी चरणों की मतगणना की भी तारीख चार मार्च से आगे बढ़ाकर छह मार्च की गई थी। इस तरह से सातों चरण की चुनावी प्रक्रिया कुल 55 दिनों में पूरी हुई थी। चुनाव के बाद आठ मार्च, 2012 को मौजूदा 16वीं विधानसभा का गठन हुआ था और 28 मई को पहली बैठक हुई थी इसलिए अबकी चुनाव 27 मई तक कभी भी कराए जा सकते हैं।