लखनऊ : फर्जी मार्कशीट लगाकर शिक्षा मित्र बनी महिला की शिकायत के बाद नौकरी गई, तो उसी मार्कशीट के आधार पर उसने बीटीसी का प्रशिक्षण हासिल कर सहायक शिक्षक की नौकरी हथिया ली। नौकरी के लिए इस जालसाजी का खुलासा राज्य सूचना आयोग में आरटीआई के तहत इस मामले में मांगी गई सूचना से हुआ। खुलासा होने पर बेसिक शिक्षा अधिकारी ने आनन-फानन से उसकी नियुक्ति रद करते हुए इसकी लिखित जानकारी सूचना आयोग को दी है।
यह था मामला : संभल के डीएम कार्यालय में जुलाई 2013 में शिकायत की गई थी कि प्राथमिक विद्यालय, कादरपुर में शिक्षा मित्र के पद पर तैनात किरनवती ने नौकरी के लिए हाईस्कूल और इंटर की मार्कशीट फर्जी लगाई है। डीएम ने मामले की जांच की, तो पता चला कि किरनवती ने देवकी नंदन शर्मा इंटर कॉलेज, मुरादाबाद से 2000 में हाईस्कूल और 2002 में इंटर की परीक्षा पास की थी। हाईस्कूल में उसे छह सौ में 261 नंबर और इंटर में उसे पांच सौ में 239 नंबर मिले थे। जबकि, किरन ने शिक्षा मित्र की नौकरी के लिए जो मार्कशीट दाखिल की थी, उसमें हाईस्कूल में उसे छह सौ में 332 नबंर और इंटर में पांच सौ में 278 नंबर दर्शाये गये थे। जांच में इस खुलासे के बाद 31 अक्टूबर 2013 को किरनवती को शिक्षामित्र के पद से हटा दिया गया था।
आयोग ने कराई जांच : दिसंबर 2014 को बीएसए संभल कार्यालय से चंदौसी निवासी राजेश कुमार ने सूचना मांगी कि क्या संभल के प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक के पद पर तैनात किरनवती को फर्जी दस्तावेजों के कारण शिक्षामित्र पद से हटाया गया था/ यदि हां, तो उसे किस आधार पर सहायक शिक्षक के पद पर नियुक्त किया गया/ सूचना न मिलने पर आवेदक ने राज्य सूचना आयोग में अपील की। राज्य सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए उन्होंने पूरे मामले की जांच बीएसए संभल को दी थी।
यह था मामला : संभल के डीएम कार्यालय में जुलाई 2013 में शिकायत की गई थी कि प्राथमिक विद्यालय, कादरपुर में शिक्षा मित्र के पद पर तैनात किरनवती ने नौकरी के लिए हाईस्कूल और इंटर की मार्कशीट फर्जी लगाई है। डीएम ने मामले की जांच की, तो पता चला कि किरनवती ने देवकी नंदन शर्मा इंटर कॉलेज, मुरादाबाद से 2000 में हाईस्कूल और 2002 में इंटर की परीक्षा पास की थी। हाईस्कूल में उसे छह सौ में 261 नंबर और इंटर में उसे पांच सौ में 239 नंबर मिले थे। जबकि, किरन ने शिक्षा मित्र की नौकरी के लिए जो मार्कशीट दाखिल की थी, उसमें हाईस्कूल में उसे छह सौ में 332 नबंर और इंटर में पांच सौ में 278 नंबर दर्शाये गये थे। जांच में इस खुलासे के बाद 31 अक्टूबर 2013 को किरनवती को शिक्षामित्र के पद से हटा दिया गया था।
आयोग ने कराई जांच : दिसंबर 2014 को बीएसए संभल कार्यालय से चंदौसी निवासी राजेश कुमार ने सूचना मांगी कि क्या संभल के प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक के पद पर तैनात किरनवती को फर्जी दस्तावेजों के कारण शिक्षामित्र पद से हटाया गया था/ यदि हां, तो उसे किस आधार पर सहायक शिक्षक के पद पर नियुक्त किया गया/ सूचना न मिलने पर आवेदक ने राज्य सूचना आयोग में अपील की। राज्य सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए उन्होंने पूरे मामले की जांच बीएसए संभल को दी थी।