कानपुर : प्रदेश के 13 राज्य विश्वविद्यालयों के शिक्षक अपनी चल-अचल संपत्ति का ब्योरा सरकार को नहीं देंगे। यह निर्णय प्रदेश के डिग्री शिक्षकों के संगठन उत्तर प्रदेश विश्वविद्यालय महाविद्यालय शिक्षक महासंघ (फुपुक्टा) ने रविवार को बीएनडी कॉलेज में हुई बैठक में लिया।
बैठक के दौरान इस बात पर नाराजगी जताई गई कि डिग्री शिक्षकों से उनकी चल-अचल संपत्ति का ब्योरा मांगा जा रहा है। फुपुक्टा अध्यक्ष डॉ. वीरेन्द्र सिंह चौहान और महामंत्री डॉ. विवेक द्विवेदी ने सभी से सहमति के बाद कहा कि चल-अचल संपत्ति सम्बंधी मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन के पत्र में शिक्षकों व कर्मचारी का संदर्भ नहीं है। शिक्षक शासकीय अधिकारी व कर्मचारी की श्रेणी में नहीं आते इसलिए शिक्षक चल-अचल संपत्ति का विवरण नहीं देंगे।
प्रमोशन की पुरानी प्रक्रिया शुरू हो बैठक में कहा गया कि सभी मानदेय शिक्षकों का मिलान किया जाए। अंकों पर आधारित एपीआई आधारित प्रमोशन प्रक्रिया को समाप्त किया जाए। प्रमोशन के लिए पुरानी व्यवस्था ही लागू की जाए। पुरानी पेंशन स्कीम के अन्तर्गत कटौती के लिए बजट आवंटित कर कटौती शुरू की जाए। यूजीसी रेगुलेशन 2010 के अनुसार रिटायर की आयु 65 वर्ष की जाए। अन्य कई प्रदेशों में अधिवर्षिता आयु 65 वर्ष की जा चुकी है। उत्तर प्रदेश के अनुदानित डिग्री कॉलेज के अनुमोदित शिक्षकों को स्थायी कर वेतन संदाय पर लिया जाए।
बैठक के दौरान इस बात पर नाराजगी जताई गई कि डिग्री शिक्षकों से उनकी चल-अचल संपत्ति का ब्योरा मांगा जा रहा है। फुपुक्टा अध्यक्ष डॉ. वीरेन्द्र सिंह चौहान और महामंत्री डॉ. विवेक द्विवेदी ने सभी से सहमति के बाद कहा कि चल-अचल संपत्ति सम्बंधी मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन के पत्र में शिक्षकों व कर्मचारी का संदर्भ नहीं है। शिक्षक शासकीय अधिकारी व कर्मचारी की श्रेणी में नहीं आते इसलिए शिक्षक चल-अचल संपत्ति का विवरण नहीं देंगे।
प्रमोशन की पुरानी प्रक्रिया शुरू हो बैठक में कहा गया कि सभी मानदेय शिक्षकों का मिलान किया जाए। अंकों पर आधारित एपीआई आधारित प्रमोशन प्रक्रिया को समाप्त किया जाए। प्रमोशन के लिए पुरानी व्यवस्था ही लागू की जाए। पुरानी पेंशन स्कीम के अन्तर्गत कटौती के लिए बजट आवंटित कर कटौती शुरू की जाए। यूजीसी रेगुलेशन 2010 के अनुसार रिटायर की आयु 65 वर्ष की जाए। अन्य कई प्रदेशों में अधिवर्षिता आयु 65 वर्ष की जा चुकी है। उत्तर प्रदेश के अनुदानित डिग्री कॉलेज के अनुमोदित शिक्षकों को स्थायी कर वेतन संदाय पर लिया जाए।
फुपुक्टा नेताओं ने कहा कि महाविद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों को कॅरियर प्रोन्नति योजना (सीएएस) के अन्तर्गत प्रोफेसर पदनाम प्रदान किया जाए। परीक्षा पारिश्रमिक की दरों में वृद्धि की जाए और इसके लिए गठित कमेटी में फुपुक्टा को भी प्रतिनिधित्व दिया जाए। प्रदेश के विनियमितीकरण से रह गए तदर्थ शिक्षकों के विनियमितीकरण की प्रक्रिया शीघ्र पूरी की जाए। पीएचडी के तीन और एमफिल के दो इंक्रीमेंट यूजीसी रेगुलेशन 2010 के तहत दिए जाएं। कार्यवाहक प्राचार्यों की नियुक्ति के लिए राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम की व्यवस्था अनुसार वरिष्ठ शिक्षक को ही कार्यवाहक प्राचार्य नियुक्त किया जाए।
उच्च शिक्षा मंत्री से मिलेंगे
उच्च शिक्षा निदेशालय में प्रमोशन, जीपीएफ, मृतक आश्रित एवं वेतन विनर्धारण में हो रहे विलंब के विरोध में शिक्षा निदेशालय में शिक्षक धरना देंगे। इससे पहले उच्च शिक्षा मंत्री से भेंट करने का निर्णय भी लिया गया। बैठक में 13 विश्वविद्यालयों की शिक्षक इकाइयों के अध्यक्ष और मंत्री शामिल हुए। इनमें देश के डिग्री शिक्षकों के संगठन एआईफुक्टो के पदाधिकारियों में डॉ. बीडी पाण्डेय, डॉ.घनश्याम सिंह, डॉ. अरविन्द द्विवेदी, डॉ. नवनीत मिश्र और डॉ. वीके कटियार आदि भी मौजूद थे।