उक्त आदेश के विरुद्ध कुछ विपक्षी लोग सर्वोच्च् न्यायालय गये लेकिन हमारे अधिवक्ता श्री अमित पवन जी व श्री आन्नद नंदन जी ने हमारी ओर से कैवियट दाखिल कर हाइकोर्ट के आदेश पर स्थगनादेश नहीं लगने दिया। अर्थात हाइकोर्ट द्वारा पारित आदेश ही प्रभावी रहना चाहिए।
01 दिसम्बर को आदेश आने के बावजूद भी स्टेट ने दि0 15 दिसम्बर 2016 को 12460 शिक्षक भर्तियों का विज्ञापन पहले से असंवैधानिक घोषित चयन नियमों पर ही विज्ञापित कर दिया, जो कि मा0 उच्च न्यायालय के आदेशों की अवमानना हुयी।
पिछले साल भर से बीटीसी प्रशिक्षितों की, की जा रही ताबड़तोड़ भर्तियों के पीछे शासन का मुख्य उद्देश्य शिक्षामित्रों को टेट उत्तीर्ण कराकर उनकी नियमित नियुक्तियां करना और बीएड वालों के लिए सृजित पदों की उपलब्धता को पूर्णतयः खत्म करना ही रहा हैं।
फ़िलहाल 07 दिसम्बर 2016 को हमने मा0 सर्वोच्च् न्यायालय में याचिका दाखिल कर शिक्षामित्रों के किसी भी प्रकार के नियुक्ति पर रोक लगवा दी हैं। एवं उक्त अवैधानिक कृत्य के विरुद्ध हमने शासन को भी कई बार अवगत कराया परन्तु अवैधानिक कार्यों को करने पर आमादा विभाग के आला अधिकारियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा हैं। अब देखना यह हैं कि आने वाली आगामी सरकार क्या मा0 न्यायालय के आदेशों की अवमानना करते हुए ऐसे अवैध गतिविधियों को जारी रखेगी या फिर न्यायायोचित शासन व्यवस्था का अनुपालन कर पिछले पाँच वर्षों से पीड़ित बीएड टेट उत्तीर्ण साथियों को उनका अधिकार भी दिलाएगी?
वस्तुतः भाजपा के जमीनी स्तर से लेकर शीर्ष स्तर तक का नेतृत्व हमारे मामले से भली भाँति अवगत हैं, फिर भी सरकार के व्यवस्थित ढंग से स्थापित होने के पश्चात एक बार और प्रयास किया जायेगा और समस्या के न्यायायोचित समाधान की प्रार्थना की जायेगी। जिसमें हमारे सभी साथियों का लाभ निहित होगा।
अतः सरकार के व्यवस्थित होने (अर्थात मुख्यमंत्री, मंत्री और विभागों के निर्धारण होने) तक अनुरोध हैं कि आप लोग अपने अपने विधानसभा क्षेत्रों के नवनिर्वाचित विधायकों को ज्ञापन सौपें और समस्या से अवगत कराएं।