14.12.16

वेतनमान नहीं..धोखा दिया है, चतुर्थ श्रेणी कर्मियों को चिढ़ा रही 555 रुपये की वृद्धि, कर्मचारी संगठनों ने कहा, अफसरों को 21.07 और कर्मियों को दी 3.68 से 6.64 फीसद वृद्धि

लखनऊ : विधानसभा चुनाव से पहले सातवें वेतनमान की संस्तुतियों का तोहफा देकर सरकार भले ही कर्मचारियों को खुश मान लेने की खुशफहमी पाले हो, लेकिन वेतनमान का फामरूला देखकर कर्मचारी संगठन
उखड़ गए हैं। इस वेतनमान को उन्होंने अधिकारियों को लाभ और तृतीय व चतुर्थ कर्मचारियों को धोखा देने वाला कदम करार दिया है। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने इस पर कड़ा विरोध जताते हुए कर्मचारियों के बीच पूरी बात रख कर दूध का दूध और पानी का पानी करने की चेतावनी दी है।
परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी ने बताया कि सातवें वेतनमान के मौजूदा फामरूले से तृतीय श्रेणी कर्मचारियों के वेतन में 6.64 फीसद और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के वेतन में महज 3.48 प्रतिशत की वृद्धि होगी, जबकि इसी फामरूले से अधिकारियों का वेतन 21.07 फीसद तक बढ़ जाएगा। तिवारी ने कहा कि वेतनमान देने में आने वाले व्यय भार का बड़ा हिस्सा अधिकारियों पर खर्च होने के बावजूद पूरा व्यय तृतीय व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों पर दिखा कर जनमानस में कर्मचारियों के प्रति दुष्प्रचार किया जा रहा है। परिषद के जेएन तिवारी गुट ने सातवां वेतनमान लागू करने पर तो मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव व वेतन समिति के अध्यक्ष के प्रति आभार जताया, साथ ही लंबित निर्णय पर असंतोष भी जताया। परिषद के इस गुट के महामंत्री जेएन तिवारी ने कहा कि वेतन समिति ने केवल रिप्सेलमेंट वेतनमान देने में ही छह महीने का समय लगा दिया, जबकि विभागवार, संवर्गवार व पदवार विसंगतियों पर अभी निर्णय आना बाकी है। परिषद ने वेतन निर्धारण में 2.57 के गुणांक को परिवर्तित कर 2.62 करने तथा संवर्गवार व पदवार विसंगतियों पर जल्द निर्णय कराने की अपील मुख्यमंत्री से की है। उधर ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने का स्वागत करते हुए ऊर्जा निगमों में अभियंताओं को पहले की तरह प्रारंभिक वेतन वृद्धियां देकर तत्काल वेतन पुनरीक्षण लागू करने की मांग की है। फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे व उप्र राज्य विद्युत अभियंता संघ के अध्यक्ष जीके मिश्र ने कहा कि सातवें वेतन आयोग में अब तक के वेतन पुनरीक्षणों में सबसे कम वेतन वृद्धि दी गई है। कहा कि वेतन के साथ भत्ताें के भी पुनरीक्षण का आदेश जारी किए बिना प्रदेश सरकार का सातवां वेतनमान लागू करने का दावा सही नहीं है। केंद्र की तरह यहां भी भत्ताें को लागू किया जाए। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के एसपी तिवारी गुट ने नए वेतनमान में प्रथम श्रेणी अधिकारियों व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के वेतन का अंतर और बढ़ने पर असंतोष जताया है।राज्य ब्यूरो, लखनऊ : सातवें वेतनमान को लेकर अगर तीसरे और चौथे दर्जे के कर्मचारियों की बात करें तो एक शेर सटीक बैठता है- ‘बड़ा शोर सुनते थे पहलू में दिल का, जो चीरा तो एक कतरा-ए-खूं न निकला..’। दरअसल इन कर्मचारियों को उम्मीद थी कि सातवें वेतनमान की बदौलत तनख्वाह कम से कम इतनी बढ़ जाएगी कि महंगाई की आंच में झुलसे बिना गुजारा चलता रहेगा, लेकिन वेतन वृद्धि के नाम पर अब नजर आ रहे महज 555 रुपये कर्मचारियों को चिढ़ा रहे हैं।