इलाहाबाद वरिष्ठ संवाददाता
प्राथमिक विद्यालय करेली बालक भावापुर के बच्चों का लंच भूरी के बिना नहीं हो सकता। 10.30 बजे मिड-डे-मील की घंटी बजने से पहले भूरी नाम की यह गाय स्कूल के दरवाजे पर दिख जाती है। पिछले चार सालों में
शायद ही कोई दिन ऐसा बीता हो जब स्कूल में मिड-डे-मील बना हो और भूरी को उसका हिस्सा न मिला हो। यह सिलसिला धीरे-धीरे अब स्कूल के बच्चों, इंचार्ज प्रधानाध्यापिका सबीहा खातून और सहायक अध्यापिका किश्वर जहां के जीवन का अटूट हिस्सा बन गया है। प्रत्येक बच्च अपनी प्लेट का थोड़ा हिस्सा भूरी को बड़े चाव से अपने हाथ से खिलाता है। कभी-कभी भूरी के साथ उसके ही रंग की एक और गाय लंच के लिए आती है।इस गाय का स्कूल से लगाव अभिभावकों और आसपास रहने वालों में चर्चा का विषय है। मोहल्ले वालों की मानें तो स्कूल तक आए बगैर भूरी का मन नहीं मानता। अक्सर छुट्टी के दिन वह बंद गेट के सामने खड़ी दिख जाती है। बच्चों की आंखें भी जैसे भूरी को देखने के लिए बैचेन रहती है। किसी दिन भूरी को आने में देर हो जाए तो बच्चे तब तक खाना शुरू नहीं करते जब तक उसे देख न लें। इंचार्ज प्रधानाध्यापिका सबीहा खातून कहती हैं-‘पिछले चार साल से यह गाय हमारे स्कूल में मिड-डे-मील के समय आती है। इसे हम प्यार से भूरी पुकारते हैं। गाय के आते ही बच्चे खुश हो जाते हैं। यह समय की बहुत पाबंद है।’ एक अप्रैल से 30 सितंबर तक स्कूल की टाइलिंग सुबह आठ से एक बजे तक होती है और लंच 10.30 बजे होता है। एक अक्तूबर से 31 मार्च तक टाइमिंग सुबह नौ से तीन बजे तक रहती है और लंच 12.30 बजे होता है।
प्राथमिक विद्यालय करेली बालक में कक्षा एक से पांच तक कुल 87 छात्र-छात्रएं पंजीकृत हैं। इनमें 21 बच्चे उर्दू पढ़ने वाले हैं।
प्राथमिक विद्यालय करेली बालक भावापुर के बच्चों का लंच भूरी के बिना नहीं हो सकता। 10.30 बजे मिड-डे-मील की घंटी बजने से पहले भूरी नाम की यह गाय स्कूल के दरवाजे पर दिख जाती है। पिछले चार सालों में
शायद ही कोई दिन ऐसा बीता हो जब स्कूल में मिड-डे-मील बना हो और भूरी को उसका हिस्सा न मिला हो। यह सिलसिला धीरे-धीरे अब स्कूल के बच्चों, इंचार्ज प्रधानाध्यापिका सबीहा खातून और सहायक अध्यापिका किश्वर जहां के जीवन का अटूट हिस्सा बन गया है। प्रत्येक बच्च अपनी प्लेट का थोड़ा हिस्सा भूरी को बड़े चाव से अपने हाथ से खिलाता है। कभी-कभी भूरी के साथ उसके ही रंग की एक और गाय लंच के लिए आती है।इस गाय का स्कूल से लगाव अभिभावकों और आसपास रहने वालों में चर्चा का विषय है। मोहल्ले वालों की मानें तो स्कूल तक आए बगैर भूरी का मन नहीं मानता। अक्सर छुट्टी के दिन वह बंद गेट के सामने खड़ी दिख जाती है। बच्चों की आंखें भी जैसे भूरी को देखने के लिए बैचेन रहती है। किसी दिन भूरी को आने में देर हो जाए तो बच्चे तब तक खाना शुरू नहीं करते जब तक उसे देख न लें। इंचार्ज प्रधानाध्यापिका सबीहा खातून कहती हैं-‘पिछले चार साल से यह गाय हमारे स्कूल में मिड-डे-मील के समय आती है। इसे हम प्यार से भूरी पुकारते हैं। गाय के आते ही बच्चे खुश हो जाते हैं। यह समय की बहुत पाबंद है।’ एक अप्रैल से 30 सितंबर तक स्कूल की टाइलिंग सुबह आठ से एक बजे तक होती है और लंच 10.30 बजे होता है। एक अक्तूबर से 31 मार्च तक टाइमिंग सुबह नौ से तीन बजे तक रहती है और लंच 12.30 बजे होता है।
प्राथमिक विद्यालय करेली बालक में कक्षा एक से पांच तक कुल 87 छात्र-छात्रएं पंजीकृत हैं। इनमें 21 बच्चे उर्दू पढ़ने वाले हैं।