18.3.17

शिक्षा का अनूठा प्रयास: गरीब बच्चों को सरस्वती का वरदान, भेदभाव भुलाकर सभी धर्मो के बच्चों को दे रही हैं शिक्षा

सात भाइयों में अकेली, दुलार-प्यार में पली-बढ़ी बिटिया आज गरीब बच्चों के लिए सरस्वती बन गई है। नाम भी सरस्वती है। असमोली विकास खंड क्षेत्र के गांव हरथला निवासी मध्यम वर्गीय परिवार के किसान सर्वेश कुमार कश्यप की बिटिया सरस्वती एमए गृह विज्ञान प्रथम वर्ष की पढ़ाई और कामकाज से समय निकालकर रोजाना
अपने घर पर गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा देती है। 1अपने नाम के मुताबिक शिक्षा की देवी सरस्वती के समान बिना किसी भेदभाव गरीब बच्चों में ज्ञान की गंगा बहा रही हैं। महज 21 वर्ष की उम्र में गरीब बच्चों की मेधा को तराश रही सरस्वती का कहना है कि उसे ऐसा करके आत्मशांति मिलती है। मैं चाहती हूं कि लोगों के मन में बेटियों के प्रति जो घृणा का भाव रहता है वह समाप्त हो और बेटों के समान शिक्षा व सम्मान उन्हें भी मिले। मैं संदेश दे रही हूं कि बेटी सिर्फ दो घरों को ही उजाला नहीं देती, समाज को भी नई दिशा और दशा दे सकती है। 1सरस्वती बताती हैं कि तीन हजार की आबादी वाले हमारे गांव के स्कूल में पढ़ाई का स्तर बहुत नीचे है। इसी को देखते हुए करीब एक साल पहले उन्हें गरीब बच्चों को शिक्षा देने का विचार आया। इच्छा जताई तो मां प्रेमवती व पिता और भाइयों ने अनुमति दे दी। इसके बाद उसने घर पर बच्चों को पढ़ाकर उनका भविष्य संवारने का बीड़ा उठा लिया। आज उसके पास कई जाति-धर्म के 35 बच्चे नि:शुल्क पढ़ रहे हैं। इनमें भी अधिकांश लड़कियां हैं।
सरस्वती का प्रयास सराहनीय है। गरीब बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देना पुण्य है। उन्हें अपने स्तर से हर संभव मदद दी जाएगी। 1ओमकार सिंह, प्रधान, हरथला गांवहमारे दो बच्चे सरस्वती के पास पढ़ने जाते हैं। स्कूल में पढ़ाई अच्छी नहीं होती है, लेकिन सरस्वती की क्लास में बच्चों का मन लग रहा है। 1मैसर जहां, अभिभावकसर्वेश कश्यप की बेटी गांव के काफी बच्चों को पढ़ा रही हैं। हमारी दो बेटियां भी उनके पास पढ़ने जाती हैं। वह किसी से कोई पैसा नहीं लेती हैं। 1राकेश कुमार, अभिभावक